ख़ुत्ब ए ग़दीर

ग़दीर का पूरा ख़ुत्बा, मौज़ूआत के साथ

अनुवादक सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

1.    अल्लाह की प्रशंसा

اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذی عَلا فی تَوَحُّدِهِ وَ دَنا فی تَفَرُّدِهِ وَجَلَّ فی سُلْطانِهِ وَعَظُمَ فی اَرْکانِهِ، وَاَحاطَ بِکُلِّ شَیءٍ عِلْماً وَ هُوَ فی مَکانِهِ وَ قَهَرَ جَمیعَ الْخَلْقِ بِقُدْرَتِهِ وَ بُرْهانِهِ، حَمیداً لَمْ یَزَلْ، مَحْموداً لایَزالُ (وَ مَجیداً لایَزولُ، وَمُبْدِئاً وَمُعیداً وَ کُلُّ أَمْرٍ إِلَیْهِ یَعُودُ). بارِئُ الْمَسْمُوکاتِ وَداحِی الْمَدْحُوّاتِ وَجَبّارُ الْأَرَضینَ وَ السّماواتِ، قُدُّوسٌ سُبُّوحٌ، رَبُّ الْمَلائکَةِ وَالرُّوحِ، مُتَفَضِّلٌ عَلی جَمیعِ مَنْ بَرَأَهُ، مُتَطَوِّلٌ عَلی جَمیعِ مَنْ أَنْشَأَهُ. یَلْحَظُ کُلَّ عَیْنٍ وَالْعُیُونُ لاتَراهُ.

सारी प्रसंशा उस अल्लाह के लिए है जो अपनी यकताई में उच्च और अपनी व्यक्तिगत महिमा के बावजूद क़रीब है, वह बादशाहत के आधार पर सम्मानीय और अरकान के ऐतेबार से महान है, वह अपने स्थान पर रह कर भी अपने ज्ञान से हर चीज़ को घेरे हुए है, और अपनी शक्ति एवं तर्क के कारण सारी सृष्टि को अपने क़ब्ज़े में रखे हुए है।

वह सदैव से प्रशंसा के योग्य था और हमेशा प्रशंसा के क़बिल रहेगा, वह सदैव से महान है, वह आरम्भ करने वाला और समाप्त करने वाला है, हर चीज़ की वापसी उसी की तरफ़ है।

वह आसमानों को पैदा करने वाला और ज़मीनों का फ़र्श बिछाने वाला और उन पर हुकूमत करने वाल, पवित्र, पाक और हर बुराई से दूर है। दूसरे अल्लाह का ज्ञान हर चीज़ को घेरे हुए है जब कि अल्लाह अपने स्थान पर स्थिर है, अगरचे अल्लाह के लिए स्थान का तसव्वुर नहीं किया जा सकता, फ़रिश्तों और रूह (आत्मा) का पालने वाला, सारी सृष्टि पर कृपा करने वाला और हर चीज़ पर दयालुता दिखाने वाला है, वह हर आँख को देखता है, अगरचे कोई आँख उसे कदापि नहीं देख सकतीं।

کَریمٌ حَلیمٌ ذُوأَناتٍ، قَدْ وَسِعَ کُلَّ شَیءٍ رَحْمَتُهُ وَ مَنَّ عَلَیْهِمْ بِنِعْمَتِهِ. لا یَعْجَلُ بِانْتِقامِهِ، وَلایُبادِرُ إِلَیْهِمْ بِمَا اسْتَحَقُّوا مِنْ عَذابِهِ. قَدْفَهِمَ السَّرائِرَ وَ عَلِمَ الضَّمائِرَ، وَلَمْ تَخْفَ عَلَیْهِ اَلْمَکْنوناتُ ولا اشْتَبَهَتْ عَلَیْهِ الْخَفِیّاتُ. لَهُ الْإِحاطَةُ بِکُلِّ شَیءٍ، والغَلَبَةُ علی کُلِّ شَیءٍ والقُوَّةُ فی کُلِّ شَئٍ والقُدْرَةُ عَلی کُلِّ شَئٍ وَلَیْسَ مِثْلَهُ شَیءٌ. وَ هُوَ مُنْشِئُ الشَّیءِ حینَ لاشَیءَ دائمٌ حَی وَقائمٌ بِالْقِسْطِ، لاإِلاهَ إِلاَّ هُوَ الْعَزیزُالْحَکیمُ.

جَلَّ عَنْ أَنْ تُدْرِکَهُ الْأَبْصارُ وَ هُوَ یُدْرِکُ الْأَبْصارَ وَ هُوَاللَّطیفُ الْخَبیرُ. لایَلْحَقُ أَحَدٌ وَصْفَهُ مِنْ مُعایَنَةٍ، وَلایَجِدُ أَحَدٌ کَیْفَ هُوَمِنْ سِرٍ وَ عَلانِیَةٍ إِلاّ بِمادَلَّ عَزَّوَجَلَّ عَلی نَفْسِهِ.

वह कृपालु और दानशील है, उसकी रहमत हर चीज़ को घेरे हुए है और उसकी अनुकम्पा का हर चीज़ पर एहसान है, इन्तेक़ाम में शीघ्रता नहीं करता और सज़ा के पात्रों को अज़ाब देने में जल्दबाज़ी से काम नहीं लेता।

रहस्यों को जानता है और अंतर्रात्माओं का ज्ञानी है, छिपी हुई चीज़ें उस से ओझल नहीं रहती, छिपी हुई चीज़ें उसके लिए रौशन और रहस्य उसके लिए खुले हुए हैं। वह हर चीज़ पर शक्ति रखने वाला और हर चीज़ पर ग़ालिब आने वाला है, उसकी शक्ति हर चीज़ में और उसका सामर्थ्य हर चीज़ पर है, वह अदभुत है उसने चीज़ को तब अस्तित्व दिया जब कोई चीज़ नहीं थी, वह जीवित है, सदैव रहने वाला, न्याय करने वाला है, उसके अतिरिक्त कोई दूसरा ईश्वर नहीं है, वह शक्तिशाली और ज्ञानी है।

आँखों की पहुँच से दूर और हर दृष्टि को अपनी नज़र में रखने वाला है, वह कृपालु भी है और जानकारी रखने वाला भी, कोई देखने वाला उसकी सिफ़त को नहीं पा सकता, और कोई उसके प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष की स्थिति को जान नहीं सकता मगर उतना ही जितना उसके स्वंय बता दिया है।

وَأَشْهَدُ أَنَّهُ الله ألَّذی مَلَأَ الدَّهْرَ قُدْسُهُ، وَالَّذی یَغْشَی الْأَبَدَ نُورُهُ، وَالَّذی یُنْفِذُ أَمْرَهُ بِلامُشاوَرَةِ مُشیرٍ وَلامَعَهُ شَریکٌ فی تَقْدیرِهِ وَلایُعاوَنُ فی تَدْبیرِهِ. صَوَّرَ مَا ابْتَدَعَ عَلی غَیْرِ مِثالٍ، وَ خَلَقَ ما خَلَقَ بِلامَعُونَةٍ مِنْ أَحَدٍ وَلا تَکَلُّفٍ وَلاَ احْتِیالٍ. أَنْشَأَها فَکانَتْ وَ بَرَأَها فَبانَتْ.
فَهُوَالله الَّذی لا إِلاهَ إِلاَّ هُوالمُتْقِنُ الصَّنْعَةَ، اَلْحَسَنُ الصَّنیعَةِ، الْعَدْلُ الَّذی لایَجُوُر، وَالْأَکْرَمُ الَّذی تَرْجِعُ إِلَیْهِ الْأُمُورُ.

وَأَشْهَدُ أَنَّهُ الله الَّذی تَواضَعَ کُلُّ شَیءٍ لِعَظَمَتِهِ، وَذَلَّ کُلُّ شَیءٍ لِعِزَّتِهِ، وَاسْتَسْلَمَ کُلُّ شَیءٍ لِقُدْرَتِهِ، وَخَضَعَ کُلُّ شَیءٍ لِهَیْبَتِهِ. مَلِکُ الْاَمْلاکِ وَ مُفَلِّکُ الْأَفْلاکِ وَمُسَخِّرُالشَّمْسِ وَالْقَمَرِ، کُلٌّ یَجْری لاَِجَلٍ مُسَمّی. یُکَوِّرُالَّلیْلَ عَلَی النَّهارِ وَیُکَوِّرُالنَّهارَ عَلَی الَّلیْلِ یَطْلُبُهُ حَثیثاً. قاصِمُ کُلِّ جَبّارٍ عَنیدٍ وَ مُهْلِکُ کُلِّ شَیْطانٍ مَریدٍ.

मैं गवाही देता हूँ कि वह ऐसा ईश्वर है जिसकी पवित्रता ने सारे ब्रहमांड को घेर रखा है और जिसका प्रकाश स्थायित्व रखने वाला है।

वह बिना किसी सलाहकार की सलाह के अपने आदेश को लागू और बिना किसी साथी के भाग्य लिखने वाला और न उसके उपायों (तदबीर) में कोई मददगार है।

जो कुछ गढ़ा वह बिना किसी नमूने के बनाया, और सृष्टि को बिना किसी सहायक या चिंतन के कष्ट के पैदा किया। संसार उसके अत्सित्व देने से मौजूद और उसके पैदा करने से वजूद में आया।

वह अल्लाह है जिसके अतिरिक्त कोई और पूजनीय नहीं जिसकी सनअत (सृजन) मज़बूत और जिसकी सृजन प्रणाली सुंदर है, वह ऐसा न्यायप्रिय है जो अन्याय नहीं करता, और ऐसा कृपा करने वाला है कि सारे कार्य उसी की तरफ़ पलटते हैं।

और मैं गवाही देता हूँ कि वह वही अल्लाह है जिसकी महानता के सामने सारी सृष्टि शीश नवाए है, उसकी इज़्ज़त के सामने सभी ज़लील, उसकी शक्ति के सामने सभी चीज़ें अपना सर झुकाए और उसके वैभव के सामने सभी विनम्र हैं।
जगत का स्वामी, तमाम आसमानों का रचयता, सूर्य एवं चंद्रमा पर कंट्रोल रखने वाला है कि हर एक अपने निश्चिंत समय तक परिकर्मा करते रहें, वह दिन को रात्रि और रात्रि को दिन (जो बहुत तीव्रता के साथ रात्रि का पीछा कर रहा है) पर पलटाने वाला है, हर ज़िद्दी अत्याचारी की कमर तोड़ने वाला और हर निर्वासित शैदान को नष्ट करने वाला है।

لَمْ یَکُنْ لَهُ ضِدٌّ وَلا مَعَهُ نِدٌّ أَحَدٌ صَمَدٌ لَمْ یَلِدْ وَلَمْ یُولَدْ وَلَمْ یَکُنْ لَهُ کُفْواً أَحَدٌ. إلاهٌ واحِدٌ وَرَبٌّ ماجِدٌ یَشاءُ فَیُمْضی، وَیُریدُ فَیَقْضی، وَیَعْلَمُ فَیُحْصی، وَیُمیتُ وَیُحْیی، وَیُفْقِرُ وَیُغْنی، وَیُضْحِکُ وَیُبْکی، (وَیُدْنی وَ یُقْصی) وَیَمْنَعُ وَ یُعْطی، لَهُ الْمُلْکُ وَلَهُ الْحَمْدُ، بِیَدِهِ الْخَیْرُ وَ هُوَ عَلی کُلِّ شَیءٍ قَدیرٌ.

یُولِجُ الَّلیْلَ فِی النَّهارِ وَیُولِجُ النَّهارَ فی الَّلیْلِ، لاإِلاهَ إِلاّهُوَالْعَزیزُ الْغَفّارُ. مُسْتَجیبُ الدُّعاءِ وَمُجْزِلُ الْعَطاءِ، مُحْصِی الْأَنْفاسِ وَ رَبُّ الْجِنَّةِ وَالنّاسِ، الَّذی لایُشْکِلُ عَلَیْهِ شَیءٌ، وَ لایُضجِرُهُ صُراخُ الْمُسْتَصْرِخینَ وَلایُبْرِمُهُ إِلْحاحُ الْمُلِحّینَ.

