ख़ुत्बा -ए- फ़िदक का संक्षित्प विवरण 2

ख़िलाफ़त के ऊँट को ले लो रस्सी से उसकी ज़ीन को उसके पेट से मज़बूती से बांध दो (लेकिन जान लो) कि इस ऊँट की हड्डियां टूटी हुई हैं, उसके पैर कमज़ोर हो चुके हैं, उसके तलवे का गोश्त कमज़ोर है, चल नहीं सकता है, इसमें ऐब है और इसका यह ऐब सदैब बाक़ी रहेगा

लोगों का हक़ से दूर हो जाना

यहां तक कि हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) मोहाजिर और अंसार को संबोधित करके फ़रमायाः

اَلا، وَقَدْ أَرى {والله} اَنْ قَدْ اَخْلَدْتُمْ اِلَى الْخَفْضِ، وَاَبْعَدْتُمْ مَنْ هُوَ اَحَقُّ بِالْبَسْطِ وَالْقَبْضِ

मुझे ऐसा लगता है कि तुम लोगों को इस संसार का जीवन पसंन्द आ गया है, वह व्यक्ति जो कि इस ख़िलाफ़त के लिए अधिक हक़दार है उससे तुम दूर हो गए हो, तुमने अमीरुल मोमिनीन अली इब्ने अबी तालिब (अ) को छोड़ दिया है।

इसके बाद आपने आयतों को पढ़ना शुरू किया, इस ख़ुत्बे को सुन कर लोगों का आलम यह हो गया था कि जब यह ख़ुत्बा समाप्त हुआ तो पूरे मदीने में शोर और रोना पीटना मचा हुआ था।

فَاِنْ تَکْفُرُوا اَنْتُمْ وَمَنْ فِي الْاَرْضِ جَمیعاً فَاِنَّ الله لَغَنِیٌّ حَمیدٌ

अगर तुम सभी काफ़िर हो जाओ तो ख़ुदा को तुम्हारी आवश्यकता नहीं है, तुम्हारा काफ़िर हो जाना ख़ुदा को कोई हानि नहीं पहुंचाएगा।

उसके बाद आपने आयत पढ़नी आरम्भ की

أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَبَأُ الَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ قَوْمِ نُوحٍ وَعَادٍ وَثَمُودَ ۛ وَالَّذِينَ مِن بَعْدِهِمْ ۛ لَا يَعْلَمُهُمْ إِلَّا اللَّـهُ (1)

पूर्वजों का समाचार तुम तक नहीं पहुंचा? आद, समूद, नूह और उनसे पहले वाली क़ौमों का समाचार तुम तक नहीं पहुंचा? तुम्हें नहीं पता है कि उनके साथ क्या हुआ!?

جَاءَتْهُمْ رُ‌سُلُهُم بِالْبَيِّنَاتِ فَرَ‌دُّوا أَيْدِيَهُمْ فِي أَفْوَاهِهِمْ وَقَالُوا إِنَّا كَفَرْ‌نَا بِمَا أُرْ‌سِلْتُم بِهِ وَإِنَّا لَفِي شَكٍّ مِّمَّا تَدْعُونَنَا إِلَيْهِ مُرِ‌يبٍ  (2)

उन क़ौमों के पैग़म्बरों ने मोजिज़े दिखाए लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।

मूसा अपने साथ तौरैत लाए लेकिन जब उन्होंने देखा कि इस तौरैत में पैग़म्बर (स) के आने की भविष्यवाणी है तो उसके स्वीकार नहीं किया, जब पड़ाड़ उठकर उनके सरों पर आ गया तब उन्होंने कहा ठीक हैं हम स्वीकार करते हैं।

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) फ़रमा रहीं है कि अगर तुम भी ईश्वर की निशानियों को स्वीकार नहीं करोगे, अगर उसके वास्तविक ख़लीफ़ा को उसके स्थान से दूर कर दोगे तो तुम्हारे साथ भी यहीं होगा तुम को भी ईश्वरीय क्रोध अपनी पलेट  में ले लेगा।

अज़ाब और अपमान है उसके लिए जो पैग़म्बर (स) की बेटी को अपमानित करे

फ़िर आप फ़रमाती हैं

العار و النار لمن یخذل ابنة نبیه

अज़ाब और अपमान है उसके लिए जो पैगम़्बर (स) की बेटी को अपमानित करे।

फ़िदक के दावे में किसी ने आपका साथ नहीं दिया, किसी ने आपकी सहायता नहीं की अपमान और तिरस्कार है उसके लिए जो पैगम़्बर (स) की बेटी की सहायता न करे और उनको अपमानित करे।

َلا، وَقَدْ قُلْتُ الذی قُلْتُ عَلى مَعْرِفَةٍ مِنّی بِالْخِذْلَةِ الَّتی خامَرْتُکُمْ

वह चीज़ जो मुझे कहना चाहिए थी वह जानकारी, ज्ञान और मारेफ़त के साथ पूर्ण रूप से कह दी है। लेकिन मैं जानती हूँ

इसके बाद आपने शिकायत करनी शुरू की, मेरी जान मेरे  होंटों तक पहुंच चुकी थी, मेरा पूरा वजूद ग़म में घिरा हुआ था, क्रोथ की आग मेरे पूरे वजूद को घेरे हुए थी।

सोंचने वाली बात है कि अब और क्या बचा रह गया था जो हज़रते ज़हरा (स) ने न कहा हो।

ख़ुद सुन्नियों की किताबों में है कि पैग़म्बर (स) की शहादत को छः महीने बाद ही पैग़म्बर (स) की अठ्ठारह साल की बेटी इस संसार से चली गई। क्यों!!?

