حضرت علی علیه‌ السلام

ग़दीर का संदेश
१८ ज़िलहिज्जा सन दस हिजरी क़मरी को पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने ईश्वर के आदेश पर हज़रत अली अलैहिस्सलाम को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। आज ही के दिन पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने
ग़दीर क्या है
ग़दीर का मतलब है इल्म, सदाचार, परहेज़गारी और अल्लाह के रास्ते में क़ुर्बानी और बलिदान और इस्लाम के मामले में दूसरों से आगे बढ़ना और उन्हीं चीज़ों के आधार पर समाज की सत्ता का निर्माण करना, यह एक मूल्य सम्बंधी मुद्दा है। इन मानों में गदीर केवल शियों के लिए
आयतुल्लाह ख़ामेनेई
एक हदीस है जिसे हम (हदीसे उख़ूवत) के नाम से पहचानते हैं वह हज़रत अली (अ) के बुलंद मक़ाम की गवाही देती है। इस हदीस का माजरा कुछ इस तरह है कि जब रसूले ख़ुदा तमाम मुहाजिर व अंसार को एक दूसरे का भाई बना रहे थे तब आपने हज़रत अली (अ) को अपना भाई बनाया
ग़दीर का महत्व
सूले इस्लाम को मालूम था कि इस सफ़र के अंत में उन्हें एक महान काम को अंजाम देना है जिस पर दीन की इमारत तय्यार होगी और उस इमारत के ख़म्भे उँचे होंगे कि जिससे आपकी उम्मत सारी उम्मतों की सरदार बनेगी, पूरब और पश्चिम में उसकी हुकूमत होगी मगर इसकी शर्त यह है कि
विलायत
इस्लाम में विलायत अर्थात संरक्षण एवं सरपरस्ती पैग़म्बरी की निरंतरता एवं ऐसे दीप की भांति है कि जो अंधेरों को छांट देता है और सच्चाई एवं वास्तविकता के प्रतीक के रूप में मनुष्यों का मार्गदर्शन करता है। जिस किसी पर भी विलायत का प्रकाश पड़ जाता है तो मानो वह
ग़दीर के आमाल
ग़दीर का दिन वह महान दिन है जिसमें सभी शिया बल्कि सच्चाई को चाहने वाला हर व्यक्ति प्रसन्न होता है यह वही दिन है जिस दिन रसूले इस्लाम (स) ने जह से पलटते समय ग़दीर के मैदान में इस्लामी दुनिया के सबसे बड़ा और महत्व पूर्ण संदेश दिया यही वह दिन है जिस दिन...
ग़दीर
ग़दीर मक्के से 64 किलोमीटर दूरी पर स्थित अलजोहफ़ा घाटी से तीन से चार किलोमीटर दूर एक स्थान था जहां पोखरा था। इसके आस पास पेड़ थे। कारवां वाले इसकी छाव में अपनी यात्रा की थकान उतारते और स्वच्छ पानी से अपनी प्यास बुझाते थे। समय बीतने के साथ यह छोटा का पोखरा
ग़दीर का महत्व
दसवीं हिजरी क़मरी का ज़माना था। पैग़म्बरे इस्लाम ने हज का एलान किया और लोगों को यह कहलवा भेजा कि जिस जिस व्यक्ति में हज करने की क्षमता है वह ज़रूर हज करे क्योंकि ईश्वर के दो संदेश अभी भी संपूर्ण रूप में लोगों तक नहीं पहुंचे थे। एक हज और दूसरा पैग़म्बरे इस
ग़दीर व वहदते इस्लामी
चूँकि मुसलमानों के बहुत से मुशतरक दुश्मन हैं जो चाहते हैं इस्लाम और मुसलमानों को नीस्त व नाबूद कर दें लिहाज़ा हमें चाहिये कि सब मुत्तहिद होकर इस्लाम के अरकान और मुसलमानों की हिफ़ाज़त की कोशिश करें, लेकिन इसके यह मायना नही है कि दूसरी ज़िम्मेदारियों...