اَلْعاصِمُ لِلصّالِحینَ، وَالْمُوَفِّقُ لِلْمُفْلِحینَ، وَ مَوْلَی الْمُؤْمِنینَ وَرَبُّ الْعالَمینَ. الَّذِی اسْتَحَقَّ مِنْ کُلِّ مَنْ خَلَقَ أَنْ یَشْکُرَهُ وَیَحْمَدَهُ (عَلی کُلِّ حالٍ)

न उसका कोई विरोधी है और न कोई साथी, वह अदिर्तीय और बेनियाज़ है, न उसका कोई पिता है न संतान न कोई (जीवन) साथी। वह अनन्य ईश्वर और महान पालने वाला है, जो चाहता है करता है, जिसका इरादा करता है पूरा करता है, वह जानता है और गणना करता है, मृत्यु देता है और जीवित करता है, फ़क़ीर बनाता है और मालदार बना देता है, हंसाने वाला, रुलाने वाला, पास बुलाने वाला, दूर करने वाला, देने वाला, और रोक लेने वाला है, बादशाही उसी के लिए है और प्रशंसा उसी की है, तमाम भलाईयां उसी के अधिकार में है, वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।

रात्रि को दिन और दिन को रात्रि में दाख़िल कर देता है, उस सर्वशक्तिमान और बहुत अधिक क्षमा करने वाले के अतिरिक्त और कोई ईश्वर नहीं है, वह प्रार्थनाओं का स्वीकार करने वाला, बहुत अधिक देने वाला, सांसों का हिसाब रखने वाला और इंसानों एवं जिन्नातों का पालने वाला है, कोई चीज़ उस पर मुश्किल नहीं पैदा कर सकती, फरियाद करने वालों की फरियाद उसे परेशान नहीं करती, और गिड़गिड़ाने वालों का आग्रह उसे धकाता नहीं है, अच्छे कार्य करने वालों (सुकर्मी) की रक्षक, कल्याण चाहने वालों की सहायता करने वाला, मोमिनों का मौला और ब्रह्माण्ड का पालने वाला है, उसका सारी सृष्टि पर हक़ यह है कि हर हाल में उसकी प्रशंसा करे।

أَحْمَدُهُ کَثیراً وَأَشْکُرُهُ دائماً عَلَی السَّرّاءِ والضَّرّاءِ وَالشِّدَّةِ وَالرَّخاءِ، وَأُومِنُ بِهِ و بِمَلائکَتِهِ وکُتُبِهِ وَرُسُلِهِ. أَسْمَعُ لاَِمْرِهِ وَاُطیعُ وَأُبادِرُ إِلی کُلِّ مایَرْضاهُ وَأَسْتَسْلِمُ لِماقَضاهُ، رَغْبَةً فی طاعَتِهِ وَ خَوْفاً مِنْ عُقُوبَتِهِ، لاَِنَّهُ الله الَّذی لایُؤْمَنُ مَکْرُهُ وَلایُخافُ جَورُهُ.

मैं उसकी बहुत अधिक प्रशंसा और सदैव, सुख दुःख, कठिनाई, और आराम में उसका सदा आभारी हूँ, मैं उस पर, उसके फ़रिश्तों पर, उसके रसूलों और उसकी किताबों पर ईमान रखता हूँ, मैं उसके आदेश को सुनता और उसका पालन करता हूँ, उसकी सद्भावना की तरफ़ दौड़ता और उसके आदेस पर सर झुकाए हूँ, क्योंकि उसके अनुसरण का मुझे शौक़ और उसके अज़ाब का भय है। क्यों कि वह (ऐसा खुदा है) जिसकी तदबीर (चतुराई) से न कोई बच सकता है और न किसी को ज़ुल्म का ख़तरा है (क्योंकि वह किसी का उत्पीड़न नहीं करता है)

2.    एक महत्वपूर्ण चीज़ के लिए अल्लाह का आदेश

وَأُقِرُّلَهُ عَلی نَفْسی بِالْعُبُودِیَّةِ وَ أَشْهَدُ لَهُ بِالرُّبُوبِیَّةِ، وَأُؤَدّی ما أَوْحی بِهِ إِلَی حَذَراً مِنْ أَنْ لا أَفْعَلَ فَتَحِلَّ بی مِنْهُ قارِعَةٌ لایَدْفَعُها عَنّی أَحَدٌ وَإِنْ عَظُمَتْ حیلَتُهُ وَصَفَتْ خُلَّتُهُ

لاإِلاهَ إِلاَّهُوَ - لاَِنَّهُ قَدْأَعْلَمَنی أَنِّی إِنْ لَمْ أُبَلِّغْ ما أَنْزَلَ إِلَی (فی حَقِّ عَلِی) فَما بَلَّغْتُ رِسالَتَهُ، وَقَدْ ضَمِنَ لی تَبارَکَ وَتَعالَی الْعِصْمَةَ (مِنَ النّاسِ) وَ هُوَالله الْکافِی الْکَریمُ.

मैं अपने लिए समर्पण (बंदगी) और उसके लिए आधिपत्य (रुबूबियत) की गवाही देता हूँ और उसकी वही के अनुसार अपना दायिद्त निभाऊँगा कहीं ऐसा न हो कि कि अगर न करूँ तो मुझ पर अज़ाब आ जाए जिसको मुझ से दूर करने वाला कोई न हो अगरचे उसकी चतुराई बहुत अधिक और और उसकी दोस्ती (मेरे प्रति) शुद्ध हो

उसके अतिरिक्त कोई दूसरा ख़ुदा नहीं, क्योंकि उसने मुझे बता दिया है कि अगर मैंने (अली के संबंध में) जो कुछ उतारा है उसको मैंने लोगों तक न पहुँचाया तो मैंने उसके दूत होने का दायित्व नहीं निभाया है, और उस पवित्र एवं महान ईश्वर ने मुझ को लोगों की बुराई से सुरक्षा करने की प्रतिबद्धता दिखाई है और अल्लाह काफ़ी और बहुत अधिक दया करने वाला है।

فَأَوْحی إِلَی: (بِسْمِ الله الرَّحْمانِ الرَّحیمِ، یا أَیُهَاالرَّسُولُ بَلِّغْ ما أُنْزِلَ إِلَیْکَ مِنْ رَبِّکَ - فی عَلِی یَعْنی فِی الْخِلاَفَةِ لِعَلِی بْنِ أَبی طالِبٍ - وَإِنْ لَمْ تَفْعَلْ فَما بَلَّغْتَ رِسالَتَهُ وَالله یَعْصِمُکَ مِنَ النّاسِ).

مَعاشِرَالنّاسِ، ما قَصَّرْتُ فی تَبْلیغِ ما أَنْزَلَ الله تَعالی إِلَی، وَ أَنَا أُبَیِّنُ لَکُمْ سَبَبَ هذِهِ الْآیَةِ: إِنَّ جَبْرئیلَ هَبَطَ إِلَی مِراراً ثَلاثاً یَأْمُرُنی عَنِ السَّلامِ رَبّی - وَ هُوالسَّلامُ - أَنْ أَقُومَ فی هذَا الْمَشْهَدِ فَأُعْلِمَ کُلَّ أَبْیَضَ وَأَسْوَدَ: أَنَّ عَلِی بْنَ أَبی طالِبٍ أَخی وَ وَصِیّی وَ خَلیفَتی (عَلی أُمَّتی) وَالْإِمامُ مِنْ بَعْدی، الَّذی مَحَلُّهُ مِنّی مَحَلُّ هارُونَ مِنْ مُوسی إِلاَّ أَنَّهُ لانَبِی بَعْدی وَهُوَ وَلِیُّکُمْ بَعْدَالله وَ رَسُولِهِ.

وَقَدْ أَنْزَلَ الله تَبارَکَ وَ تَعالی عَلَی بِذالِکَ آیَةً مِنْ کِتابِهِ (هِی): (إِنَّما وَلِیُّکُمُ الله وَ رَسُولُهُ وَالَّذینَ آمَنُواالَّذینَ یُقیمُونَ الصَّلاةَ وَیُؤْتونَ الزَّکاةَ وَ هُمْ راکِعُونَ)، وَ عَلِی بْنُ أَبی طالِبٍ الَّذی أَقامَ الصَّلاةَ وَ آتَی الزَّکاةَ وَهُوَ راکِعٌ یُریدُالله عَزَّوَجَلَّ فی کُلِّ حالٍ.

उसने मुझ पर वही की हैः शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बहुत दयालु और कृपालु है, हे रसूल आपके पालने वाले की तरफ़ से (अली और उनकी ख़िलाफ़त के बारे में) जो कुछ उतारा गया है उसको लोगों तक पहुँचा दो और अगर ऐसा न किया तो उसकी रिसालत की ज़िम्मेदारी पूरी न की और अल्लाह आप को लोगों की बुराई से सुरक्षित रखेगा।

हे लोगों, जो कुछ मुझ पर उतारा गया मैं ने उसको पहुँचाने में कोई कोताही नहीं की है अब तुम्हारे सामने आयत के उतरने का कारण बताता हूँ:  जिब्रईल तीन बार मेरे पास मेरे रब के सलाम के साथ यह आदेश ले कर उतरे कि मैं इस स्थान पर रुक कर हर काले गोरे को यह बता दूं कि अली बिन अबी तालिब मेरे भाई, वसी (निर्वाहक) जानशीन और मेरे बाद इमाम हैं। उन का स्थान मेरे लिए वैसा ही है जैसा मूसा के लिए हारून का था, अंतर केवल यह है कि मेरे बाद कोई नबी न होगा, वह अल्लाह व रसूल के बाद तुम्हारे शासक (हाकिम) हैं और इस बारे में ख़ुदा ने अपनी किताब (क़ुरआन) में मुझ पर यह आयत उतारी हैः

      <اِنَّمٰاوَلِیُّکُمُ اللهُ وَرَسُوْلُہُ وَالَّذِیْنَ آمَنُوْاالَّذِیْنَ یُقِیْمُوْنَ الصَّلاٰةَوَیُوٴْتُوْنَ الزَّکٰاةَ وَھُمْ رٰاکِعُونَ>

तुम्हारा सरपरस्त (पर्यवेक्षक) केवल अल्लाह है और उसका रसूल और वह ईमान लाने वाले जो नमाज़ क़ाएम करते हैं और रुकूअ की हालत में ज़कात देते हैं।

और निःसंदेह अली बिन अबी तालिब ने नमाज़ काएम की, रुकूअ की हालत में ज़कात ही है और हर स्थिति में अल्लाह की मर्ज़ी इच्छुक है।

وَسَأَلْتُ جَبْرَئیلَ أَنْ یَسْتَعْفِی لِی (السَّلامَ) عَنْ تَبْلیغِ ذالِکَ إِلیْکُمْ - أَیُّهَاالنّاسُ - لِعِلْمی بِقِلَّةِ الْمُتَّقینَ وَکَثْرَةِ الْمُنافِقینَ وَإِدغالِ اللّائمینَ وَ حِیَلِ الْمُسْتَهْزِئینَ بِالْإِسْلامِ، الَّذینَ وَصَفَهُمُ الله فی کِتابِهِ بِأَنَّهُمْ یَقُولُونَ بِأَلْسِنَتِهِمْ مالَیْسَ فی قُلوبِهِمْ، وَیَحْسَبُونَهُ هَیِّناً وَ هُوَ عِنْدَالله عَظیمٌ.

وَکَثْرَةِ أَذاهُمْ لی غَیْرَ مَرَّةٍ حَتّی سَمَّونی أُذُناً وَ زَعَمُوا أَنِّی کَذالِکَ لِکَثْرَةِ مُلازَمَتِهِ إِیّی وَ إِقْبالی عَلَیْهِ (وَ هَواهُ وَ قَبُولِهِ مِنِّی) حَتّی أَنْزَلَ الله عَزَّوَجَلَّ فی ذالِکَ (وَ مِنْهُمُ الَّذینَ یُؤْذونَ النَّبِی وَ یَقولونَ هُوَ أُذُنٌ، قُلْ أُذُنُ - (عَلَی الَّذینَ یَزْعُمونَ أَنَّهُ أُذُنٌ) - خَیْرٍ لَکُمْ، یُؤْمِنُ بِالله وَ یُؤْمِنُ لِلْمُؤْمِنینَ) الآیَةُ.