ऐसा क्या हुआ?

कौन सी बीमारी आप को थी?

कौन सा तबीब या डाक्टर आपको देने आया था?

उसके बाद आपने फ़रमाया

فَاحْتَقِبُوها مدبِرَةَ الظَّهْرِ، {مهیضة العظم خوراء القناة} نَقِبَةَ الْخُفِّ، باقِیَةَ الْعارِ، مَوْسُومَةً بِغَضَبِ الْجَبَّارِ

ख़िलाफ़त के ऊँट को ले लो रस्सी से उसकी ज़ीन को उसके पेट से मज़बूती से बांध दो (लेकिन जान लो) कि इस ऊँट की हड्डियां टूटी हुई हैं, उसके पैर कमज़ोर हो चुके हैं, उसके तलवे का गोश्त कमज़ोर है, चल नहीं सकता है, इसमें ऐब है और इसका यह ऐब सदैब बाक़ी रहेगा

 مَوْسُومَةً بِغَضَبِ الْجَبَّارِ

तुम उस सवारी पर सवार हुए हो जिस पर ईश्वर का क्रोध हो रहा है

मैं तुम्हारे नबी की बेटी हूँ

फ़िर आपने लोगों को संबोधित कर के फ़रमायाः

क्या तुम लोग नहीं जानते हो कि मैं कौन हूँ? क्या पैग़म्बर (स) ने नहीं फ़रमाया है कि मेरा क्रोध ईश्वर का क्रोध है? क्या नबी ने नहीं फ़रमाया है कि मैं उम्मे अबीहा हूँ?

फ़िर आप लोगों के सामने अपना परिचय देती हैं और फ़रमाती हैं:

، اَنَا اِبْنَةُ نبیکم وَاَنَا اِبْنَةُ نَذیرٍ لَکُمْ بَیْنَ یَدَىْ عَذابٌ شَدیدٌ

मैं तुम्हारे नबी की बेटी हूँ, मैं उसकी बेटी हूँ जिसने तुमको ईश्वर के अज़ाब से डराया है (मैं वह हूँ जिसका क्रोध ईश्वर का क्रोध है।

अब अगर ऐसा है और इसके बाद भी तुम लोग मेरी सहायता करने से इन्कार करते हो तो

فَكِيدُونِي جَمِيعًا ثُمَّ لَا تُنظِرُ‌ونِ (3) فَاعْمَلُوا اِنَّا عامِلُونَ، وَانْتَظِرُوا اِنَّا مُنْتَظِرُونَ. (4)

तुम सब मेरे विरुद्ध चालें चलो और देरी न करो, अपना कार्य करो और हम अपना काम करने वाले हैं और प्रतीक्षा करों हम भी प्रतीक्षा कर रहे हैं (कि ईश्वर किस प्रकार तुम को अज़ाब करेगा)

उसके बाद अपने फ़िर क़ुरआन की आयत पढ़ी:

وَقُلِ اعْمَلُوا فَسَيَرَ‌ى اللَّـهُ عَمَلَكُمْ وَرَ‌سُولُهُ وَالْمُؤْمِنُونَ (5)

तुम क्या यह समझते हो कि पैग़म्बर (स) की वफ़ात हो गई और सब कुछ समाप्त हो गया, अब पैग़म्बर (स)कुछ नहीं कर सकते हैं? तो याद रखों कि ख़ुद क़ुरआन कह रहा है कि पैग़म्बर (स) सब कुछ देख रहे हैं।

किस प्रकार तुम नमाज़ पढ़ते हो और उसमें कहते हो कि सलाम हो आप पर हे अल्लाह के नबी, किस प्रकार उस व्यक्ति को तुम सलाम कर रहे हो जो कि मर चुका है और तुम्हारे अनुसार अब उसका कोई अस्तित्व नहीं रह गया है?

क्या तुम को शर्म नहीं आती है कि अपनी नमाज़ों में उस नबीं पर सलाम भेजते हो जिसकी बेटी पर अत्याचार हुआ, जिसका हक़ छीना गया?

