मच्छर पर सवार वहाबियों का ख़दा

इब्ने तैमिया और दूसरे वहाबियों ने ईश्वर के सम्बंध में ऐसी ऐसी बातें कहीं है कि जिनके बारे में एक मुसलमान तो दूर की बत ग़ैर मुसलमान भी सोंच नहीं सकता है जैसे उनका कहना है कि ईश्वर मच्छर पर बैठकर सवारी करता है...

बुशरा अलवी

इब्ने तैमिया और दूसरे वहाबियों ने ईश्वर के सम्बंध में ऐसी ऐसी बातें कहीं है कि जिनके बारे में एक मुसलमान तो दूर की बत ग़ैर मुसलमान भी सोंच नहीं सकता है जैसे उनका कहना है कि ईश्वर मच्छर पर बैठकर सवारी करता है, ईश्वर एक ऐसा युवा है कि जिसके घुंघराले बाल हैं, ईश्वर की आंखें आ जाती हैं और फ़रिश्ते उसकी देखभाल के लिए जाते हैं, ईश्वर पैग़म्बर से हाथ मिलाता है, ईश्वर के जूते सोने के हैं, ईश्वर की कमर, बाज़ू, और उंगलियां हैं, उसे आश्चर्य होता है और वह हंसता है इत्यादि...

 

इब्ने तैमिया ख़ुदा द्वारा मच्छर की सवारी के बारे में कहता हैः

ولو قد شاء لاستقرّ على ظهر بعوضة فاستقلّت به بقدرته ولطف ربوبيّته فكيف على عرش عظيم

अगर वह चाह जाए तो वह मच्छर की पीठ पर भी सवार हो सकता है तो वह कैसे अर्श पर नहीं रुक सकता है (1)

सूरए अन्कबूत की 68वीं आयत में ईश्वर उन लोगों को नास्तिक कहता है जो उस पर झूटे और अनेकेश्वरवादी आरोप लगाते हैं। वह कहता है कि उससे बड़ा अत्याचारी कौन है कि जो ईश्वर पर झूटा आरोप लगाये या उस पर सत्यता के उजागर हो जाने के बाद उसे झुठला दे? क्या नास्तिकों का स्थान नर्क में नहीं है?

नहजुल बलाग़ा में हज़रत अली (अ) का दार्शनिक कथन है कि ... क़ुरआन में एकेश्वरवाद के बारे में आया है कोई भी वस्तु उसके समान नहीं है, अतः किसी भी चीज़ को ईश्वर के समरूप समझना मिथ्या एवं भ्रम है, और जिस किसी ने भी ईश्वर को किसी चीज़ के समान समझा उसने लक्ष्य को गुम कर दिया, यदि इस प्रकार ईश्वर का गुणगान किया कि जिसका परिणाम समरूपता हो तो वास्तव में उसने प्राणी का वर्णन किया न कि स्वयं उसका इसलिए कि वह किसी भी चीज़ के समान नहीं है, इस लिए जिस किसी ने ईश्वर को किसी चीज़ के सदृश्य जाना तो उसने ईश्वर की अनुभूति प्राप्ति के मार्ग को छोड़ दिया और लक्ष्य को गुम कर दिया, और जो कोई ईश्वर की ओर इशारा करे या उसे अपने मन में सोचे तो वास्तव में उसने उसे नहीं पहचाना।

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(1)अत्तासीस फ़ी रद्द अस्सस अलतक़दीस, इब्ने तैमिया हर्रानी, जिल्द 1, पेज 101

 

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