मैं ने जिब्रईल के माध्यम से अल्लाह से यह विनती की है कि मुझे इस पैग़ाम के तुम तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी से दूर रखा जाए, क्योंकि मैं परहेज़गारों की कमी, मुनाफ़ेक़ों (बगुलाभगत) की अधिकता, बुराई फैलाने वाले, निंदा करने वाले और इस्लाम का उपहास उड़ाने वाले मुनाफ़ेक़ों की मक्कारियों को जानता हूँ, जिनके बारे में अल्लाह ने साफ़ कह दिया है “यह अपनी ज़बानों से वह कहते हैं जो इनके दिलों में नहीं है और यह इस मामूली बात समझते हैं जब कि अल्लाह के नज़दीक यह बहुत बड़ी बात है।” इसी प्रकार मुनाफ़िक़ों ने मुझे बहुत पीड़ा पहुँचाई है, यहां तक कि वह मुझे “अज़ुन” (हर बात सुनने वाला और विश्रंभी) कहने लगे और उनका मानना था कि मैं ऐसा ही हूँ क्योंकि इस (अली) के हमेशा मेरे साथ रहने, इसकी तरफ़ ध्यान देने, और इसके द्वारा मेरे अनुसरण के कारण यहां तक कि अल्लाह ने आयत उतारीः

<وَمِنْھُمُ الَّذِیْنَ یُوْذُوْنَ النَّبِیَّ وَیَقُوْلُوْنَ ھُوَاُذُنٌ،قُلْ اُذُنُ ]عَلَی الَّذِیْنَ یَزْعَمُوْنَ اَنَّہُ اُذُنٌ-[خَیْرٍلَکُمْ،یُوٴمِنُ بِاللّٰہِ وَ یُوٴْمِنُ لِلْمُوٴْمِنِیْنَ>

और उनमें से कुछ ऐसे हैं जो रसूल के सताते हैं और कहते हैं कि यह कान हैं (हर चीज़ सुनते और उस पर विस्वास कर लेते हैं) तुम कह दो कान हैं (उनके विरुद्ध जो यह समझते हैं कि वह केवल सुनते हैं) लेकिन तुम्हारी भलाई (सुनने के) वह (पैग़म्बर) अल्लाह पर ईमान रखते हैं और मोमिनों की बातों का विश्वास करते हैं।

وَلَوْشِئْتُ أَنْ أُسَمِّی الْقائلینَ بِذالِکَ بِأَسْمائهِمْ لَسَمَّیْتُ وَأَنْ أُوْمِئَ إِلَیْهِمْ بِأَعْیانِهِمْ لَأَوْمَأْتُ وَأَنْ أَدُلَّ عَلَیْهِمُ لَدَلَلْتُ، وَلکِنِّی وَالله فی أُمورِهمْ قَدْ تَکَرَّمْتُ. وَکُلُّ ذالِکَ لایَرْضَی الله مِنّی إِلاّ أَنْ أُبَلِّغَ ما أَنْزَلَ الله إِلَی (فی حَقِّ عَلِی)، ثُمَّ تلا: (یا أَیُّهَاالرَّسُولُ بَلِّغْ ما أُنْزِلَ إِلَیْکَ مِنْ رَبِّکَ - فی حَقِّ عَلِی - وَ انْ لَمْ تَفْعَلْ فَما بَلَّغْتَ رِسالَتَهُ وَالله یَعْصِمُکَ مِنَ النّاسِ).

और अगर मैं चाहता तो यह बात कहने वालों में से एक एक का नाम भी बता सकता था, या उनकी तरफ़ इशारा कर सकता हूँ या फिर निशानियों के साथ लोगों को उनका पता बता सकता हूँ लेकिन ख़ुदा की सौगंध इन कार्यों में मैं ने यदा और महानता से काम लिया है।

इन बसके बावजूद अल्लाह मुझ से प्रसन्न नहीं होगा मगर यह कि मैं जो पैग़ाम अली के बारे में भेजा गया है उसको तुम तक पहुँचा दूँ।

उसके बाद आपने यह आयत पढ़ीः

<یٰااٴَیُّھَاالرَّسُوْلُ بَلِّغْ مٰااُنزِلَ اِلَیکَ مِنْ رَبِّک (فِیْ حَقِّ عَلِیْ )وَاِنْ لَمْ تَفْعَلْ فَمٰابَلَّغْتَ رِسٰالَتَہُ وَاللهُ یَعْصِمُکَ مِنَ النّٰاسِ>

हे रसूल जो कुछ भी आप पर (अली के हक़ के बारे में) उतारा गया है उसको पहुँचा दो, और अगर आप ने ऐसा न किया तो रिसालत का कोई कार्य नहीं अंजाम दिया और अल्लाह आप को लोगों की बुराई से सुरक्षित रखेगा।

3.    बारह इमामों की विलायत और इमामत की आधिकारिक घोषणा

فَاعْلَمُوا مَعاشِرَ النّاسِ (ذالِکَ فیهِ وَافْهَموهُ وَاعْلَمُوا) أَنَّ الله قَدْ نَصَبَهُ لَکُمْ وَلِیّاً وَإِماماً فَرَضَ طاعَتَهُ عَلَی الْمُهاجِرینَ وَالْأَنْصارِ وَ عَلَی التّابِعینَ لَهُمْ بِإِحْسانٍ، وَ عَلَی الْبادی وَالْحاضِرِ، وَ عَلَی الْعَجَمِی وَالْعَرَبی، وَالْحُرِّ وَالْمَمْلوکِ وَالصَّغیرِ وَالْکَبیرِ، وَ عَلَی الْأَبْیَضِ وَالأَسْوَدِ، وَ عَلی کُلِّ مُوَحِّدٍ.

ماضٍ حُکْمُهُ، جازٍ قَوْلُهُ، نافِذٌ أَمْرُهُ، مَلْعونٌ مَنْ خالَفَهُ، مَرْحومٌ مَنْ تَبِعَهُ وَ صَدَّقَهُ، فَقَدْ غَفَرَالله لَهُ وَلِمَنْ سَمِعَ مِنْهُ وَ أَطاعَ لَهُ.

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّهُ آخِرُ مَقامٍ أَقُومُهُ فی هذا الْمَشْهَدِ، فَاسْمَعوا وَ أَطیعوا وَانْقادوا لاَِمْرِ(الله) رَبِّکُمْ، فَإِنَّ الله عَزَّوَجَلَّ هُوَ مَوْلاکُمْ وَإِلاهُکُمْ، ثُمَّ مِنْ دونِهِ رَسولُهُ وَنَبِیُهُ الُْمخاطِبُ لَکُمْ، ثُمَّ مِنْ بَعْدی عَلی وَلِیُّکُمْ وَ إِمامُکُمْ بِأَمْرِالله رَبِّکُمْ، ثُمَّ الْإِمامَةُ فی ذُرِّیَّتی مِنْ وُلْدِهِ إِلی یَوْمٍ تَلْقَوْنَ الله وَرَسولَهُ.

लोगों! जान लोग (इस बारे में सावधान रहो और समझो) कि अल्लाह ने इस (अली) को तुम्हारा इमाम और सरपरस्त बनाया है। और उनके अनुसरण को सभी मोहाजिर, अंसार नेकी में उनका अनुसरण करने वाले, हर शहरी, देहाती, अरब, ग़ैर अरब, आज़ाद, ग़ुलाम, बड़ा, छोटा, काला गोरा पर वाजिब किया है। उनके आदेश का पालन वाजिब और और उनका कथन आधिकारिक है, उनका विरोधी लानत के योग्य और अनुयायी कृपा का पात्र है। निसंदेह अल्लाह ने उनका अनुसरण करने वाले और उनका बातों को सुनने वाले के पापों को क्षमा कर दिया है।

हे लोगों! यह अंतिम बार है कि मैं यहां खड़ा हूँ, तो मेरी बात को सुनो और अनुसरण करो और पालने वाले के आदेश का पालन करो। अल्लाह तुम्हारा पालने वाला और सरपरस्त उसके बाद उस का रसूल मोहम्मद तुम्हारा हाकिम है जो अब तुम्हारे सामने खड़ा है और तुमसे संबोधित है, फिर मेरे बाद तुम्हारे पालने वाले अल्लाह के आदेश से (यह) अली तुम्हारा सरपरस्त और इमाम है। फिर उसके बाद उसकी संतान में मेरी औलाद के लिए इमामत होगी यहां तक की तुम (कयामत के दिन) अल्लाह औऱ उसके रसूल से मुलाक़ात करो।

لاحَلالَ إِلاّ ما أَحَلَّهُ الله وَ رَسُولُهُ وَهُمْ، وَلاحَرامَ إِلاّ ما حَرَّمَهُ الله (عَلَیْکُمْ) وَ رَسُولُهُ وَ هُمْ، وَالله عَزَّوَجَلَّ عَرَّفَنِی الْحَلالَ وَالْحَرامَ وَأَنَا أَفْضَیْتُ بِما عَلَّمَنی رَبِّی مِنْ کِتابِهِ وَحَلالِهِ وَ حَرامِهِ إِلَیْهِ.

مَعاشِرَالنّاسِ، علی (فَضِّلُوهُ). مامِنْ عِلْمٍ إِلاَّ وَقَدْ أَحْصاهُ الله فِی، وَ کُلُّ عِلْمٍ عُلِّمْتُ فَقَدْ أَحْصَیْتُهُ فی إِمامِ الْمُتَّقینَ، وَما مِنْ عِلْمٍ إِلاّ وَقَدْ عَلَّمْتُهُ عَلِیّاً، وَ هُوَ الْإِمامُ الْمُبینُ (الَّذی ذَکَرَهُ الله فی سُورَةِ یس: (وَ کُلَّ شَیءٍ أَحْصَیْناهُ فی إِمامٍ مُبینٍ).

مَعاشِرَالنَّاسِ، لاتَضِلُّوا عَنْهُ وَلاتَنْفِرُوا مِنْهُ، وَلاتَسْتَنْکِفُوا عَنْ وِلایَتِهِ، فَهُوَالَّذی یَهدی إِلَی الْحَقِّ وَیَعْمَلُ بِهِ، وَیُزْهِقُ الْباطِلَ وَیَنْهی عَنْهُ، وَلاتَأْخُذُهُ فِی الله لَوْمَةُ لائِمٍ. أَوَّلُ مَنْ آمَنَ بِالله وَ رَسُولِهِ (لَمْ یَسْبِقْهُ إِلَی الْایمانِ بی أَحَدٌ)، وَالَّذی فَدی رَسُولَ الله بِنَفْسِهِ، وَالَّذی کانَ مَعَ رَسُولِ الله وَلا أَحَدَ یَعْبُدُالله مَعَ رَسُولِهِ مِنَ الرِّجالِ غَیْرُهُ.

(أَوَّلُ النّاسِ صَلاةً وَ أَوَّلُ مَنْ عَبَدَالله مَعی. أَمَرْتُهُ عَنِ الله أَنْ یَنامَ فی مَضْجَعی، فَفَعَلَ فادِیاً لی بِنَفْسِهِ).