फिर आप फ़रमाती हैं:

ربنا احکم بیننا و بین قومنا بالحق و انت خیر الحاکمین

हे ईश्वर तू हमारे और हमारी क़ौम के बीच फ़ैसला कर और तू बेहतरीन फ़ैसला करने वाला है।

وَسَيَعْلَمُ الْكُفَّارُ‌لِمَنْ عُقْبَى الدَّارِ‌  (6)

अति शीघ्र पता चल जाएगा कि आख़ेरत किस के लिए है।

तुमको जो करना है करों लेकिन याद रखो कि ख़ुदा, पैग़म्बर (स) और मोमिनीन देख रहे हैं।

وَكُلَّ إِنسَانٍ أَلْزَمْنَاهُ طَائِرَ‌هُ فِي عُنُقِهِ  (7)

एक दिन आएगा कि जब जिसने जो भी कार्य किया होगा वह उसकी गर्दन में लटका दिया जाएगा।

فَمَن يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّ‌ةٍ خَيْرً‌ا يَرَ‌هُ . وَمَن يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّ‌ةٍ شَرًّ‌ا يَرَ‌هُ (8)

उस समय हर चीज़ मालूम हो जाएगी जिसने एक ज़र्रा भी नेकी की होगी वह उसको देखेगा और जिसने छोटी सी भी बुराई की होगी उसे देखेगा।

अबूबक्र का उत्तर

सबसे पहले तो अबूबक्र ने टालमटोल की। लेकिन यह फ़ातेमा (स) कौन हैं? उनकी महानता का यह आलम था कि जब नजरान के ईसाईयों ने आपको देखा तो कहने लगे कि हम ऐसे चेहरों को देख रहे हैं कि अगर यह पहाड़ की तरफ़ इशारा कर दें तो वह अपने स्थान से हट जाएं अगर इन लोगों ने दुआ कर दी दो इस धरती से सारे ईसाईयों का नाम व निशान मिट जाएगा, इन से मुबाहेला न करना।

इस फ़ातेमा (स) के सामने अबूबक्र कहते हैं:

لا یُحِبُّکُمْ اِلاَّ سَعیدٌ، وَلا یُبْغِضُکُمْ اِلاَّ شَقِیٌّ بَعیدٌ

आप को केवल भाग्यवान इन्सान दोस्त रखेगा और आपसे केवल वही व्यक्ति दुश्मनी करेगा जिसका भाग्य बुरा होगा।

जाली और गढ़ी हुई हदीस

फ़िर अबूबक्र कहते हैं

وَاَنْتِ یا خِیَرَةَ النِّساءِ وَابْنَةَ خَیْرِ الْاَنْبِیاءِ، صادِقَةٌ فِي قَوْلِکِ

आप सच कह रही हैं

سابِقَةٌ فِي وَ فُورِ عَقْلِکِ، غَیْرَ مَرْدُودَةٍ عَنْ حَقِّکِ

अक़्ल के चश्में आप से फूटते हैं हमने आपको आपके हक़ से दूर नहीं किया है। मैंने पैग़म्बर (स) की आज्ञा से यह कार्य किया है।

उसके बाद अबूबक्र एक अजीब बात कहते हैं कि हर कौम में अग्रणीय लोग झूठ नहीं बोलते हैं और हम इस्लाम में अग्रणीय हैं।

मैं एक प्रश्न करता हूँ, कि पैग़म्बर(स)  की बेसत के अन्तिम सालों में जब इस्लाम नजरान के ईसाईयों के सामने रखा जाता है तो , इन अग्रणीय लोगों के माध्यम से नहीं रखा जाता है और इस्लाम को इन लोगों के माध्यम से परिचित नहीं कराया जाता है, बल्कि पैग़म्बर  (स) के छोटे छोटे नवासे हसन (अ) और हुसैन (अ) के माध्यम से पहचनवाया जाता है। क्या अग्रणीय होना श्रेष्ठता की दलील है?

उसके बाद हज़रते ज़हरा (स) से अबूबक्र कहते हैं

،{و قد قلت و ابلغت و اغلظت فاهجرت} اً، اَنّی سَمِعْتُ رَسُولَ‏ الله یَقُولُ

आप जो कहना चाहती थी, कहा, पूर्णरूप से कहा क्रोध और सख़्ती से कहा, लेकिन मैंने पैग़म्बरे इस्लाम (स) से सुना है कि आपने फ़रमायाः

نَحْنُ مَعاشِرَ الْاَنْبِیاءِ لا نُوَرِّثُ ذَهَباً وَلا فِضَّةًّ {ولا ارضا}، وَلا داراً وَلا عِقاراً، وَاِنَّما نُوَرِّثُ الْکِتابَ وَالْحِکْمَةَ وَالْعِلْمَ وَالنُّبُوَّةَ، وَما کانَ لَنا مِنْ طُعْمَةٍ فَلِوَلِیِّ الْاَمْرِ بَعْدَنا

पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया है किः हम नबी मीरास नहीं छोड़ते हैं न सोना न चाँदी, न ज़मीन न घर न घर का सामना कुछ भी नहीं और हम मीरास के तौर पर जो कुछ छोड़ते हैं वह किताब है हिकमत है, ज्ञान है, नुबूवत है, अगर हम से दुनियावी माल बचा रह जाए तो वह हमारे बाद होने वाले वली के लिए है।

यह बातें बहुत ही आश्चर्य जनक हैं सोंचने वाली बात है कि पैग़म्बर (स) ने यह तो कहा कि अगर कुछ बचे तो वह मेरे बाद के वली के लिए है लेकिन ख़ुद वली और उत्तराधिकारी के संबंध में कुछ नहीं फ़रमाया!!!