ग़दीर इस्लामी एकता का आधार
असरे हाज़िर में बाज़ लोग ग़दीर और हज़रते अली अलैहिस्सलाम की इमामत की गुफ़्तुगू (चूँकि इसको बहुत ज़माना गुज़र चुका है) को बेफ़ायदा बल्कि नुक़सानदेह समझते हैं, क्योकि यह एक तारीखी वाक़ेया है जिसको सदियाँ गुज़र चुकी हैं। यह गुफ़्तुगू करना कि पैग़म्बरे इस्लाम
हदीसे ग़दीर के 110 रावी
पैगम्बरे इस्लाम स. ने अमीरूल मोमेनीन अली अ. को अपना जानशीन बनाने के बाद फ़रमाया “ कि ऐ लोगो अभी अभी वही लाने वाला फ़रिश्ता मुझ पर नाज़िल हुआ और यह आयत लाया कि (( अलयौम अकमलतु लकुम दीनाकुम व अतमम्तु अलैकुम नेअमती व रज़ीतु लकुमुल इस्लामा दीना)
ईदे ग़दीर का महत्व
ग़दीर का दिन वह महान दिन है जिसमें सभी शिया, हर मुसलान बल्कि सच्चाई को चाहने वाला हर व्यक्ति प्रसन्न होता है यह वही दिन है जिस दिन रसूले इस्लाम (स) ने जह से पलटते समय ग़दीर के मैदान में इस्लामी दुनिया के सबसे बड़ा और महत्व पूर्ण संदेश दिया यही वह दिन है ज
ग़दीर के दिन के आमाल
यह दिन, ख़़ुशी और प्रसन्नता का दिन है और इस दिन का रोज़ा ख़ुदा के शुक्र का रोज़ा है, इसलिए इस दिन का रोज़ा 60 हराम महीनों (हराम महीने ज़ीक़ादा, ज़िलहिज, मोहर्रम और रजब) के रोज़े के बराबर है, और जो भी इस दिन किसी भी समय इस नमाज़ के पढ़ने का बेहतरीन समय ज़ो
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) की संक्षिप्त जीवनी
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) की संक्षिप्त जीवनी
इमाम अली (अ) की श्रेष्ठता सिद्ध करती आयतें व हदीसें
सुयूती इब्ने अब्बास से रिवायत करते हैं: जब पैग़म्बरे अकरम (स) पर यह आयत नाज़िल हुई तो इब्ने अब्बास ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह आपके वह रिश्तेदार कौन है जिनकी मुहब्बत हम लोगों पर वाजिब है? तो आँ हज़रत (स) ने फ़रमाया: अली, फ़ातेमा और उनके दोनो बेटे
आयतुल्लाह ख़ामेनाई की निगाह में ग़दीर का महत्व
ग़दीर यानी रसूलल्लाह (स.अ.) की तरफ़ से अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अ. को मुसलमानों का वली बनाने का विषय बहुत अहेम विषय है। इसके द्वारा रसूलल्लाह (स.अ.) नें मुसलमानों के भविष्य के लिये एक सिस्टम का परिचय किया है जिसे मुस्लिम सुसाइटी का मैनेजमेंट सिस्टम कह सकत
ग़दीर में पैगम्बरे इस्लाम का खुत्बा
अल्लाह मेरा मौला है और मैं मोमेनीन का मौला हूँ और मैं उनके नफ़सों पर उनसे ज़्यादा हक़्क़े तसर्रुफ़ रखता हूँ। हाँ ऐ लोगो “मनकुन्तो मौलाहु फ़हाज़ा अलीयुन मौलाहु अल्लाहुम्मावालि मन वालाहु व आदि मन आदाहु व अहिब्बा मन अहिब्बहु व अबग़िज़ मन अबग़ज़हु व अनसुर मन
ग़दीर के ख़ुत्बे का सारांश
जिबरईल (अ) तीन मरतबा मेरे पास सलाम व हुक्मे ख़ुदा लेकर नाज़िल हुए कि मैं इसी मक़ाम पर ठहर कर हर सियाह व सफ़ेद को यह इत्तेला दे दूँ कि अली बिन अबी तालिब मेरे भाई, वसी, जानशीन और मेरे बाद इमाम हैं