हलाल वह है जिसको अल्लाह, उसके रसूल और उन (बारह इमामों) ने हलाल किया, और हराम वह जिसे अल्लाह, उसके रसूल और (बारह) इमामों ने हराम किया है। अल्लाह ने मुझे हलाल और हराम की शिक्षा दी है, और अल्लाह ने अपनी किताब (क़ुरआन) और हलाल व हराम में से जो कुछ मुझे बताया है मैंने वह अली को दिया है।

हे लोगों! उनको दूसरो पर प्राथमिक्ता दो, क्योंकि कोई ज्ञान नहीं है मगर यह कि अल्लाह ने वह मुझे दिया है और वह मैंने वह परहेज़गारों के इमाम अली में उसके रख दिया है। वह (अली) मार्गदर्शन करने वाले इमाम है, अल्लाह ने सूरए यासीन में याद करके फरमाया हैः

<وَکُلَّ شَیْءٍ اَحْصَیْنَاہُ فِیْ اِمَامٍ مُبِیْنٍ>

हम ने हर चीज़ का ज्ञान इमामे मुबीन में रख दिया है

हे लोगों! अली से मुंह न मोड़ो, और उनकी इमामत का इनकार न करो , और उनकी विलायत का विरोध न कर देना, वह (अली) हक़ की तरफ़ बुलाने वाले, उसका पालन करने वाले, बातिल (असत्य) का नाश करने वाले है, उन्होने इस मार्ग में किसी निंदा करने वाले की निंदा की परवाह नहीं होती है।

अल्लाह और रसूल पर ईमान लाने वाले सबसे पहले मोमिन वह हैं (कोई भी ईमान लाने में उन पर पहल न कर सका) उन्होंने रसूल पर अपनी जान का बलिदान किया, वह उस समय रसूल के साथ थे जब कोई नहीं था उन्होंने अल्लाह के रसूल के साथ उसकी इबादत की जब मर्दों में कोई और इबादत करने वाला न था। वह पहले नमाज़ पढ़ने वाले और मेरे साथ अल्लाह की इबादत करने वाले हैं, मैंने अल्लाह की तरफ़ से (हिज़रत की रात) अपने बिस्तर पर सो जाने का आदेश दिया तो वह भी मेरे आदेश का पालन करते हुए अपनी जान का बलिदान करने के लिए लेट गए।

مَعاشِرَالنّاسِ، فَضِّلُوهُ فَقَدْ فَضَّلَهُ الله، وَاقْبَلُوهُ فَقَدْ نَصَبَهُ الله.

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّهُ إِمامٌ مِنَ الله، وَلَنْ یَتُوبَ الله عَلی أَحَدٍ أَنْکَرَ وِلایَتَهُ وَلَنْ یَغْفِرَ لَهُ، حَتْماً عَلَی الله أَنْ یَفْعَلَ ذالِکَ بِمَنْ خالَفَ أَمْرَهُ وَأَنْ یُعَذِّبَهُ عَذاباً نُکْراً أَبَدَا الْآبادِ وَ دَهْرَ الدُّهورِ. فَاحْذَرُوا أَنْ تُخالِفوهُ. فَتَصْلُوا ناراً وَقودُهَا النَّاسُ وَالْحِجارَةُ أُعِدَّتْ لِلْکافِرینَ.

हे लोगों! उनको श्रेष्ठ समझो कि अल्लाह ने उनको श्रेष्ठ बनाया है, और उनकी इमामत को स्वीकार करो कि अल्लाह ने उनको इमाम बनाया है।

हे लोगों! वह अल्लाह की तरफ़ से इमाम हैं और अल्लाह उनका इनकार करने वाले की तौबा कदापि स्वीकार नही करेगा और उसको क्षमा न करेगा, बल्कि निसंदेह अल्लाह उनका विरोध करने वालों के साथ ऐसा करेगा और उसको हमेशा के लिए दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा, उनका विरोध करने से डरो अन्यथा ऐसी आग में डाल दिए जाओके दिसका ईंधन इंसान और पत्थर हैं और जिसको काफ़िरों के लिए तैयार किया गया है।

مَعاشِرَالنّاسِ، بی - وَالله - بَشَّرَالْأَوَّلُونَ مِنَ النَّبِیِّینَ وَالْمُرْسَلینَ، وَأَنَا - (وَالله) - خاتَمُ الْأَنْبِیاءِ وَالْمُرْسَلینَ والْحُجَّةُ عَلی جَمیعِ الَْمخْلوقینَ مِنْ أَهْلِ السَّماواتِ وَالْأَرَضینَ. فَمَنْ شَکَّ فی ذالِکَ فَقَدْ کَفَرَ کُفْرَ الْجاهِلِیَّةِ الْأُولی وَ مَنْ شَکَّ فی شَیءٍ مِنْ قَوْلی هذا فَقَدْ شَکَّ فی کُلِّ ما أُنْزِلَ إِلَی، وَمَنْ شَکَّ فی واحِدٍ مِنَ الْأَئمَّةِ فَقَدْ شَکَّ فِی الْکُلِّ مِنْهُمْ، وَالشَاکُّ فینا فِی النّارِ.

مَعاشِرَالنّاسِ، حَبانِی الله عَزَّوَجَلَّ بِهذِهِ الْفَضیلَةِ مَنّاً مِنْهُ عَلَی وَ إِحْساناً مِنْهُ إِلَی وَلا إِلاهَ إِلاّهُوَ، أَلا لَهُ الْحَمْدُ مِنِّی أَبَدَ الْآبِدینَ وَدَهْرَالدّاهِرینَ وَ عَلی کُلِّ حالٍ.

हे लोगों! ख़ुदा की क़सम पहले के तमाम नबियों ने मेरे बारे में शुभसूचना दी है और में अंतिम नबी और रसूल हूँ और ज़मीन एवं आसमान की तमाम सृष्टि के लिए हुज्जत हूँ और जो इस बारे में शक करे वह पिछले ज़माने की जाहेलीयत वाला काफिर हो जाएगा और जो इस (दिन की) बात के बारे में कुछ शक करे वह ऐसा ही है कि जैसे उसने मेरी तमाम रिसालत के बारे में शक किया और जिसने किसी एक इमाम (की इमामत) के बारे में शक किया उसने जैसे तमाम इमामों के बारे में शक किया और हमारे बारे में संदेह करने वाले का अंजाम नर्क है।

हे लोगों! अल्लाह ने मुझे जो यह श्रेष्ठता दी है यह उसकी अनुकम्पा और एहसान है, उसके अतिरिक्त और कोई अल्लाह नहीं है। जान लो! हर हाल में मेरी तरफ़ से उसकी प्रशंसा और तारीफ़ है।

مَعاشِرَالنّاسِ، فَضِّلُوا عَلِیّاً فَإِنَّهُ أَفْضَلُ النَّاسِ بَعْدی مِنْ ذَکَرٍ و أُنْثی ما أَنْزَلَ الله الرِّزْقَ وَبَقِی الْخَلْقُ. مَلْعُونٌ مَلْعُونٌ، مَغْضُوبٌ مَغْضُوبٌ مَنْ رَدَّ عَلَی قَوْلی هذا وَلَمْ یُوافِقْهُ.

أَلا إِنَّ جَبْرئیلَ خَبَّرنی عَنِ الله تَعالی بِذالِکَ وَیَقُولُ: «مَنْ عادی عَلِیّاً وَلَمْ یَتَوَلَّهُ فَعَلَیْهِ لَعْنَتی وَ غَضَبی»، (وَ لْتَنْظُرْ نَفْسٌ ما قَدَّمَتْ لِغَدٍ وَاتَّقُوالله - أَنْ تُخالِفُوهُ فَتَزِلَّ قَدَمٌ بَعْدَ ثُبُوتِها - إِنَّ الله خَبیرٌ بِما تَعْمَلُونَ).

مَعاشِرَ النَّاسِ، إِنَّهُ جَنْبُ الله الَّذی ذَکَرَ فی کِتابِهِ العَزیزِ، فَقالَ تعالی (مُخْبِراً عَمَّنْ یُخالِفُهُ): (أَنْ تَقُولَ نَفْسٌ یا حَسْرَتا عَلی ما فَرَّطْتُ فی جَنْبِ الله).

ले होगों! अली को श्रेष्ठ मानो, कि वह मेरे बाद तमाम मर्दों और औरतों से श्रेष्ठ है जब तक अल्लाह रोज़ी दे रहा है और उसकी सृष्टि बाक़ी है। जो भी मेरी इस बात का विरोध करे वह मलऊन है मलऊन है और अल्लाह के क्रोध का पात्र है।
बेशक! जिब्रईल ने अल्लाह की तरफ़ से मूझे सूचना दी हैः “जो भी अली से दुश्मनी करेगा और उनकी विलायत को स्वीकार नहीं करेगा उस पर मेरी लानत और क्रोध है।” इसलिए हर एक को देखना चाहिए कि उनसे कल कयामत के दिन के लिए क्या जमा किया है, अल्लाह से डरो और अली का विरोध करने से बचो, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे कदम जम जाने के बाद लड़खड़ा जाएं कि अल्लाह तुम्हारे आचरण को जानता है।
हे लोगों! जान लो कि अली अल्लाह के क़रीब और हैं और उसने अपनी किताब में उसके बारे में बयान किया है और उनसे दुश्मनी रखने वालों के बारे में फ़रमाया हैः

<اَنْ تَقُوْلَ نَفْسٌ یَاحَسْرَتَاعَلیٰ مَافَرَّطَّتُ فِیْ جَنْبِ اللّٰہِ >

हाए अफ़सोस की मैंने अल्लाह के पड़ोसी के हक़ में बड़ी कोताही की है।

مَعاشِرَالنّاسِ، تَدَبَّرُوا الْقُرْآنَ وَ افْهَمُوا آیاتِهِ وَانْظُرُوا إِلی مُحْکَماتِهِ وَلاتَتَّبِعوا مُتَشابِهَهُ، فَوَالله لَنْ یُبَیِّنَ لَکُمْ زواجِرَهُ وَلَنْ یُوضِحَ لَکُمْ تَفْسیرَهُ إِلاَّ الَّذی أَنَا آخِذٌ بِیَدِهِ وَمُصْعِدُهُ إِلی وَشائلٌ بِعَضُدِهِ (وَ رافِعُهُ بِیَدَی) وَ مُعْلِمُکُمْ: أَنَّ مَنْ کُنْتُ مَوْلاهُ فَهذا عَلِی مَوْلاهُ، وَ هُوَ عَلِی بْنُ أَبی طالِبٍ أَخی وَ وَصِیّی، وَ مُوالاتُهُ مِنَ الله عَزَّوَجَلَّ أَنْزَلَها عَلَی.

हे लोगों! क़ुरआन में चिंतन करो, उसकी आयतों की गहराई को समझो, उसके मोहकम (स्पष्ट आदेश और आयते) में ग़ौर करो और मुतशाबेहात (दो या कई रुख आयतें) की पीछे न भागो, ख़ुदा की क़सम क़ुरआन के बातिन और उसकी तफ़्सीर को सामने नहीं लाएगा कोई मगर वह जिसका हाथ मेरे हाथ में है और जिसका बाज़ू थाम कर मैंने उठा रखा है और जिसके बारे में यह एलान कर रहा हूँ: जिसका मैं मौला (सरपरस्त) हूँ उसका यह अली मौला है और यह अली बिन अबीतालिब मेरा भाई और ख़लीफ़ा है कि जिसकी सरपरस्ती और विलायत का आदेश अल्लाह की तरफ़ मुझ पर उतारा गया है।

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّ عَلِیّاً وَالطَّیِّبینَ مِنْ وُلْدی (مِنْ صُلْبِهِ) هُمُ الثِّقْلُ الْأَصْغَرُ، وَالْقُرْآنُ الثِّقْلُ الْأَکْبَرُ، فَکُلُّ واحِدٍ مِنْهُما مُنْبِئٌ عَنْ صاحِبِهِ وَ مُوافِقٌ لَهُ، لَنْ یَفْتَرِقا حَتّی یَرِدا عَلَی الْحَوْضَ.

أَلا إِنَّهُمْ أُمَناءُ الله فی خَلْقِهِ وَ حُکّامُهُ فی أَرْضِهِ. أَلاوَقَدْ أَدَّیْتُ.