पैग़म्बर ने यह नहीं बताया कि उत्ताधिकारी कौन होगा लेकिन यह बताया है कि उसे क्या मिलेगा!! है न आश्चर्य की बात।

यानी पैग़म्बर ने उत्तराधिकारी चुनने की ज़िम्मेदारी मुसलमानों के हाथ में दे दी लेकिन उसे क्या मिलेगा इसके बारे में बता दिया!!!

इसे कम से कम मेरी अक़्ल स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

चलो अगर यह मान भी लिया जाए कि दुनियावी माल पैग़म्बर मीरास में नहीं छोड़ते है लेकिन यह किताब और हिकमत आदि छोड़ते हैं, तो हमारा प्रश्न यह है कि यह चीज़ें किस को मिली?

यह फ़ज़ाएल, यह किताब यह हिकमत किस को मिली?

क्या यह संभव है कि किसी क़ौम में किसी व्यक्ति को पैग़म्बर की तरफ़ से किताब, हिकमत और ज्ञान मीरास में मिले उसके बावजूद वह पैग़म्बर का उत्तराधिकारी न हो?!!!

दूसरा प्रश्न यह है कि यह किताब, हिकमत आदि जो मीरास में छोड़ी गई है, वह फ़ातेमा (स) को मीरास के तौर पर मिली या नहीं? और जिसको पैग़म्बर की तरफ़ से ज्ञान और इल्म मीरास के तौर पर मिला हो वह झूठा दावा करता है?

उसके बाद अबूबक्र कहते हैं

، وَذلِکَ بِاِجْماعِ الْمُسْلِمینَ، لَمْ اَنْفَرِدْ بِهِ وَحْدى

मैंने यह कार्य मुसलमान के इजमाअ और उनके एकमत होने से किया है, और मैंने यह कार्य अकेले नहीं किया है।

मुसलमानों का इजमाअ हुआ है। यहा पर पहले ख़लीफ़ा कहना क्या चाह रहे हैं? वह कहना यह चाह रहे हैं कि हे फ़ातेमा (स) आप जो मुसलमानों के इजमाअ में नहीं थी, हे अली (अ) तुम जो इस इजमाअ का हिस्सा नहीं थे, हे उम्मे एमन (स) आपको जो इस इजमाअ में समिलित नहीं किया गया, अब्बास तुम जो इस इजमाअ में नहीं थे, तो तुम लोगों का इस इजमाअ में समिलित न होना मुसलमानों के इजमाअ को कोई हानि नहीं पहुंचाता है। मुसलमान सब एकमत हैं। (यानी कहना यह चाह रहे हैं कि तुम लोग मुसलमान नहीं हो, इसीलिए तुम लोगों का मुसलमानों के इजमाअ में समिलित होना या न होना कोई अंतर नहीं रखता है)

यह वह स्थान है जब आँखों के सामने कर्बला की घटना घूम जाती है कि जब कहा गया कि यह एक ख़ारेजी का सर है।

अब उस हदीस का वास्तविक मतलब समझ में आता है कि जब मासूम ने फ़रमायाः

اذا کتب الکاتب قتل الحسین

जब किताबत लिखी गई तो हुसैन (अ) शहीद हो गए।

अबूबक्र से संबोधन

जब अबूबक्र ने यह सब कहा तो हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) ने अबूबक्र को संबोधित किया और फ़रमायाः

فقالت: سُبْحانَ ‏الله، ما کانَ اَبي رَسُولُ ‏الله عَنْ کِتابِ الله صادِفاً

सुब्हान अल्लाह, तुम जो यह बात कह रहे हो वह क़ुरआन के विरुद्ध है, तुम जो यह कह रहे को कि पैग़म्बर मीरास नहीं छोड़ते हैं यह क़ुरआन के विरुद्ध बात है, इस प्रकार तो तुम ख़ुद पैग़म्बर (स) को क़ुरआन का विरोधी बता रहे हो। याद रखो कि मेरे पिता ने क़ुरआन से मुंह नहीं मोड़ा था और उसके विरुद्ध कार्य नहीं किया।

फिर आप फ़रमाती हैं:

، اَفَتَجْمَعُونَ اِلَى الْغَدْرِ اِعْتِلالاً عَلَیْهِ بِالزُّورِ؟

क्या तुम सब लोग मेरे बारे में बेवफ़ाई करने पर एकमत हो गए हो?

यह तुम लोगों की बेवफ़ाई जानते हो किस बेवफ़ाई की तरह है?

