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फ़िदक "और क़राबतदारों को उनका हक़ दे दो"
फ़िदक वह सम्पत्ति थी जो मख़सूस थी पैग़म्बरे इस्लाम से, इस बात की प्रमाणिकता के लिए अगर हम इस्लामिक इतिहास की किताबों को देखें तो बहुत सी किताबों हमको ऐसी मिलेंगी जिसमें इस बात को बयान किया गया है कि फ़िदक पैग़म्बर (स) का मख़सूस माल था।
ख़ुत्बा -ए- फ़िदक का संक्षित्प विवरण 2
ख़िलाफ़त के ऊँट को ले लो रस्सी से उसकी ज़ीन को उसके पेट से मज़बूती से बांध दो (लेकिन जान लो) कि इस ऊँट की हड्डियां टूटी हुई हैं, उसके पैर कमज़ोर हो चुके हैं, उसके तलवे का गोश्त कमज़ोर है, चल नहीं सकता है, इसमें ऐब है और इसका यह ऐब सदैब बाक़ी रहेगा
ख़ुत्बा -ए- फ़िदक का संक्षिप्त विवरण 1
जब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) (स) से उस समय की हुकूमत ने फ़िदक छीन लिया और किसी भी प्रकार से यह सरकार फ़िदक देने पर राज़ी नहीं थी तो आप अपनी सच्चाई को प्रमाणित करने के लिए मस्जिद में आती हैं और मोहाजिर एवं अंसार के बीच वह महान ख़ुत्बा देती हैं जिसे हम “ख़ुत्
फ़िदक छीने जाने पर फ़ातेमा ज़हरा (स) की प्रतिक्रिया
सबसे पहली प्रतिक्रिया जो आपने दिखाई वह यह थी कि आपने गवाह पेश किए कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने अपने जीवन में फ़िदक मुझे उपहार में दिया था और जो चीज़ पैग़म्बर (स) ने मुझे उपहार स्वरूप दी हैं उसे तुमने क्यों मुझ से छीन लिया?
फ़िदक का इतिहास
फ़ातेमा ज़हरा जो संसारिक सुख और सुविधा से दूर थी, जो मासूम है, जिनकी पवित्रता के बारे में आयते ततहीर नाज़िल हुई है, वह क्यों फ़िदक को प्राप्त करने के लिए उठती हैं? और वह प्रसिद्ध ख़ुत्बा जिसको "ख़ुत्बा ए फ़िदक" कहा जाता है आपने बयान फ़रमाया आख़िर एसा क्या
क्या पैग़म्बरे इस्लाम पर सलाम पढ़ना शिर्क है?
आज के युग में यह वहाबी टोला और उसके साथियों ने क़सम खा रखी है कि मुसलमानों की हर आस्था और उनके हर विश्वास पर टिप्पणी अवश्य करेंगे चाहे वह सही हो या न हो, और कितने आश्चर्य की बात है कि यह सब करने के बाद भी यह वहाबी अपने आप को मुसलमान कहते हैं,
हज़रत मोहसिन की शहादत कैसे हुई, जानें शिया और सुन्नी किताबों से
शिया और सुन्नी स्रोतों में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि हज़रत मोहसिन इमाम अली और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.) की संतान थे जो दूसरे ख़लीफ़ा उमर या क़ुनफ़ुज़ द्वारा हज़रत फ़ातेमा ज़हरा को दरवाज़े और दीवार की बीच दबा दिए जाने के कारण शहीद हो गए..
