तेरह मोहर्रम हुसैनी क़ाफ़िले के साथ

इबने ज़ियाद ने अपने दरबार में पैग़म्बर (स) के परिवार वालों का अपमान किया कभी वह हुसैन (अ) के होठों पर छड़ी मारता था तो कभी हज़रत ज़ैनब (स) से पूछता था कि बताओं को ख़ुदा ने तुम्हारे साथ किया वह कैसा था और कभी इमाम सज्जाद (अ) की बेबसी पर हसता था

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

सोमवार, तेरह मोहर्रम सन 61 हिजरी

जब क़ैदियों और शहीदों के सरों को कूफ़े की गलियों और बाज़ारों में घुमाया और उनका तमाशा बनाया जा चुका तो इबने ज़ियाद अपने महल में बैठ गया और उसने आदेश दिया कि इमाम हुसैन (अ) के पवित्र सर को उसके सामने लाया जाये, उसके बाद औरतों और बच्चों को इमाम सज्जाद (अ) के साथ रस्सियों से बांधे हुये उसके दरबार में लाया गया, अहले हरम को उसके तख़्त के पास ला कर खड़ा किया गया, पैग़म्बर (स) के परिवार वाले खड़े थे और उस मलऊन के सारे दरबारी उनका तमाशा देख रहे थे। (1)

इबने ज़ियाद ने अपने दरबार में पैग़म्बर (स) के परिवार वालों का अपमान किया कभी वह हुसैन (अ) के होठों पर छड़ी मारता था तो कभी हज़रत ज़ैनब (स) से पूछता था कि बताओं को ख़ुदा ने तुम्हारे साथ किया वह कैसा था और कभी इमाम सज्जाद (अ) की बेबसी पर हसता था, जब इबने ज़ियाद ने पैग़म्बर (स) के ख़ानदान का अपमान कर लिया तो अहलेबैत (अ) के क़ैदियों को ज़ंजीरों और हथकड़ियों में जकड़ कर कूफ़े के बंदीगृह लाया गया और उनको वहां बंद कर दिया गया। (2)

उसके बाद इबने ज़ियाद ने अपने इस कार्य की सूचना दूसरों तक पहुँचाने के लिये मदीने और शाम (सीरिया) की तरफ़ पत्र लिखा और वहां के लोगों को इमाम हुसैन (अ) के शहीद होने की सूचना दी। (3)

अब्दुल्लाह बिन अफ़ीफ़ की शहादत

अब्दुल्लाह बिन अफ़ीफ़ अज़दी अमीरुल मोमिनीन को उच्चकोटि के सहाबियों में से थे, जमल और सिफ़्फ़ीन के युद्धों में आपकी दोनों आखों की रौशनी चली गई थी इसलिये आप एकांत में रहते थे और ईश्वर की अराधना किया करते थे।

जब आपने सुना कि इबने ज़ियाद मलऊन अमीरुल मोमिनीन (अ) और इमाम हुसैन (अ) की तरफ़ झूठे आरोप लगा रहा है ति आप लोगों के बीच से उठ खड़े हुए और कहाः

चुप हो जा हे मरजाना के बेटे, झूठा तू है, और तेरा बाप जिसने तुझे यह पद दिया है, ईश्वर के शत्रु!! पैग़म्बर के बेटों को शहीद करता है और मोमिनों के मिम्बर पर इस प्रकार बोलता है? (पैग़म्बर की आल पर आरोप लगाता है) इबने ज़ियाद के सिपाहियों ने उन पर हमला करना चाहा लेकिन वह अपने क़बीले की सहायता से अपने घर चले गये, लेकिन बाद में इबने ज़ियाद के सिपाहियों ने उनके घर को घेर लिया और जंग के बाद आपको और आपकी बेटी को गिरफ़्तार कर लिया गया, और जैसा कि उन्होंने ईश्वर से चाहा था इस धरती के सबसे तुच्छ इन्सान इबने ज़ियाद के हाथों शहीद हुये। (4)

*********
(1)    अलवक़ाये वल हवादिस, जिल्द 4, पेज 63, वक़ायउल अय्यामः ततिम्माए मोहर्रम, पेज 256

(2)    अलवक़ाये वल हवादिस, जिल्द 4, पेज 63, वक़ायउल अय्यामः ततिम्माए मोहर्रम, पेज 263

(3)    अलवक़ाये वल हवादिस, जिल्द 4, पेज 63, वक़ायउल अय्यामः ततिम्माए मोहर्रम, पेज 263

नई टिप्पणी जोड़ें