وَهذا بَعْدَ وَفاتِهِ شَبیهٌ بِما بُغِیَ لَهُ مِنَ الْغَوائِلِ فِي حَیاتِهِ

पैग़म्बर (स) की वफ़ात के बाद तुम्हारा यह कार्य उन फ़ितनों का भाति है जो तुम उनके जीवन में किया करते थे।

क़ुरआन में नबियों की मीरास

फ़िर हज़रते ज़हरा (स) फ़रमाती हैं:

هذا کِتابُ الله حُکْماً عَدْلاً وَناطِقاً فَصْلاً، یَقُولُ{عن نبی من انبیائه}: «یَرِثُنی وَ یَرِثُ مِنْ الِ ‏یَعْقُوبَ»(9)، وَیَقُولُ: «وَوَرِثَ سُلَیْمانُ داوُدَ (10)».

तुम यह कह रहे हो कि नबी मीरास नहीं छोड़ते हैं लेकिन क़ुरआन यह कह रहा है कि नबी मीरास छोड़ते हैं, क़ुरआन नबियों में से एक नबी के बारे में कहता है कि “मुझे बेटा दे जो मुझसे और आले याक़ूब से मीरास पाए”, लेकिन तुम यह कहते हो कि नबी मीरास नहीं छोड़ते हैं!!

क़ुरआन कहता है कि “सुलैमान से दाऊद से मीरास पाई”, लेकिन तुम...

کَلاَّ بَلْ سَوَّلَتْ لَکُمْ اَنْفُسُکُمْ اَمْراً، فَصَبْرٌ جَمیلٌ وَالله الْمُسْتَعانُ عَلى ما تَصِفُونَ

हरगिज़ नहीं बल्कि तुम्हारे नफ़्सों ने तुम पर अधिकार कर लिया है, हम सब्र करेंगे और हम ईश्वर से सहायता मांगेंगे।

و قد علمت ان "النبووة" لا تورث

(यह दोनों लोग जिनके बारे में क़ुरआन ने फ़रमाया है नबीं हैं और) तुम भी जानते हो कि नुबूवत की उपाधि मीरास में नहीं जाती है।

पैग़म्बर ने कितनी बार कहा था कि

انت منی بمنزلة هارون من موسی الا انه لا نبیا بعدی

हे अली तुम मेरे लिए हारून की भाति हो जो वह मूसा के लिए थे लेकिन मेरे बाद कोई नबी नहीं होगा

अगर पैग़म्बर (स) से मीरास पहुंचेगी तो भी हमारी बात सही है और अगर नहीं पहुंचेगी तो भी हमारी ही बात सही है।

अगर मीरास पहुंचेगी तो वह हमको मिलनी चाहिए, अगर नहीं पहुंचेगी तब भी हमारी बात सही है क्योंकि तुम क़ुरआन के विरुद्ध बात कह रहे हो।

و قد علمت ان "النبووة" لا تورث و انما تورث ما دونها فما لی امنع ارث ابی؟

मेरे पिता की मीरास क्यों नहीं दे रहे हो?

उसके बाद अपने एक ऐसा जुम्ला फ़रमाया है जो हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) की मज़लूमियत को दर्शाता है आप फ़रमाती हैं:

اانزل الله فی کتابه: "الا فاطمة بنت محمد"؟!

क्या ख़ुदा ने अपनी किताब क़ुरआन में मीरास की सारी आयतों को बयान करने के बाद एक बात कही है कि सबको मीरास मिलेगी सिवाय फ़ातेमा बिन्ते मोहम्मद (स) के? सबको सबसे मीरास मिलेगी सिवाय फ़ातेमा के?

फ़ातेमा को अबूबक्र का उत्तर

یا بنت رسول الله انت عین الحجة و منطق الحکمة

हे पैग़म्बर (स) की बेटी आप अस्ले दलील और हिकमत की ज़बान हैं।

फिर अबूबक्र कहते हैं

 لا ادلی بجوابک و لا ادفعک عن ثوابک

मैं आपका उत्तर नहीं दे सकता हूँ और मेरे पास आपकी बात का कोई उत्तर नहीं है, और मैं आपको नहीं झुठला सकता हूँ (आपकी बात सही है)

و لکن المسلمون بینی و بینک هم قلدونی ما قلدت و باتفاق منهم اخذت ما اخذت

लेकिन हमारे और आपके बीच यह मुसलमान हैं, मुसलमान इस बात पर एकमत हो गए और कहा कि यह कार्य कर दो (फ़िदक छीन लो) हमने यह कार्य कर दिया।

، غَیْرَ مَکابِرٍ وَلا مُسْتَبِدٍّ وَلا مُسْتَأْثِرٍ، وَهُمْ بِذلِکَ شُهُودٌ

और हमने यह कार्य बिना किसी बुरी सोंच और जबर्दस्ती के और बिना दूसरों को प्राथमिक्ता दिये किया है।

मुसलमानों से संबोधन

जब पहले ख़लीफ़ा ने यह कहा कि मैंने यह कार्य मुसलमानों के कहने से किया है, तो आपने मुसलमानों की तरफ़ चेहरा किया और उनको संबोधित करते हुए फ़रमायाः