أَلا وَقَدْ بَلَّغْتُ، أَلاوَقَدْ أَسْمَعْتُ، أَلاوَقَدْ أَوْضَحْتُ، أَلا وَ إِنَّ الله عَزَّوَجَلَّ قالَ وَ أَنَا قُلْتُ عَنِ الله عَزَّوَجَلَّ، أَلاإِنَّهُ لا «أَمیرَالْمُؤْمِنینَ» غَیْرَ أَخی هذا، أَلا لاتَحِلُّ إِمْرَةُ الْمُؤْمِنینَ بَعْدی لاَِحَدٍ غَیْرِهِ.

हे लोगों! अली और उनकी नस्ल से मेरी पवित्र संतान सिक़्ले असग़र हैं और क़ुरआन सिक़्ले अकबर है, इनमें से हर एक दूसरी की ख़बर देता है और दोनों एक दूसरे से जुदा न होंगे यहां तक कि हौज़े कौसर पर आ जाएंगें।

जान लो! कि (मेरी) वह (संतान) मख़लूक़ात में अल्लाह के भरोसेमंद एवं अमीन और ज़मीन में अल्लाह की तरफ़ से शासक है।

होशियार रहो कि मैं ने अपनी दायित्व पूरा कर दिया है। होशियार रहो कि जो मेरे ज़िम्मे था मैंने उसको पहुँचा दिया, मैंने बात तुम्हारे कानों तक पहुँचादी, और सत्य को स्पष्ट कर दिया, सावधान रहो और जान लो कि यह अल्लाह का आदेश था और मैंने केवल उसका आदेश पहुँचाया है, सावधान रहो कि मेरे इस भाई के अतिरिक्त किसी दूसरे को अमीरुल मोमिनीन कहलाने का हक़ नहीं है, जान लो कि मेरे बाद इनके अतिरिक्त किसी दूसरे को हुकूमत करने का हक़ हासिल नहीं है।

ثم قال: «ایهاالنَّاسُ، مَنْ اَوْلی بِکُمْ مِنْ اَنْفُسِکُمْ؟ قالوا: الله و رَسُولُهُ. فَقالَ: اَلا من کُنْتُ مَوْلاهُ فَهذا عَلی مَوْلاهُ، اللهمَّ والِ مَنْ والاهُ و عادِ مَنْ عاداهُ وَانْصُرْمَنْ نَصَرَهُ واخْذُلْ مَنْ خَذَلَهُ.

फ़िर फ़रमायाः हे लोगों! क्या तुम पर तुम से अधिक किसी का अधिकार है? सभी ने कहाः अल्लाह और उसके रसूल का। फ़िर फ़रमायाः जान लो जिसका मैं मौला हूँ उसके यह अली मौता हैं, ख़ुदाया तू उससे मोहब्बत कर जो उनसे मोहब्बत करने वाला है, और उसको अपना दुश्मन रख जो उनसे दुश्मनी रखने वाला है, उसकी सहायता कर जो अली की सहायता करने वाला है और उसको छोड़ दे जो अली को छोड़ देने वाला है।

4.    पैग़म्बर (स) के हाथों पर अली (अ) का परिचय

مَعاشِرَالنّاسِ، هذا عَلِی أخی وَ وَصیی وَ واعی عِلْمی، وَ خَلیفَتی فی اُمَّتی عَلی مَنْ آمَنَ بی وَعَلی تَفْسیرِ کِتابِ الله عَزَّوَجَلَّ وَالدّاعی إِلَیْهِ وَالْعامِلُ بِمایَرْضاهُ وَالُْمحارِبُ لاَِعْدائهِ وَالْمُوالی عَلی طاعَتِهِ وَالنّاهی عَنْ مَعْصِیَتِهِ. إِنَّهُ خَلیفَةُ رَسُولِ الله وَ أَمیرُالْمُؤْمِنینَ وَالْإمامُ الْهادی مِنَ الله، وَ قاتِلُ النّاکِثینَ وَالْقاسِطینَ وَالْمارِقینَ بِأَمْرِالله. یَقُولُ الله: (مایُبَدَّلُ الْقَوْلُ لَدَی).

بِأَمْرِکَ یارَبِّ أَقولُ: اَلَّلهُمَّ والِ مَنْ والاهُ وَعادِ مَنْ عاداهُ (وَانْصُرْ مَنْ نَصَرَهُ وَاخْذُلْ مَنْ خَذَلَهُ) وَالْعَنْ مَنْ أَنْکَرَهُ وَاغْضِبْ عَلی مَنْ جَحَدَ حَقَّهُ

हे लोगों! यह अली मेरा भाई, वसी और मेरे ज्ञान का ख़ज़ाना और मेरी उम्मत में मुझ पर ईमान लाने वालों का ख़लीफ़ा है और अल्लाक की किताब की तफ्सीर के आधार पर भी मेरा जानशीन है, यह ख़ुदा की तरफ़ बुलाने वाला उसकी अच्छानुसार कार्य करने वाला और उसके शत्रुओं से जेहाद करने वाला, उसके अनुसरण पर साथ देने वाला, उसकी अवहेलना से रोकने वाला है।

निसंदेह वह अल्लाह के रसूल का जानशीन मोमिनकों का हाकिम अल्लाह की तरफ़ से मार्गदर्शन करने वाला इमाम और नाकेसीन (बैअत तोड़ने वाले) क़सेतीन (अत्याचारी) और मारेक़ीन (विधर्मी) से जेहाद करने वाला है, अल्लाह फ़रमाता हैः

:<مٰایُبَدَّلُ الْقَوْلُ لَدَیَّ>

मेरे आदेश में बदलाव नहीं होता है

या अल्लाह तेरे आदेश से यह कह रहा हूँ: या अल्लाह अली के दोस्त को दोस्त रखना और अली के दुश्मन को दुश्मन रखना, जो अली की सहायता करे उसकी सहायता करना और जो अली को छोड़ दे उसको ज़लील और अपमानित करना, उसका इन्कार करने वाले पर लानत करना और जो उसके अधिकार के विरोध करने उसक पर अपना श्राप उतारना।

اللهمَّ إِنَّکَ أَنْزَلْتَ الْآیَةَ فی عَلِی وَلِیِّکَ عِنْدَتَبْیینِ ذالِکَ وَنَصْبِکَ إِیّاهُ لِهذَا الْیَوْمِ: (الْیَوْمَ أَکْمَلْتُ لَکُمْ دینَکُمْ وَأَتْمَمْتُ عَلَیْکُمْ نِعْمَتی وَ رَضیتُ لَکُمُ الْإِسْلامَ دیناً)، (وَ مَنْ یَبْتَغِ غَیْرَالْإِسْلامِ دیناً فَلَنْ یُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِی الْآخِرَةِ مِنَ الْخاسِرینَ). اللهمَّ إِنِّی أُشْهِدُکَ أَنِّی قَدْ بَلَّغْتُ.

पालने वाले! तू ने इस चीज़ को बयान करते समय और आज के दिन अली को ख़िलाफ़त का ताज पहनाते समय अली के बारे में यह आयत उतारीः

      <الْیَوْمَ اٴَکْمَلْتُ لَکُمْ دینَکُمْ وَاٴَتْمَمْتُ عَلَیْکُمْ نِعْمَتی وَرَضیتُ لَکُمْ الاِسْلاٰمَ دیناً>

आज मैं ने धीन को पूर्ण कर दिया, और तुम पर अनुकम्पा को पूरा कर दिया, और इस्लाम को पसंदीदा दीन क़रार दिया।

<وَمَنْ یَبْتَغِ غَیْرَالاِسْلاٰمِ دیناًفَلَنْ یُقْبَلَ مِنْہُ وَھُوَفِی الْآخِرَةِمِنَ الْخاسِرینَ>

और जो इस्लाम के अतिरिक्त किसी दूसरे दीन की तरफ़ जाएगा उसस वह दीन स्वीकार नहीं किया जाएगा और वह आख़ेरत में नुक़सान उठाने वालों में होगा।

पालने वाले! मैं तुझे गवाह बनाता हूँ कि मैंने तेरे आदेश को लोगों तक पहुँचा दिया।

5.    इमामत के मसअले पर उम्मत की तवज्जोह पर ज़ोर

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّما أَکْمَلَ الله عَزَّوَجَلَّ دینَکُمْ بِإِمامَتِهِ. فَمَنْ لَمْ یَأْتَمَّ بِهِ وَبِمَنْ یَقُومُ مَقامَهُ مِنْ وُلْدی مِنْ صُلْبِهِ إِلی یَوْمِ الْقِیامَةِ وَالْعَرْضِ عَلَی الله عَزَّوَجَلَّ فَأُولئِکَ الَّذینَ حَبِطَتْ أَعْمالُهُمْ (فِی الدُّنْیا وَالْآخِرَةِ) وَ فِی النّارِهُمْ خالِدُونَ، (لایُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذابُ وَلاهُمْ یُنْظَرونَ).

हे लोगों! अल्लाह ने अली की इमामत से दीन का पूर्ण कर दिया, अब जो भी अली और उनकी नस्ल से आने वाली मेरी औलाद की इमामत को स्वीकार न करे उसके लोक परलोक के सारे कार्य बेकार हो जाएंगे और वह सदैव नर्क में रहेगा इस प्रकार की न उनके अज़ाब में कोई कमी होगी और न उन्हें मोहलत दी जाएगी।

مَعاشِرَالنّاسِ، هذا عَلِی، أَنْصَرُکُمْ لی وَأَحَقُّکُمْ بی وَأَقْرَبُکُمْ إِلَی وَأَعَزُّکُمْ عَلَی، وَالله عَزَّوَجَلَّ وَأَنَاعَنْهُ راضِیانِ. وَ مانَزَلَتْ آیَةُ رِضاً (فی الْقُرْآنِ) إِلاّ فیهِ، وَلا خاطَبَ الله الَّذینَ آمَنُوا إِلاّبَدَأ بِهِ، وَلانَزَلَتْ آیَةُ مَدْحٍ فِی الْقُرْآنِ إِلاّ فیهِ، وَلاشَهِدَ الله بِالْجَنَّةِ فی (هَلْ أَتی عَلَی الْاِنْسانِ) إِلاّلَهُ، وَلا أَنْزَلَها فی سِواهُ وَلامَدَحَ بِها غَیْرَهُ.

हे लोगों! यह अली तुम में से सबसे अधिक मेरी सहायता करने वाला, तुम में से मेरा सबसे क़रीबी, और मेरा सबसे प्यारा है, अल्लाह और मैं उससे प्रसन्न हैं। क़ुरआन में जो बी प्रसन्नता की आयत है वह इसी के लिए है, और अल्लाह ने जहां पर भी या अय्योहल लज़ीना आमनू कहा है उसका पहला संबोधन यह अली है, क़ुरआन में प्रशंसा की आयत इसी के लिए है, और अल्लाह ने सूरए हल अता में जन्नत की गवाही केवल इसी के लिए दी है यह सूरा किसी और के लिए नहीं उतरा है और न किसी और की उसके अतिरिक्त प्रशंसा की गई है।

مَعاشِرَالنّاسِ، هُوَ ناصِرُ دینِ الله وَالُْمجادِلُ عَنْ رَسُولِ الله، وَ هُوَالتَّقِی النَّقِی الْهادِی الْمَهْدِی. نَبِیُّکُمْ خَیْرُ نَبی وَ وَصِیُّکُمْ خَیْرُ وَصِی (وَبَنُوهُ خَیْرُالْأَوْصِیاءِ).

مَعاشِرَالنّاسِ، ذُرِّیَّةُ کُلِّ نَبِی مِنْ صُلْبِهِ، وَ ذُرِّیَّتی مِنْ صُلْبِ (أَمیرِالْمُؤْمِنینَ) عَلِی.

