ग्यारह मोहर्रम हुसैनी काफ़िले के साथ

उमरे साद मलऊन ग्यारह मोहर्रम को ज़ोहर के समय तक कर्बला में रुका और उसने अपने नर्क जाने वाले साथियों और यज़ीदी सेना के मरने वालों सिपाहियों पर नमाज़ पढ़ी और उनको दफ़्न किया, लेकिन पैग़म्बर (स) के बेटे को दफ़्न करना किसी को गवारा नहीं हुआ और वह हुसैन (अ) जो

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

क़ैदियों की कर्बला से रवानगी

शनिवार, ग्यारह मोहर्रम सन 61 हिजरी

उमरे साद मलऊन ग्यारह मोहर्रम को ज़ोहर के समय तक कर्बला में रुका और उसने अपने नर्क जाने वाले साथियों और यज़ीदी सेना के मरने वालों सिपाहियों पर नमाज़ पढ़ी और उनको दफ़्न किया, लेकिन पैग़म्बर (स) के बेटे को दफ़्न करना किसी को गवारा नहीं हुआ और वह हुसैन (अ) जो कभी पैगम़्बर (स) के काधें पर सवार हुआ करते थे उनकी लाश कर्बला की तपती रेती पर बे कफ़न पड़ी रही।

जब दिन आधा बीत चुका तो उमरे साद ने आदेश दिया कि पैग़म्बर (स) के परिवार वालों और अली (अ) की बेटियों को बे कजावा ऊँटों पर सवार किया जाए और बीमार इमाम सज्जाद (अ) को भी एक ऊँट पर सवार किया गया, इस सारे क़ैदियों को क़त्लगाह की तरफ़ से ले जाया गया, जब इन लोगों को क़त्लगाह की तरफ़ से ले जाया गया तो बीबियों की निगाह इमाम हुसैन (अ) की पवित्र शरीर पर पड़ी, सभी ने अपने मुंह पर तमाचे लगाये, रोना पीटना मच गया और बीबीयों ने फ़रियाद की। (1)

इबने ज़ियाद का दरबार

ग्यारह मोहर्रम को सायकाल अहलेबैते हरम (अ) का लुटा हुआ काफ़िला क़ैदी बना हुआ कूफ़े की तरफ़ चल पड़ा। (2) चूँक क़ैदियों का यह काफ़िला सायकाल चला था इसलिये रात्रि में कूफ़े पहुँचा इसीलिये पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पीड़ित परिवार वालों और ग़म खाई हुआ पवित्र हस्तियों को सुबह तक कूफ़ा शहर के द्वार पर रोका गया, और किसी को भी सुबह से पहले शहर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, सुबह के समय उमरे साद मलऊन कूफ़े के बाहर आया और यज़ीदी सेना के कमांडरों और सिपाहियों के साथ प्रसन्न हो कर कूफ़े में प्रवेश किया। (3)

यह लुटा हुआ क़ाफिला कर्बला से कूफ़ा पहुँचा तो इबने ज़ियाद ने एक सार्वजनिक आदेश जारी किया की सभी दरबार में उपस्थित हों उसके बाद इमाम हुसैन (अ) के पवित्र सर को उसके सामने रखा गया, इबने ज़ियाद इमाम हुसैन (अ) के चेहरे को देख रहा था, वह मुस्कुराता था और अपने हाथ में पकड़ी हुआ लकड़ी से उन पवित्र होठों पर मारता था जिनको पैग़म्बर (स) चूमा करते थे। (4)

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(1)    क़लाएदुन नहव, जिल्द मोहर्रम व सफ़र, पेज 184, फ़ैज़ुल अलाम, पेज 156, मआली अल सिबतैन, जिल्द 2, पेज 90

(2)    अअलामुल वर्दी, जिल्द 1, पेज 471

(3)    क़लाएदुन नहव, जिल्द मोहर्रम व सफ़र, पेज 204

(4)    अअलामुल वर्दी, जिल्द 1, पेज 471

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