ईरान जाने वाले एक हिन्दु की आपबीती

आज कुछ वहाबी मुल्कों की घिनौनी हरकतों की वजह से पूरे इस्लामिक जगत के मुल्कों के बारे में आम जनता के बीच में कुछ गलत धारणाएं बन गयी हैं जो कि बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ चंद देशों की गलत करतूतों की वजह से...

आज कुछ वहाबी मुल्कों की घिनौनी हरकतों की वजह से पूरे इस्लामिक जगत के मुल्कों के बारे में आम जनता के बीच में कुछ गलत धारणाएं बन गयी हैं जो कि बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ चंद देशों की गलत करतूतों की वजह से सभी इस्लामिक मुल्कों के बारे में गलत धारणाएं बनाना ईरान जैसे मुल्कों के साथ नाइंसाफी होगा। 1 से 7 जून तक मैंने दिल्ली में स्थित ईरानियन कल्चरल हाउस के न्यौते पर 7 दिवसीय ईरान की यात्रा की। इस लेख के जरिये मेरी कोशिश ये है कि में इन 7 दिनों के अपने अनुभवों के आधार पर समाज के बीच बनी हुई इन गलत धारणाओं को दूर कर पाऊं।

एक सबसे गलत धारणा जो लोगों में है वो ये कि कोई गैर मुस्लिम आसानी से किसी इस्लामिक मुल्क के अंदर नही रह सकता। मैं एक हिन्दू हूँ और में यह पूरी ज़िम्मेवारी के साथ कह सकता हूँ कि मेरी 7 दिवसीय यात्रा के दौरान मुझे धर्म के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव का सामना नही करना पड़ा और ईरानी लोग हिंदुस्तान के लोगों से बहुत प्यार करते हैं और महात्मा गांधी के लिए उनके दिल में बहुत सम्मान है। ईरान की व्यवस्था को नजदीक से देखने पर मुझे एहसास हुआ कि यह व्यवस्था बहुत हद तक महात्मा गांधी की सोच से मिलती है, वहां की संस्कृति में महात्मा गांधी जी का सर्व धर्म समभाव वाला सिद्धांत मुझे देखने को मिला। वहां की संस्कृति में मुझे आपार सहिष्णुता देखने को मिली। वहां पर रहने वाले कुछ भारतीयों से भी मुझे पता चला कि उन्हें किसी भी तरह के भेदभाव का सामना आज तक नहीं करना पड़ा है। यह बात सच है कि कुछ इस्लामिक देशों में धार्मिक भेदभाव होता है लेकिन मेरा यकीन मानिए कि ईरान में आपको किसी भी तरह का धार्मिक भेदभाव देखने को नही मिलेगा।

मैदाने आज़ादी

एक दूसरी जो गलत धारणा लोगों के मन में है वो ये कि सभी इस्लामिक मुल्कों में औरतों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं हैं और उनका बहुत उत्पीड़न होता है। यह बात सत्य है की सऊदी अरब व अन्य कुछ मुल्कों में महिलाओं के साथ बहुत बुरा सलूक किया जाता है लेकिन ईरान में आपको ऐसा कुछ भी देखने को नही मिलेगा। वहां पर महिलाओं को हर तरीके से आज़ादी है। वे नौकरी भी कर सकती हैं, अपना बिज़नेस भी चला सकती हैं, गाड़ी भी चला सकती हैं, ईरान की पार्लियामेंट में भी उनकी अच्छी खासी तादाद है। वहां पर हमने महिलाओं को रात 12 बजे भी अकेला घूमते देखा और बिना ही किसी भय के। वहां पर किसी की हिम्मत नहीं है कि कोई किसी महिला के साथ छेड़छाड़ कर दे। वहां की आईटी इंडस्ट्री में 60 फीसदी के आसपास महिलाएं हैं और पार्लियामेंट में महिला प्रतिनिधित्व के मामले में भी ईरान का स्थान दुनिया के अग्रणी मुल्कों में शामिल है। वहां ऐसी कोई बंदिश नही है कि हर महिला को बुरका पहनना ही पड़ेगा, यह उनका निजी मसला है। अगर वो पहनना चाहे तो पहन सकती हैं और न पहनना चाहे तो कोई जबरदस्ती नहीं है। यह जरूर है कि एक महिला का पहनावा ईरान की संस्कृति के हिसाब से होना चाहिए जिसका मैं खुद भी समर्थक हूँ। सिर्फ महिला का ही नहीं, एक पुरुष का पहनावा भी अपने मुल्क की संस्कृति के हिसाब से होना चाहिए। विकसित होने का मतलब कतई यह नहीं है कि आप अपनी संस्कृति को भूल जाएं।

एक तीसरी गलत धारणा लोगों के मन में ये है कि या तो इस्लामिक मुल्क विकसित नहीं हैं और अगर विकसित हैं तो सऊदी अरब और यू ए ई की तरह पश्चिमी मुल्क के लोगों के द्वारा उनका विकास किया गया है जिसके तहत वहां अपनी संस्कृति से दूर सिर्फ गगनचुम्बी इमारत बना दी गयी हों। ईरान में विकास का मॉडल इसके बिल्कुल विपरीत है। यहाँ का विकास अपनी संस्कृति को साथ में रख के हुआ है। यहाँ पर सांस्कृतिक विकास हुआ है। यहाँ की मज़ारों में की गयी नक्काशी आपको विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगी। नक्काशी के मामले में ईरान को पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। बारिश कम होने के बावजूद आपको तेहरान में हर जगह हरियाली देखने को मिलेगी, यहाँ पेड़ों के पत्तों पर भी आपको अजीब सी चमक देखने को मिलेगी। यहाँ पर सभी मूलभूत सुविधाएं हर नागरिक के लिए पर्याप्त मात्रा में और अच्छे स्वरूप में उपलब्ध हैं।

अंत में मैं ये ही कहना चाहूँगा कि हर इंसान को ज़िन्दगी में एक बार ईरान की यात्रा जरूर करनी चाहिए, जब आप ईरान में जायेंगे तो आपको इस्लाम का सबसे पवित्र स्वरूप देखने को मिलेगा। ईरान इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि अगर आप में आत्मविश्वास है और संघर्ष करने की भावना है तो आप अमेरिका जैसे साम्राज्यवादी और शक्तिशाली मुल्क को भी सफलतापूर्वक चुनौती दे सकते हैं।

अभिमन्यु कोहर

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