مَعاشِرَ النّاسِ، إِنَّ إِبْلیسَ أَخْرَجَ آدَمَ مِنَ الْجَنَّةِ بِالْحَسَدِ، فَلاتَحْسُدُوهُ فَتَحْبِطَ أَعْمالُکُمْ وَتَزِلَّ أَقْدامُکُمْ، فَإِنَّ آدَمَ أُهْبِطَ إِلَی الْأَرضِ بِخَطیئَةٍ واحِدَةٍ، وَهُوَ صَفْوَةُالله عَزَّوَجَلَّ، وَکَیْفَ بِکُمْ وَأَنْتُمْ أَنْتُمْ وَ مِنْکُمْ أَعْداءُالله،

أَلا وَ إِنَّهُ لایُبْغِضُ عَلِیّاً إِلاّشَقِی، وَ لایُوالی عَلِیّاً إِلاَّ تَقِی، وَ لایُؤْمِنُ بِهِ إِلاّ مُؤْمِنٌ مُخْلِصٌ.

हे लोगों! वह अल्लाह के दीन का मददगार, उसके रसूल की सुरक्षा करने वाला, परहेज़गार, पवित्र (अल्लाह द्वारा मार्गदर्शित) मार्गदर्शक है। तुम्हारा पैग़म्बर सबसे श्रेष्ठ पैग़म्बर, उसकी वसी बेहतरीन वसी और उसकी संतान बेहतरीन वसी हैं।

हे लोगों! हर नबी की संतान उसकी नस्ल से हैं और मेरी औलाद अमीरुल मोमिनीन अली की नस्ल से हैं।

हे लोगों! शैतान गुमराह करने वाला है, उसने आदम को जलन के कारण स्वर्ग से निकलवा दिया, कही ऐसा न हो कि तुम भी अली से जलने लगों और तुम्हारे आमाल बरबाद हो जाएं और तुम्हारे क़दल लड़खड़ा जाएं, आदम एक ग़लती के कारण धरती पर भेज दिए गए जब कि वह अल्लाह के चुने हुए (नबी) थे, तो तुम्हारा क्या हश्र होगा, जब कि तुम तुम हो और तुम्हारे बीच अल्लाह के दुश्मन भी पाए जाते हैं।

याद रखो कि अली का शत्रु बदकिस्मत होगा, और उनकी सरपरस्ती को स्वीकार नहीं करेगा मगर यह कि वह मोमिन और परहेज़गार होगा, उनकी मोहब्बत किसी के दिल में नहीं होगी मगर यह कि उसका ईमान शुद्ध होगा।

وَ فی عَلِی - وَالله - نَزَلَتْ سُورَةُ الْعَصْر: (بِسْمِ الله الرَّحْمانِ الرَّحیمِ، وَالْعَصْرِ، إِنَّ الْإِنْسانَ لَفی خُسْرٍ) (إِلاّ عَلیّاً الّذی آمَنَ وَ رَضِی بِالْحَقِّ وَالصَّبْرِ).

مَعاشِرَالنّاسِ، قَدِ اسْتَشْهَدْتُ الله وَبَلَّغْتُکُمْ رِسالَتی وَ ما عَلَی الرَّسُولِ إِلاَّالْبَلاغُ الْمُبینُ.

مَعاشِرَالنّاسِ، (إتَّقُوالله حَقَّ تُقاتِهِ وَلاتَموتُنَّ إِلاّ وَأَنْتُمْ مُسْلِمُونَ).

और ख़ुदा की क़सम अली के बारे में ही सूरए अस्र नाज़िल हुआ है।

      <بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ وَالْعَصْرِاِنَّ الْاِنْسَانَ لَفِیْ خُسْر>

शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बेहरबान और बहुत रहम करने वाला है, क़सम है ज़माने की, निसंदेह इंसान घाटे में है, मगर अली जो कि ईमान लाए और सत्य एवं कठिनाइयों पर धैर्य रखा।

हे लोगों! मैंने ख़ुदा को गवाह बनाकर अपना संदेश तुम तक पहुँचा दिया और रसूल का दायित्व संदेश पहुँचा देने के अतिरिक्त कुछ नहीं है।

हे लोगों! अल्लाह से डरो, जैसे डरने का हक़ है, और तब तक न मरना जब तक इस्लाम न ले आना।

6.     मुनाफ़ेक़ों की धोखेबाज़ी की तरफ़ इशारा

مَعاشِرَالنّاسِ، (آمِنُوا بِالله وَ رَسُولِهِ وَالنَّورِ الَّذی أُنْزِلَ مَعَهُ مِنْ قَبْلِ أَنْ نَطْمِسَ وُجُوهاً فَنَرُدَّها عَلی أَدْبارِها أَوْ نَلْعَنَهُمْ کَما لَعَنَّا أَصْحابَ السَّبْتِ). (بالله ما عَنی بِهذِهِ الْآیَةِ إِلاَّ قَوْماً مِنْ أَصْحابی أَعْرِفُهُمْ بِأَسْمائِهِمْ وَأَنْسابِهِمْ، وَقَدْ أُمِرْتُ بِالصَّفْحِ عَنْهُمْ فَلْیَعْمَلْ کُلُّ امْرِئٍ عَلی مایَجِدُ لِعَلِی فی قَلْبِهِ مِنَ الْحُبِّ وَالْبُغْضِ).

مَعاشِرَالنّاسِ، النُّورُ مِنَ الله عَزَّوَجَلَّ مَسْلوکٌ فِی ثُمَّ فی عَلِی بْنِ أَبی طالِبٍ، ثُمَّ فِی النَّسْلِ مِنْهُ إِلَی الْقائِمِ الْمَهْدِی الَّذی یَأْخُذُ بِحَقِّ الله وَ بِکُلِّ حَقّ هُوَ لَنا، لاَِنَّ الله عَزَّوَجَلَّ قَدْ جَعَلَنا حُجَّةً عَلَی الْمُقَصِّرینَ وَالْمعُانِدینَ وَالُْمخالِفینَ وَالْخائِنینَ وَالْآثِمینَ وَالّظَالِمینَ وَالْغاصِبینَ مِنْ جَمیعِ الْعالَمینَ.

हे लोगों! अल्लाह, उसके रसूल और उस नूर पर ईमान लाओ जो उसके साथ है उतारा गया, इससे पहले कि हम चेहरों को बिगाड़ कर पीछे की तरफ़ मोड़ दें या असहाबे सब्त (वह यहूदी जिन्होंने शनिवार के दिन शिकार से मना किए जाने के बावजूद विभिन्न प्रकार के बहानेबाज़ी से शिकार करते थे) की तरह अल्लाह के लानत के पात्र बन जाओ। “ख़ुदा की क़सम इस आयत का तात्पर्य सहाबा का वह गुट है जिनमें मैं उनके नाम और ख़ानदान से पहचानता हूँ लेकिन लेकिन मुझे उनका नाम न बताने का आदेश दिया गया है। हर इंसान अपने कार्यों में अली से मोहब्बत या दुश्मनी के आधार पर करता है (यानी इंसान के हर कार्य का तराज़ू अली ही मोहब्बत या दुश्मनी है।)

हे लोगों! अल्लाह की तरफ़ से आए नूर की पहली मंज़िल मैं हूँ, फ़िर अली बिन अबी तालिब, उसके बाद उनकी नस्ल में महदी ए क़ाएम तक है। जो अल्लाह का हक़ और हमारा हक़ प्राप्त करेगा। क्योंकि अल्लाह ने हम को पूरे संसार के कोताही करने वालों, शत्रुता करने वालों, विरोध करने वालों, ख़यानत करने वालों, पापियों, अत्याचार करने वालों, ग़स्ब करने वालों पर हुज्जत बनाया है।

مَعاشِرَالنّاسِ، أُنْذِرُکُمْ أَنّی رَسُولُ الله قَدْخَلَتْ مِنْ قَبْلِی الرُّسُلُ، أَفَإِنْ مِتُّ أَوْقُتِلْتُ انْقَلَبْتُمْ عَلی أَعْقابِکُمْ؟ وَمَنْ یَنْقَلِبْ عَلی عَقِبَیْهِ فَلَنْهان یَضُرَّالله شَیْئاً وَسَیَجْزِی الله الشّاکِرینَ (الصّابِرینَ). أَلاوَإِنَّ عَلِیّاً هُوَالْمَوْصُوفُ بِالصَّبْرِ وَالشُّکْرِ، ثُمَّ مِنْ بَعْدِهِ وُلْدی مِنْ صُلْبِهِ.

مَعاشِرَالنّاسِ، لاتَمُنُّوا عَلَی بِإِسْلامِکُمْ، بَلْ لاتَمُنُّوا عَلَی الله فَیُحْبِطَ عَمَلَکُمْ وَیَسْخَطَ عَلَیْکُمْ وَ یَبْتَلِیَکُمْ بِشُواظٍ مِنْ نارٍ وَنُحاسٍ، إِنَّ رَبَّکُمْ لَبِا الْمِرْصادِ.

हे लोगों! मैं तुम को सावधान करता हूँ, मैं अल्लाह का रसूल हूँ मुझ से पहले भी रसूल आए हैं, तो क्या अगर मैं मर जाऊँ या क़त्ल कर दिया जाऊँ तो तुम अपने पुराने धर्म पर वापस पलट जाओगे? तो जान लो कि जो पलट जाएगा वह अल्लाह का कोई नुक़्सान नहीं करेगा, ख़ुदा धैर्य रखने वाले और शुक्र करने वालों को इन्आम देने वाला है। जान लो कि अली और उसके बाद उसकी नस्ल से मेरी औलाद की धैर्य और शुक्र पर प्रशंसा की गई है।
हे लोगों! मुझ पर अपने इस्लाम के एहसान न जताओ, और अल्लाह पर भी एहसान न जताओ कि वह तुम्हारे कार्यों को बरबाद कर दे और तुम से क्रोधित हो जाए और तुम्हें आग और पिघले हुए तांबे के अज़ाब में डाल दे, ध्यान रखों कि तुम्हारा पालने वाला तुम पर नज़र रखे हुए है।

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّهُ سَیَکُونُ مِنْ بَعْدی أَئمَّةٌ یَدْعُونَ إِلَی النّارِ وَیَوْمَ الْقِیامَةِ لایُنْصَرونَ. مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّ الله وَأَنَا بَریئانِ مِنْهُمْ.

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّهُمْ وَأَنْصارَهُمْ وَأَتْباعَهُمْ وَأَشْیاعَهُمْ فِی الدَّرْکِ الْأَسْفَلِ مِنَ النّارِ وَلَبِئْسَ مَثْوَی الْمُتَکَبِّرِینَ. أَلا إِنَّهُمْ أَصْحابُ الصَّحیفَةِ، فَلْیَنْظُرْ أَحَدُکُمْ فی صَحیفَتِهِ!!

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنِّی أَدَعُها إِمامَةً وَ وِراثَةً (فی عَقِبی إِلی یَوْمِ الْقِیامَةِ)، وَقَدْ بَلَّغْتُ ما أُمِرتُ بِتَبْلیغِهِهان حُجَّةً عَلی کُلِّ حاضِرٍ وَغائبٍ وَ عَلی کُلِّ أَحَدٍ مِمَّنْ شَهِدَ أَوْلَمْ یَشْهَدْ، وُلِدَ أَوْلَمْ یُولَدْ، فَلْیُبَلِّغِ الْحاضِرُ الْغائِبَ وَالْوالِدُ الْوَلَدَ إِلی یَوْمِ الْقِیامَةِ. وَسَیَجْعَلُونَ الْإِمامَةَ بَعْدی مُلْکاً وَ اغْتِصاباً، (أَلا لَعَنَ الله الْغاصِبینَ الْمُغْتَصبینَ)، وَعِنْدَها سَیَفْرُغُ لَکُمْ أَیُّهَا الثَّقَلانِ (مَنْ یَفْرَغُ) وَیُرْسِلُ عَلَیْکُما شُواظٌ مِنْ نارٍ وَنُحاسٌ فَلاتَنْتَصِرانِ.