इमाम सादिक़ (अ) की संक्षिप्त जीवनी
सुन्नी समुदाय के प्रसिद्ध विद्वान अबु हनीफ़ा कहते हैं कि मैं ने हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से बड़ा कोई विद्वान नही देखा। वह यह भी कहते हैं कि अगर मैं हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्लाम से दो साल तक ज्ञान प्राप्त न करता तो हलाक हो जाता।
इमाम सादिक़ (अ) की सियासत
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के युग में बनी उमय्या और बनी अब्बास के बीच सत्ता प्राप्त करने के लिए खींचा तानी चल रही थी, और इस मौक़े से लाभ उठाते हुए इमाम सादिक़ (अ) और आपके पिता इमाम बाक़िर (अ) ने इस्लामी शिक्षाओं को फैलाना आरम्भ किया और अगर यह कहा जाए कि आप दोन
ईदे ज़हरा की हक़ीक़त
ईदे ज़हरा 9 रबी उल अव्वल को मनाई जाती है और इस ईद को मनाने की बहुत सी वजहें बयान की जाती हैं। जैसेः बाज़ लोग कहते हैं कि 9 रबी उल अव्वल को हज़रत फ़ातेमा (अ.) ज़हरा का दुश्मन हलाक हुआ था, लेहाज़ा यह ख़ुशी का दिन है इसी वजह से इस रोज़ को ‘‘ईदे ज़हरा‘‘ के
ईरान के विरुद्ध सऊदी अरब को सभी मोर्चों पर पीछे हटना पड़ा हैः
ब्रिटिश पत्रिका एक्नोमिस्ट ने अपने एक नोट में लिखा, सऊदी अरब ने अगरचे पिछले एक साल के दौरान “आक्रामक राजनीति” अपनाई लेकिन उसके बावजूद उसके ईरान के मुकाबले में करारी हार झेलनी पड़ी है।
इमाम हसन अस्करी (अ) की कुछ मार्गदर्शक हदीसें
हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि समस्त बुराईयों को एक कमरे मे बन्द कर दिया गया है, व इस कमरे की चाबी झूट को बनाया गया है। अर्थात झूट समस्त बुराईयों की जड़ है।
इमाम हसन अस्करी की शहादत पर विशेष
हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने अपने जीवन में कुल 28 बसंत देखे किन्तु इस छोटी सी ज़िन्दगी में भी उन्हों ने पवित्र क़ुरआन की आयतों की व्याख्या और धर्मशास्त्र पर आधारित अपनी यादगार रचना छोड़ी है। मुसलमानों के वैज्ञानिक अभियान में उनका प्रभाव पूरी तरह स
ख़ुत्ब ए फ़िदक का हिन्दी अनुवाद
और तुम यह समझते हो कि हम अहलेबैत का मीरास में कोई हक़ नहीं है! क्या तुम लोग जाहेलियत का आदेश जारी कर रहे हो?! और ईमान वालों के लिए ईश्वरीय आदेश से बेहतर क्या आदेश हो सकता है? क्या तुम लोग नहीं जानते हो? निःसंदेह चमकते हुए सूर्य की भाति (यह बात) तुम्हारे
फ़िदक कैसे छीना गया?
हैसमी अपनी पुस्तक मजमउज़्ज़वाएद की जिल्द 9 पेज 40 पर लिखता हैः फ़िदक को फ़ातेमा (स) से लेने से पहले दूसरे ख़लीफ़ा (हज़रत उमर) अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली(अ) के पास जाते हैं और आपसे पैग़म्बर (स) की पैतृक सम्पत्ति के बारे में प्रश्न करते हैं अली (अ) उत्तर देते
फ़िदक किसकी प्रापर्टी है?
सोंचने की बात है कि अरब का वह रेगिस्तान कि जहां अगर ज़मज़म जैसा एक चश्मा जारी हो जाए तो वहां पूरी एक बस्ती आबाद हो जाती है अलग अलग स्थानों से लोग रहने के लिए आ जाते हैं तो अगर किसी स्थान पर चश्मों की भरमार हो तो वहा क्या स्थिति होगी और उसकी वास्तविक क़ीमत
वहाबियत का काला इतिहास मदीने पर हमला
मक्के पर अतिग्रहण के बाद सऊद ने पवित्र नगर मदीने पर क़ब्ज़ा करने के बारे में सोचा और इस पवित्र नगर का भी परिवेष्टन कर लिया किन्तु वहाबियों की भ्रष्ट आस्थाओं व हिंसाओं से अवगत, मदीनावासियों ने उनके मुक़ाबले में कड़ा प्रतिरोध किया।
अपने जैसे मुसलमान तैयार करने का मिशन
वहाबी विचारधारा रखने वालों की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह अपने अतिरिक्त किसी भी दूसरे को काफिर मानते हैं चाहे वह इस्लाम के किसी भी समुदाय से ही संबंध क्यों न रखता हो, चाहे वह सुन्नी हो या शिया या किसी और पंथ का मानने वाला, और यही कारण है कि कुछ लोग वहाबी
 नमाज़े ग़ुफ़ैला पढ़ने का तरीक़ा
मुस्तहब्बी नमाज़ों में से एक नमाज़े ग़ुफ़ैला है, जो मग़रिब व इशा की नमाज़ के बीच पढ़ी जाती है। इसका वक़्त नमाज़े मग़रिब के बाद पश्चिम की तरफ़ की सुर्ख़ी ख़त्म होने तक है।
माँ बाप की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी नमाज़ सिखाना
रिवायत मे बयान किया गया है कि बच्चों को नमाज़ सिखाना माँ बाप की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। माता पिता को चाहिए कि जब बच्चा तीन साल का हो जाये तो इसको ला इलाहा इल्लल्लाह जैसे वाक्य याद कराएं। और फिर कुछ समय के बाद उसको अपने साथ नमाज़ मे खड़ा करें

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