فالتفت فاطمة علیهاالسلام الى الناس، وقالت  مَعاشِرَ الْمُسْلِمینَ الْمُسْرِعَةِ اِلى قیلِ الْباطِلِ الْمُغْضِیَةِ عَلَى الْفِعْلِ الْقَبیحِ الْخاسِرِ

फ़ातेमा (स) लोगों की तरफ़ मुतवज्जेह हुईं और फ़रमायाः हे वह लोग जो तेज़ी के साथ बातिल की तरफ़ चले गए और हक़ से मुंह फिरा लिया, हे वह लोग जो अपनी ख़ामोशी से राज़ी हो गए,

أَفَلَا يَتَدَبَّرُ‌ونَ الْقُرْ‌آنَ أَمْ عَلَىٰ قُلُوبٍ أَقْفَالُهَا  (11)

तुम लोग क़ुरआन में ग़ौर एंव चितन नहीं करते हो? तुम लोग ख़ुदा के कलाम के बारे में सोंचते नहीं हो?

کَلاَّ بَلْ رانَ عَلى قُلُوبِکُمْ ما اَسَأْتُمْ مِنْ اَعْمالِکُمْ

तुम्हारे दिलों पर ताले लग चुके हैं, चो चीज़ इन दिलों को समझना चाहिए वह नहीं समझते हैं।

، فَاَخَذَ بِسَمْعِکُمْ وَاَبْصارِکُمْ، وَلَبِئْسَ ما تَأَوَّلْتُمْ، وَساءَ ما بِهِ اَشَرْتُمْ، وَشَرَّ ما مِنْهُ اِعْتَضْتُمْ

तुम लोगों ने बुरी तावील की, बुरा मशविरा किया, वह बुराई जिसके साथ कोई नेकी नहीं है उसको अपनी आख़ेरत के लिए भेजा है।

ख़ुत्बे का प्रभाव

रिवायत कहती है कि हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) के ख़ुत्बे का प्रभाव इतना अधिक हुआ कि पूरे मदीने में हलचल मच गई, हर कोई रो रहा था, सब सोंच रहे थे कि हमने यह क्या कर दिया?

فلم یر بعد الیوم الذی قبض فیه رسو الله اکثر باکیا من ذلک الیوم و ارتجت المدینة...

रावी कहता हैः हज़रते ज़हरा (स) के ख़ुत्बे के बाद मर्द और औरत इतना रोये कि जैसा कभी नहीं देखा गया था, और मदीने में एक कोहराम मच गया, और लोगों में कोहराम मच गया और सबकी आवाज़ें बुलंद हो गईं।

अब किसी को यह नहीं सोंचना चाहिए कि एक ज़ैनब (स) के कैसे शाम में हज़ारों की भीड़ में कोहराम मचा दिया, ज़ैनब (स) ने मदीने में अपनी माँ का ख़ुत्बा देखा था।

फ़ातेमा (स) के ख़ुत्बे के बाद अबूबक्र और उमर के बीच की बातचीत

लोगों ने जब हज़रते ज़हरा (स) का यह ख़ुत्बा सुना तो लोगों को अफ़सोस हुआ, कि लानत हो हम पर, यह हमने क्या कर दिया हमने नबीं की बेटी का हक़ छीन लिया...

जब अबूबक्र और उमर ने जब लोगों के बदलते हुए हालात को देखा तो उनको चिंता हुई और उनको लगा कि यह कार्य कहीं उलटा न पड़ जाए तो उस समय उमर ने अबूबक्र से कहा कि चिंता न करों यह केवल एक उबाल की भाति है जो बहुत जल्द बैठ जाएगा, और यह केवल एक क्षण भर था जो समाप्त हो गया।

जिन लोगों ने कर्बला में हुसैन (अ) को क़त्ल किया था उन्होंने भी यही सोंचा था कि हुसैन (अ) शहीद हो गए सब समाप्त हो गया, और इन लोगों ने हुसैन (अ) को दफ़्न भी नहीं किया छोड़ कर चले गए लेकिन शायद उनको यह पता नहीं था कि हुसैन (अ) की शहादत से कर्बला समाप्त नहीं हुई हैं बल्कि अब तो वास्तविक कर्बला का आरम्भ हुआ है।

इसी प्रकार हज़रत फ़ातेमा (स) की बातें इतिहास के पन्नों में बाक़ी रह गईं

 هل هی الا غمزة انجلت و ساعة انقضت و کان ما قد کان لم یکن

क्या यह एक उबाल था जो बैठ गया? या यह एक क्षणिक चीज़ थी जो समाप्त हो गई?