हे लोगों! बहुत जल्द मेरे बाद ऐसे इमाम आएंगे जो तुम को नर्क की तरफ़ निमंत्रण देगें और क़यामत के दिन वह एकेले और बिना मददगार के होंगे। अल्लाह और मैं दोनों ऐसे लोगों से बेज़ार हैं।

हे लोगों! यह लोग उनका अनुसरण करने वाले और सहायता करने वाले सभी नर्क के सबसे निचले दर्जे में होंगे और यह घमंडी लोगों का सबसे बुरा ठिकाना है। जान लो कि यह लोग असहाबे सहीफ़ा है, इसलिए तुम में से हर एक को अपने सहीफ़े पर नज़र रखना चाहिए।

हे लोगों! जान लो कि मैं जानशीनी को इमामत और इमामत की विरासत के तौर पर क़यामत तक के लिए अपनी नस्ल में क़रार दे रहा हूँ, और अब मैंने अपनी तबलीग़ की जिम्मेदारियों को पूरा कर दिया है ताकि हर उपस्थित और अनुपस्थित, पैदा हो चुके या बाद में पैदा होने वाले सभी पर हुज्जत तमाम हो जाए। अब क़यामत तक हर उपस्थित की जिम्मेदारी यह है कि वह अनुपस्थित तक और हर पिता अपनी संतान तक यह संदेश पहुँचा दे।

याद रखो! बहुत जल्द इमामत को बादशाहत से बदल दिया जाएगा, उस पर क़ब्ज़ा करके अपने हस्क्षेप में ले लिया जाएगा।

निसंदेह अल्लाह की लानत है ग़स्ब कने वाले पर, जब यह होगा ते अल्लाह अज़ाब की आग –भड़कते शोले और पिघला हुआ तांबा- तुम इंसानों और जिन्नातों पर डाल देता, उसके बाद कोई सहायता करने वाला न होगा।

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّ الله عَزَّوَجَلَّ لَمْ یَکُنْ لِیَذَرَکُمْ عَلی ما أَنْتُمْ عَلَیْهِ حَتّی یَمیزَالْخَبیثَ مِنَ الطَّیِّبِ، وَ ما کانَ الله لِیُطْلِعَکُمْ عَلَی الْغَیْبِ.

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّهُ ما مِنْ قَرْیَةٍ إِلاّ وَالله مُهْلِکُها بِتَکْذیبِها قَبْلَ یَوْمِ الْقِیامَةِ وَ مُمَلِّکُهَا الْإِمامَ الْمَهْدِی وَالله مُصَدِّقٌ وَعْدَهُ.

مَعاشِرَالنّاسِ، قَدْ ضَلَّ قَبْلَکُمْ أَکْثَرُالْأَوَّلینَ، وَالله لَقَدْ أَهْلَکَ الْأَوَّلینَ، وَهُوَ مُهْلِکُ الْآخِرینَ. قالَ الله تَعالی: (أَلَمْ نُهْلِکِ الْأَوَّلینَ، ثُمَّ نُتْبِعُهُمُ الْآخِرینَ، کذالِکَ نَفْعَلُ بِالُْمجْرِمینَ، وَیْلٌ یَوْمَئِذٍ لِلْمُکَذِّبینَ).

हे लोगों! अल्लाह तुम को तुम्हारे हाल पर नहीं छोड़ देगा यहां तक कि अपवित्र को पवित्र से अलग कर दे और अल्लाह तुम को ग़ैब की जानकारी नहीं देना चाहता (आपने सूरए आले इमरान आयत 179 की तरफ़ इशारा किया है)
हे लोगों! धरती का कोई भाग नहीं है मगर यह कि अल्लाह (वहां रहने वालों द्वारा ईश्वरीय संदेशों को झुठलाने के कारण) कयामत से पहले बरबाद कर देगा और उसे हज़रत महदी (अज) की हुकूमत की छत्रछाया में ले आएगा, यह अल्लाह का वादा है और अल्लाह का वादा सच्चा है।

हे लोगों! तुम से पहले बहुत से गुमराह हो गए और अल्लाह ने उनका नाष कर दिया, और वही आगे भी तबाह करने वाला है।

      <اٴَلَمْ نُھْلِکِ الْاٴَوَّلینَ،ثُمَّ نُتْبِعُھُمُ الْآخِرینَ،کَذٰلِکَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمینَ،وَیْلٌ یَوْمَئِذٍ لِلْمُکَذِّبینَ>

“क्या हम ने उनके पहले वालों का सर्वनाश नहीं किया फिर दूसरे लोगों को बी उन्हीं के पीछे लगा देंगे, हम अपराधियों के साथ इसी प्रकार पेश आते हैं और आज के दिन झुठलाने वालों के लिए बरबादी ही बरबादी है।”

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّ الله قَدْ أَمَرَنی وَنَهانی، وَقَدْ أَمَرْتُ عَلِیّاً وَنَهَیْتُهُ (بِأَمْرِهِ). فَعِلْمُ الْأَمْرِ وَالنَّهُی لَدَیْهِ، فَاسْمَعُوا لاَِمْرِهِ تَسْلَمُوا وَأَطیعُوهُ تَهْتَدُوا وَانْتَهُوا لِنَهْیِهِ تَرشُدُوا، (وَصیرُوا إِلی مُرادِهِ) وَلا تَتَفَرَّقْ بِکُمُ السُّبُلُ عَنْ سَبیلِهِ.

हे लोगों! अल्लाह ने मुझे अपने अम्र (आदेश) व नहीं (रोकने) का मार्गदर्शन किया है और मैंने उसके आदेश से अली को उसका ज्ञान दिया है। तो अली के पास अम्र व नहीं का ज्ञान है, तो उनके आदेश को सुनो और पालन करो, उनका अनुसरण करो ताकि सही रास्ता पा जाओ, उनके रोकने पर रुक जाओ ताकि सही मार्ग पर आ जाओ, उनके लक्ष्य के अनुसार चलो, अलग अलग रास्ते तुम को उनके रास्ते से दूर ले जाएंगे।

7. अहलेबैत के अनुयायी और उनके शत्रु

مَعاشِرَالنّاسِ، أَنَا صِراطُ الله الْمُسْتَقیمُ الَّذی أَمَرَکُمْ بِاتِّباعِهِ، ثُمَّ عَلِی مِنْ بَعْدی. ثُمَّ وُلْدی مِنْ صُلْبِهِ أَئِمَّةُ (الْهُدی)، یَهْدونَ إِلَی الْحَقِّ وَ بِهِ یَعْدِلونَ.

ثُمَّ قَرَأَ: «بِسْمِ الله الرَّحْمانِ الرَّحیمِ الْحَمْدُلِلَّهِ رَبِ الْعالَمینَ...» إِلی آخِرِها،

हे लोगों! मैं वह सीधा रास्ता हूँ जिस पर चलने का अल्लाह ने आदेश दिया है। मेरे बाद अली हैं, और उनके बाद उनकी नस्ल से मेरी संतान है, यह सब वह इमाम है जो सीधे रास्ते और सच्चाई का मार्गदर्शन करते हैं हक़ का निमंत्रण और आदेश देते हैं।

उसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने इस प्रकार फरमायाः बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम, अलहमदो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन.... अलहमद का सूरा पढ़ने के बाद आप ने इस प्रकार फरमायाः

وَقالَ: فِی نَزَلَتْ وَفیهِمْ (وَالله) نَزَلَتْ، وَلَهُمْ عَمَّتْ وَإِیَّاهُمْ خَصَّتْ، أُولئکَ أَوْلِیاءُالله الَّذینَ لاخَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلاهُمْ یَحْزَنونَ، أَلا إِنَّ حِزْبَ الله هُمُ الْغالِبُونَ. أَلا إِنَّ أَعْدائَهُمْ هُمُ السُّفَهاءُالْغاوُونَ إِخْوانُ الشَّیاطینِ یوحی بَعْضُهُمْ إِلی بَعْضٍ زُخْرُفَ الْقَوْلِ غُروراً. أَلا إِنَّ أَوْلِیائَهُمُ الَّذینَ ذَکَرَهُمُ الله فی کِتابِهِ، فَقالَ عَزَّوَجَلَّ: (لاتَجِدُ قَوْماً یُؤمِنُونَ بِالله وَالْیَوْمِ الْآخِرِ یُوادُّونَ مَنْ حادَّالله وَ رَسُولَهُ وَلَوْکانُوا آبائَهُمْ أَوْأَبْنائَهُمْ أَوْإِخْوانَهُمْ أَوْعَشیرَتَهُمْ، أُولئِکَ کَتَبَ فی قُلوبِهِمُ الْإیمانَ) إِلی آخِرالآیَةِ

ख़ुदा की सौगंध यह सूरा मेरे और मेरी औलाद के बारे में उतरा है और इमामों को शामिल है और केवल उनकी से मख़सूस है। वह अल्लाह के दोस्त है जिनके लिए कोई डर और ग़म नहीं है, जान लो! कि अल्लाह की पार्टी ही भारी पड़ने वाली (विजेता) है।

जान लो कि उन (इमामों) का शत्रु पथभ्रष्ट और शैतान का साथी है, लोगों को पथभ्रष्ट करने के लिए बेकार बेमोल की बातों को एक दूसरे तक पहुँचाते हैं।

जान लो! अल्लाह ने इमाम के दोस्तों के संबंध में अपनी किताब क़ुरआन में यह फ़रमाया हैः

<لَاتَجِدُ قَوْماًیُوٴمِنُوْنَ بِاللہِ والْیَوْمِ الْآخِرِیُوَادُّوْنَ مَنْ حَادَّاللہَ وَرَسُوْلَہ وَلَوْ کَانُوْااٰبَائَھُمْ اَوْاَبْنَائَھُمْ اَوْاِخْوَانَھُمْ اَوْعَشِیْرَتَھُمْ ،اُولٰئِکَ کَتَبَ فِیْ قُلُوْبِھِم الاِیْمَانَ ۔۔۔>

“आप कभी न देखेंगे कि जो क़ौम अल्लाह और आख़ेरत पर ईमान रखने वाली है वह उन लोगों से दोस्ती करे जो अल्लाह और रसूल से दुश्मनी करने वाले हैं. चाहे वह उनके बाप दादा या औलाद या भाई या ख़ानदान और क़बीले वाले ही क्यों न हों, अल्लाह ने ईमान वालों के दिलों में ईमान लिख दिया है”।

أَلا إِنَّ أَوْلِیائَهُمُ الْمُؤْمِنونَ الَّذینَ وَصَفَهُمُ الله عَزَّوَجَلَّ فَقالَ: (الَّذینَ آمَنُوا وَلَمْ یَلْبِسُوا إیمانَهُمْ بِظُلْمٍ أُولئِکَ لَهُمُ الْأَمْنُ وَ هُمْ مُهْتَدونَ).

(أَلا إِنَّ أَوْلِیائَهُمُ الَّذینَ آمَنُوا وَلَمْ یَرْتابوا).

أَلا إِنَّ أَوْلِیائَهُمُ الَّذینَ یدْخُلونَ الْجَنَّةَ بِسَلامٍ آمِنینَ، تَتَلَقّاهُمُ الْمَلائِکَةُ بِالتَّسْلیمِ یَقُولونَ: سَلامٌ عَلَیْکُمْ طِبْتُمْ فَادْخُلوها خالِدینَ.

أَلا إِنَّ أَوْلِیائَهُمْ، لَهُمُ الْجَنَّةُ یُرْزَقونَ فیها بِغَیْرِ حِسابٍ. أَلا إِنَّ أَعْدائَهُمُ الَّذینَ یَصْلَونَ سَعیراً.

أَلا إِنَّ أَعْدائَهُمُ الَّذینَ یَسْمَعونَ لِجَهَنَّمَ شَهیقاً وَ هِی تَفورُ وَ یَرَوْنَ لَهازَفیراً.

أَلا إِنَّ أَعْدائَهُمُ الَّذینَ قالَ الله فیهِمْ: (کُلَّما دَخَلَتْ أُمَّةٌ لَعَنَتْ أُخْتَها) الآیة.

