इमाम हुसैन की याद में अपना ख़ून बहाने वालों को हसन नसरुल्लाह की चुनौती + वीडियो

सीरिया में तकफ़ीरी आतंकवाद और लेबनान की दक्षिणी सीमा पर ज़ायोनियों से लोहा लेने वाले हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने कर्बला में इमाम हुसैन (अ) की क़ुर्बानी के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए कहा है मक्का से कर्बला तक के रास्ते और ख़ुद कर्बला

सीरिया में तकफ़ीरी आतंकवाद और लेबनान की दक्षिणी सीमा पर ज़ायोनियों से लोहा लेने वाले हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने कर्बला में इमाम हुसैन (अ) की क़ुर्बानी के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए कहा है मक्का से कर्बला तक के रास्ते और ख़ुद कर्बला में जो हुआ वह इन्सानी इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण शौर्य गाथा है।

उन्होंने इमाम हुसैन की याद में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कर्बला का एक दूसरा रुख़ बहुत ही दुखभरा और पीड़ादायक है। लेकिन कर्बला की पूरी लड़ाई में धैर्य और सब्र का उत्कृष्ट उदाहरण देखने को मिलता है। कर्बला में इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बाद यह धैर्य हमें कूफ़ा और उसके बाद शाम (सीरिया) और शाम से पवित्र शहर मदीना तक देखने को मिलता है।

हसन नसरुल्लाह का कहना था कि इमाम हुसैन (अ) की शहादत जब भी बयान की जाए तो इस शहादत के उद्देश्य पर भी प्रकाश डाला जाना चाहिए। ऐसा न हो कि कोई व्यक्ति यह कहे कि इमाम हुसैन की शहादत के बाद क्योंकि उनकी बहन हज़रत ज़ैनब का हिजाब छिन गया था, इसलिए हमें भी हिजाब से परहेज़ करना चाहिए।

हिज्बुल्लाह प्रमुख का कहना था कि आज अज़ादारी के नाम पर कुछ लोग इमाम हुसैन (अ), अहले बैत और पैग़म्बरे इस्लाम (स) का अपमान कर रहे हैं। इस तरह के अपमानजनक कार्यों को सहन नहीं किया जा सकता। ऐसे लोग जो तस्वीर दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं, वह झूठी है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के कृत्य भविष्य में आशूर के दिन या मोहर्रम में अंजाम नहीं दिए जायेंगे।

उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि कुछ लोग इमाम हुसैन (अ) से मोहब्बत का दावा करते हैं, लेकिन उनकी याद में ऐसे कार्य करते हैं, जो निश्चित रूप से इमाम हुसैन के उद्देश्यों के एकदम विपरीत हैं।

उन्होंने ऐसे लोगों से सवाल करते हुए कहा कि क्यों यह लोग इमाम हुसैन के उद्देश्यों, पवित्र स्थलों और हज़रत ज़ैनब के मज़ार की रक्षा के लिए आगे नहीं आ रहे हैं?

हिज़्बुल्लाह प्रमुख ने पूछा कि जो लोग इमाम हुसैन (अ) की याद में अपना ख़ून बहाते हैं (क़मा ज़नी) जब शिया धर्म, शियों के पवित्र स्थलों और पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के मज़ारों पर वक़्त पड़ा तो वे कहां ग़ायब थे और ग़ायब हैं?

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