लोगों को अबूबक्र का धमकी भरा संदेश

लेकिन जब इन लोगों ने देखा कि यह समाप्त होने वाली चीज़ नहीं है, मदीने में हलचल मची हुई है मर्द और औरतें रो रहे हैं, कभी भी कुछ भी हो सकता है तो अबूबक्र से संदेश दिया कि सब लोग मस्जिद में आ जाएं हमको मुसलमानों से बात करनी है।

ثم نادی الصلاة جامعة

सब लोगों को आदेश दिया गया कि मस्जिद में आ जाएं जब सब लोग मस्जिद में आ गए तो अबूबक्र मिम्बर पर गए और कहाः

ایها الناس ما هذه الرعة و مع کل قالة امنیة؟

हो लोगों यह तुम लोग क्या कह रहे हो, यह तुम्हारी क्या हालत है, यह तुम लोग क्या आरज़ू कर रहे हो।

एक बात कही गई और समाप्त हो गई अब तुम लोगों ने उसपर यह क्या काश काश लगा रखा है? क्यों कि लोग आपके (स) ख़ुत्बे के बाद कह रहे थे काश हमने यह न किया होता, काश हम चुप न रहे होते...

यह तुम लोग क्या कर रहे हो? यह कैसी बातें कर रहे हो? यह क्या काश काश लगा रखा है?

این کانت هذه الامانی فی عهد نبیکم؟

पैग़म्बर (स) के ज़मानें में क्यों यह आरज़ुएं नहीं कर रहे थे, उस समय क्यों ऐसी बातें नहीं कर रहे थे?

فمن سمع فلیقل و من شهد فلیتکلم

जिसने सुना है वह बोले और जिसने देखा है वह आकर गवाही दे।

इस बात को समझाने के लिए आवश्यक है कि हम आपके सामने एक क़बीले और सक़ीफ़ा की बात बता दें।

सक़ीफ़ा की घटना कोई ऐसे ही नहीं हो गई थी बल्कि यह इन लोगों की सोची समझी चाल थी सक़ीफ़ा बनी साएदा में इन लोगों ने बनी असलम क़बीले से संधि की कि देखो जब हम कहें तो मदीने में घुस जाना और जो भी हमारा विरोध करे उसको वही मार देना, इन लोगों से कहा गया कि अगर तुम लोगों ने हमारी बात मान ली तो हम तुमसे टैक्स नहीं लेगें और तुमको सारी सुविधाएं भी देंगे।

इस संधि को ध्याम में रखते हुए अब अबूबक्र से इस प्रश्न को देखें कि वह कह रहे हैं कि जिसने भी सुना है वह बोले और जिसने भी देखा है वह गवाही दे।

अब किसमें इतनी हिम्मत है जो वह बोल दे और कौन ऐसा है जो अब इन लोगों का विरोध कर सके क्यों कि उसको पता है कि अगर ज़बान खोली तो गर्दन काट दी जाएगी।

कोई नहीं बोला!!!

फिर अबूबक्र कहते हैं:

کلا بل هو ثعالة شهیده ذنبه

यह एक ऐसा जुम्ला है जिस पर जितना भी आँसू बहाया जाए कम है।

अगर कोई इन्सान चालबाज़ हो तो उसको धोखेबाज़ कहा जाता है, और अगर और अधिक चालबाज़ होतो उसको मक्कार कहा जाता है, और अगर और अधिक चालबाज़ हो तो उसको कहा जाता है कि यह लोमड़ी है, लेकिन अगर कोई बहुत ही अधिक चालबाज़ हो तो उसके लिए कहा जाता है कि यह वह लोमड़ी है जिसकी गवाह स्वंय उसकी दुम है,

यह अरब की एक मसल है जो किसी के बहुत अधिक चालबाज़ और मक्कार होने को दर्शाने के लिए प्रयोग की जाती है, और अफ़सोस की बात यह है कि मुसलमानों के पहले ख़लीफ़ा ने यह मसल नबी की बेटी हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) के लिए प्रयोग की है।

बात केवल यहीं पर समाप्त नहीं हो गई कि अबूबक्र ने नबी की बेटी की शान में केवल यही गुस्ताख़ी की हो। नहीं! बल्कि इसके बाद जो वाक्य नबीं की बेटी के लिए अबूबक्र ने प्रयोग किए हैं वह कोई मुसलमान तो दूर की बात है कोई शरीफ़ इन्सान भी प्रयोग नहीं कर सकता है।

अबूबक्र कहते हैं:

مرب لکل فتنة یقول: کروها جذعة ابتغاء الفتنة من بعد ما هرمت کان طحال احب اهلها الغوی...

हर फ़ितने को यह पालते हैं और कहता है फ़ितने को उसके स्थान पर पलटा दो, फ़ितना चाहता है.....

आगे के वाक्य इतने अधिक भद्दे हैं कि इन्सान उनका अनुवाद तक नहीं कर सकता है, यह कैसा मुसलमानों का ख़लीफ़ा है जिसको यह शब्द बोलते हुए शर्म नहीं आई?

हम केवल इशारों में बयान कर सकते हैं,

अरब में कुछ लोग ऐसे थे जो अपने कुकर्मो और बुरे कार्यों के कारण प्रसिद्ध थे जिनमें से एक उम्मे तहाल थी...

