बहरीन की अदालत ने एक और शिया धर्मगुरु को 10 साल की सज़ा सुनाई

बहरीन अदालत ने अलवेफ़ाक़ पार्टी के प्रसिद्ध धर्मगुरु शेख़ हसन को 10 साल की सज़ा और नागरिकता रद्द किए जाने का फैसला सुनाया है।

 

अलवेफ़ाक़ पार्टी के प्रसिद्ध धर्मगुरु और बहरीन संसद के त्यागपत्र दे चुके सांसद शेख़ हसन ईसा को आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता पहुँचाने के आरोप में 10 साल जेल की सज़ा सुनाई गई है।

बहरीन के प्रसिद्ध आलिमे दीन और अलवेफ़ाक़ पार्टी की तरफ़ से बहरीन के सांसद रह चुके शेख़ हसन ईसा बहरीन जनता के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।

शेख़ हसन पर उन आतंकवादियों को वित्तीय सहायता पहुँचाने का आरोप लगाया गया है जिन्होंने 2015 में एक धमाका किया था और जिसमें दो पुलिस वाले मारे गए थे और चार घायल हुए थे।

बहरीन का कहना है कि इस गुट ने हथियार और बम बनाने की ट्रेनिंग ईरान और इराक़ में ली है और उनका प्रोग्राम, सुरक्षा बलों और पुलिस अधिकारियों पर नज़र रखना और उनकी हत्या और उनको घायल करना था।

शेख़ हसन ईसा को 1 अक्टूबर 2015 को अपने परिवार के साथ एक यात्रा से वापस लौटते समय बहरीन एयरपोर्ट पर गिरफ़्तार किया गया था, जिसके बाद उनको वकील या अपने परिवार के किसी सदस्य से मुलाक़ात करने की अनुमति नहीं थी, और अदालत की पहली सुनवाई शुरू होने से पहले ही वह लगभग दो साल की जेल झेल चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि गिरफ़्तारी के बाद और पूछताछ में उन पर किसी भी प्रकार के आरोप को साबित नहीं किया जा सका है, लेकिन अदालत की कार्यवाही में उनके विरुद्ध गवाही देने वाले एक गवाह ने कहा है कि हसन ईसा के विरुद्ध झूठी गवाही देने के लिए उसको मजबूर किया गया था और उसको बुरी तरह मारा पीटा गया था, और उससे कहा गया था कि वह एक ऐसे गवाही पत्र पर हस्ताक्षर करे जिसके बारे में उसको कोई जानकारी नहीं थी।

शेख़ हसन पर आरोप लगाया गया है कि इन लोगों की विध्वंसक गतिविधियों की जानकारी रखने के बावजूद उन्होंने उनकी सहायता के लिए विभिन्न रास्तों से पैसा एकत्र करके उनको दिया था।

शेख़ हसन ईसा एक धर्मगुरु हैं और उनके पास मास्टर्स की डिग्री है, इससे पहले भी उनको 1989, 1994 और 1996 में राजनीतिक आरोपों के संबंध में गिरफ़्तार किया जा चुका है।

 

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