یستعینون بالصبیة و یستنهضون النساء

अबूबक्र के इन शब्दों से पता चलता है कि हज़रते ज़ैनब (स) भी अपने मां के पास ही थीं।

इन्सान जब इन शब्दों को देखता है तो शाम का वह मंज़र याद आ जाता है कि जब अकेली ज़ैनब (स) छोटे छोटे बच्चों के साथ थीं और कोई सहायता करने वाला नहीं था।

उसके बाद अबूबक्र कहते हैं कि जो भी आए और गवाही दे हम उसके बहुत सारा इनआम (शायद तलवार की तरफ़ इशारा किया जा रहा हो) दिया जाएगा।

उम्मे सलमा का लोगों से ख़िताब

जब पैग़म्बर की बेटी की शान में अबूबक्र ने यह गुस्ताख़ी की तो उम्मे सलमा खड़ी होती है और फ़रमाती हैं:

المثل فاطمة بنت زسول الله یقال هذا؟

क्या पैग़म्बर (स) की बेटी के लिए इस प्रकार के शब्द प्रयोग किये जाएंगे? क्या उनके लिए इस प्रकार की मसल का प्रयोग किया जाएगा?

जब्कि फ़ातेमा (स)

و هی الحوراء بین الانس و الانس للنفس ربیت فی حجور النساء و تداولتها ایدی الملائکة

लोगों के बीच हूर थी स्वर्ग की जो पैग़म्बर (स) के लिए मोनिस थीं जो नबियों के बीच तरबियत पाईं हैं। जिनको फ़रिश्तों ने खिलाया है।

उम्मे सलमा क्या कह रही हैं?  उम्मे सलमा फ़ातेमा (स) की पवित्रता और उनकी तहारत को बयान कर रही हैं।

लेकिन यह याद रखना चाहिए कि हमारी रिवायतों में भी आया है कि जिसका ईमान जितना अधिक होगा उसकी मुसीबतें भी उतनी ही अधिक होगीं।

अगर हज़रते ज़हरा (स) हज़रते मरयम (स) से अधिक फ़ज़ीलत रखती हैं तो उनकी मुसीबतें भी हज़रत मरयम (स) से अधिक हैं।

उसके बाद उम्मे सलमा कहती हैं:

ا تزعمون ان رسول الله حرم علیها میراثه و لم یعلمها؟

क्या तुम लोग यह समझते हो कि पैग़म्बर (स) ने अपनी मीरास को उनसे हराम किया और उनको इसकी ख़बर भी न दी?

जब्कि क़ुरआन में कहा गया है

وَأَنذِرْ‌عَشِيرَ‌تَكَ الْأَقْرَ‌بِينَ  (12)

ख़ुदा ने अपने नबी से कहा कि पहले अपनी क़रीबियों को डराओ।

तो क्या

افانذرها و جائت تطلبه؟!

पैग़म्बर (स) ने फ़ातेमा (स) को डराया लेकिन फ़ातेमा (स) उसके बावजूद मीरास मांग रहीं हैं?

जब्कि

و هی خیرة النسوان و ام سادة الشبان و عدیلة {مریم} ابنة عمران

फ़ातेमा (स) इस संसार की सबसे बेहतरीन महिला और जन्नत के सरदारों की माँ और मरयम के बराबर हैं।

ग़दीर के सम्बन्ध में राफ़े इब्ने रोफ़ाआ से संबोधन

उसके बाद राफ़े इब्ने रोफ़ाआ नामी व्यक्ति ने कहाः

یا سیدة النساء لو کان ابوالحسن تکلم فی هذا الامر و ذکر الناس...

अगर इस संधि को होने से पहले अली (अ) आए होते और लोगों को इस बारे में बताया होता तो कोई उनको दूर नहीं करता और कोई उनका दामन नहीं छोड़ता

उसके उत्तर में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) ने फ़रमायाः

الیک عنی! فما جعل الله لاحد بعد غدیر خم من حجة ولا عذر

मुझ से दूर हो जाओ! क्योंकि ग़दीर के बाद किसी के पास कोई बहाना नहीं रह जाता है। तुम सब ने ग़दीर में अली (अ) की बैअत की थी अली (अ) तुमसे आकर क्या कहते? कहां पर कहते?

अगर एक इन्सान मर जाता है तो वाजिब क्या है?

उसको दफ़्न किया जाना।

उसके बाद आगे की घटना है कि इसके बाद आपकी बीमारी गंभीर हो जाती है और आपको देखने के लिए मदीने की औरते आती हैं तो आप उनसे क्या फ़रमाती हैं?

और यह प्रश्न की पैग़म्बर की बेटी को क्या कहा गया जिसने आपके पूरे अस्तित्व को दुखी कर दिया।

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1. सूरा इब्राहीम आयत 9

2. सूरा इब्राहीम आयत 9)

3. सूरा हूद आयत 55

4. सूरा हूद आयत 121, 122

5. सूरा तौबा आयत  105

6. सूरा राद आयत 42

7. सूरा असरा आयत 13

8. सूरा ज़िलज़ाल आयत 7 और 8

9. सूरा मरयम आयत 6

10. सूरा नमल आयत 16

11. सूरा मोहम्मद आयत 24

12. सूरा शोअरा आयत 214

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