أَلا إِنَّ أَعْدائَهُمُ الَّذینَ قالَ الله عَزَّوَجَلَّ: (کُلَّما أُلْقِی فیها فَوْجٌ سَأَلَهُمْ خَزَنَتُها أَلَمْ یَأتِکُمْ نَذیرٌ، قالوا بَلی قَدْ جاءَنا نَذیرٌ فَکَذَّبْنا وَ قُلنا مانَزَّلَ الله مِنْ شَیءٍ إِنْ أَنْتُمْ إِلاّ فی ضَلالٍ کَبیرٍ) إِلی قَوله: (أَلافَسُحْقاً لاَِصْحابِ السَّعیرِ). أَلا إِنَّ أَوْلِیائَهُمُ الَّذینَ یَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَیْبِ، لَهُمْ مَغْفِرَةٌ وَأَجْرٌ کَبیرٌ.

जान लो! कि इमामों का दोस्त वह बाईमान हैं जिनके बारे में ख़ुदा ने इस प्रकार फ़रमाया हैः

< الَّذِیْنَ آمَنُوْاوَلَمْ یَلْبَسُوْااِیْمَانَھُمْ بِظُلْمٍ اُوْلٰئِکَ لَھُمُ الْاَمْنُ وَھُمْ مُھْتَدُوْن>

“जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अपने ईमान को ज़ुल्म से दूषित नहीं किया उन्हीं के लिए अमन है और वहीं हिदायत पाने वाले हैं।”

जान लो! इमामों के साथी वह है जो ईमान लाए और शक में नहीं पड़े हैं।

जान लो! इमामों के दोस्त वहीं है जो स्वर्ग में अमन व सुकून के साथ प्रवेश करेंगे और फरिश्ते सलाम के साथ उनका स्वागत करते हुए कहेंगेः सलाम हो तुम पर कि तुम पवित्र हो अब स्वर्ग में हमेशा हमेशा के लिए दाख़िल हो जाओ।

जान लो! इमामों के दोस्त ही वह हैं जिन के लिए स्वर्ग है और उन्हें जन्नत में बिना हिसाब के रोज़ी दी जाएगी।

जान लो! (अहलेबैत के) दुश्मन ही वह है जो नर्ग की अग्नि में डाल दिए जाएंगे।

जान लो! कि उनके शत्रु ही वह है जो नर्क की आवाज़ को सुनेंगे, जब कि नर्क की अग्नि के शोले भड़क रहे हों और ज़फ़ीर (बाहर निकलती सांस की आवाज़) की आवाज़ को सुनेंगे।

जान लो! अल्लाह उनके दुश्मनों के संबंध में फ़रमाता हैः

<کُلَّمَا دَخَلَتْ اُمَّةٌ لَعَنَتْ اُخْتَھَا۔۔۔>

“(नर्क में) दाख़िल होने वाला हर गुट दूसरे गुट पर लानत करेगा...।”

जान लो! उनके शत्रु ही वह हैं जिनके बारे में अल्लाह फ़रमाता हैः

       < کُلَّمَا اُلْقِیَ فِیْھَا فَوْجٌ سَاٴَلَھُمْ خَزْنَتُھَااَلَمْ یَاتِکُمْ نَذِیْرٌ. قَالُوْابَلَیٰ قَدْجَاءَ نَانَذِیْرٌفَکَذَّبْنَاوَقُلْنَامَانَزَّلَ اللہُ مِنْ شَیْءٍ اِنْ اَنْتُمْ اِلَّافِیْ ضَلَالٍ کَبِیْرٍ.۔۔۔اَلَا فَسُحْقاًلِاَصْحَا بِ السَّعِیْرِ>

“जब कोई गुट नर्क में दाख़िल होगा तो नर्क के ख़ज़ानची प्रश्न करेंगे क्या तम्हारे पास कोई डराने वाला नहीं आया था? तो वह कहेंगे कि आया तो था लेकिन हम ने उसे झुठला दिया और यह कह दिया कि अल्लाह ने कुछ भी नहीं भेजा है तुम लोग ख़ुद ही बहुत बड़ी गुमराही में पड़े हो”

जान लो! कि अल्लाह के दोस्त वही है जो अल्लाह से ग़ैब से डरते हैं और उन्हीं के लिए मग़फ़ेरत और बड़ा इनाम है।

हे लोगों! आग के शोलों और बड़े इनाम के बीच कितनी दूरी है।

مَعاشِرَالنَاسِ، شَتّانَ مابَیْنَ السَّعیرِ وَالْأَجْرِ الْکَبیرِ.

(مَعاشِرَالنّاسِ)، عَدُوُّنا مَنْ ذَمَّهُ الله وَلَعَنَهُ، وَ وَلِیُّنا (کُلُّ) مَنْ مَدَحَهُ الله وَ أَحَبَّهُ.

مَعاشِرَ النّاسِ، أَلاوَإِنّی (أَنَا) النَّذیرُ و عَلِی الْبَشیرُ.

(مَعاشِرَالنّاسِ)، أَلا وَ إِنِّی مُنْذِرٌ وَ عَلِی هادٍ.

مَعاشِرَ النّاس (أَلا) وَ إِنّی نَبی وَ عَلِی وَصِیّی.

(مَعاشِرَالنّاسِ، أَلاوَإِنِّی رَسولٌ وَ عَلِی الْإِمامُ وَالْوَصِی مِنْ بَعْدی، وَالْأَئِمَّةُ مِنْ بَعْدِهِ وُلْدُهُ. أَلاوَإِنّی والِدُهُمْ وَهُمْ یَخْرُجونَ مِنْ صُلْبِهِ).

हे लोगों! अल्लाह ने हमारे दुश्मनों की निंदा और उन पर लानत की है और हमारे दोस्तों की प्रशंसा की है और दोस्त रखा है।

हे लोगों! जान लो कि मैं डराने वाला और अली शुभ समाचार देने वाले हैं।

हे लोगों! मैं डराने वाला और अली मार्गदर्शन करने वाले हैं।

हे लोगों! जान लो कि मैं पैग़म्बर हूँ और मेरे बाद मेरे जानशीन हैं।

हे लोगों! जान लो कि मैं रसूल हूँ और मेरे बाद अली मेरे जानशीन है और उनके बाद उनकी संतान इमाम हैं।

हे लोगों! जान लो कि मैं उनका पिता हूँ लेकिन वह अली की नस्ल से पैदा होंगे।

8. हज़रत महदी (अज)

أَلا إِنَّ خاتَمَ الْأَئِمَةِ مِنَّا الْقائِمَ الْمَهْدِی.

أَلا إِنَّهُ الظّاهِرُ عَلَی الدِّینِ.

أَلا إِنَّهُ الْمُنْتَقِمُ مِنَ الظّالِمینَ.

أَلا إِنَّهُ فاتِحُ الْحُصُونِ وَهادِمُها.

أَلا إِنَّهُ غالِبُ کُلِّ قَبیلَةٍ مِنْ أَهْلِ الشِّرْکِ وَهادیها.

أَلاإِنَّهُ الْمُدْرِکُ بِکُلِّ ثارٍ لاَِوْلِیاءِالله.

أَلا إِنَّهُ النّاصِرُ لِدینِ الله.

أَلا إِنَّهُ الْغَرّافُ مِنْ بَحْرٍ عَمیقٍ.

أَلا إِنَّهُ یَسِمُ کُلَّ ذی فَضْلٍ بِفَضْلِهِ وَ کُلَّ ذی جَهْلٍ بِجَهْلِهِ.

أَلا إِنَّهُ خِیَرَةُالله وَ مُخْتارُهُ.

أَلا إِنَّهُ وارِثُ کُلِّ عِلْمٍ وَالُْمحیطُ بِکُلِّ فَهْمٍ.

أَلا إِنَّهُ الُْمخْبِرُ عَنْ رَبِّهِ عَزَّوَجَلَّ وَ الْمُشَیِّدُ لاَِمْرِ آیاتِهِ.

أَلا إِنَّهُ الرَّشیدُ السَّدیدُ.

أَلا إِنَّهُ الْمُفَوَّضُ إِلَیْهِ.

أَلا إِنَّهُ قَدْ بَشَّرَ بِهِ مَنْ سَلَفَ مِنَ الْقُرونِ بَیْنَ یَدَیْهِ.

أَلا إِنَّهُ الْباقی حُجَّةً وَلاحُجَّةَ بَعْدَهُ وَلا حَقَّ إِلاّ مَعَهُ وَلانُورَ إِلاّعِنْدَهُ.

أَلا إِنَّهُ لاغالِبَ لَهُ وَلامَنْصورَ عَلَیْهِ.

أَلاوَإِنَّهُ وَلِی الله فی أَرْضِهِ، وَحَکَمُهُ فی خَلْقِهِ، وَأَمینُهُ فی سِرِّهِ وَ علانِیَتِهِ.

याद रखो! निसंदेह अंतिम इमाम क़ाएम महदी हम में से हैं।

जान लो! वह हर धर्म पर ग़ालिब होने वाला है।

जान लो! वह अत्याचारियों के बदला लेने वाला है।

जान लो! वही क़िलों के जीतने वाला और उनके गिराने वाला है।

जान लो! वही मुशरेकीन के हर गुट पर ग़ालिब होने वाला और उनका मार्गदर्शन करने वाला है।

जान लो! वह अल्लाह के तमाम वलियों के ख़ून का बदला लेने वाला है।

जान लो! वह अल्लाह दे दीन का मददगार है।

जान लो! गहरे समुद्र को एक पैमाने में भर लेने वाला है।

जान लो! वह हर मूल्यवान को उसके मूल्य और हर नादानी को उसकी जेहालत के अनुसार नेकी देने वाला है।

जान लो! वही अल्लाह का चुना हुआ और प्रिय है।

जान लो! वही हर चीज़ का ज्ञान रखने वाला और हर समझ को समो लेने वाला है।

जान लो! वही अल्लाह की तरफ़ से ख़बर देने वाला और उसकी निशानियों को उठाने वाला है।

जान लो! वह रशीद और सीधे रास्ते पर चलने वाला है।

जान लो! वही है जिसे (संसार के कार्य और दीन) क़ानून दिया गया है।

जान लो! तमाम पिछलों ने उसके ज़ोहूर की भविष्यवाणी की है।

जान लो! वही बाक़ी रहने वाली हुज्जत है और उसके बाद कोई हुज्जत न होगी, हर हक़ उसके सात और हर नूर उसके पास है।

जान लो! उस पर किसी को विजय प्राप्त नहीं होने वाली और न उसके शत्रु की कोई सहायता होने वाली है।

जान लो! वह धरती पर अल्लाह का वली, लोगों के बीच उसका फैसला करने वाला, और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष चीजों में उसका अमानतदार है।

9. बैअत का विवरण

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنّی قَدْبَیَّنْتُ لَکُمْ وَأَفْهَمْتُکُمْ، وَ هذا عَلِی یُفْهِمُکُمْ بَعْدی. أَلاوَإِنِّی عِنْدَ انْقِضاءِ خُطْبَتی أَدْعُوکُمْ إِلی مُصافَقَتی عَلی بَیْعَتِهِ وَ الإِقْرارِبِهِ، ثُمَّ مُصافَقَتِهِ بَعْدی. أَلاوَإِنَّی قَدْ بایَعْتُ الله وَ عَلِی قَدْ بایَعَنی. وَأَنَا آخِذُکُمْ بِالْبَیْعَةِ لَهُ عَنِ الله عَزَّوَجَلَّ. (إِنَّ الَّذینَ یُبایِعُونَکَ إِنَّما یُبایِعُونَ الله، یَدُالله فَوْقَ أَیْدیهِمْ. فَمَنْ نَکَثَ فَإِنَّما یَنْکُثُ عَلی نَفْسِهِ، وَ مَنْ أَوْفی بِما عاهَدَ عَلَیْهُ الله فَسَیُؤْتیهِ أَجْراً عَظیماً).

हे लोगों! मैं ने अल्लाह के संदेश को स्पष्ट कर दिया और तुम को समझा दिया, मेरे बाद अब यह अती तुम को समझाएंगे।

जान लो! मैं तुम्हें इस बात का आग्रह करता हूँ कि ख़ुत्बे के समाप्त होने के बाद पहले मेरे हाथ पर उनकी बैअत करो, उसके बाद उनके हाथ पर बैअत करो,

जान लो! मैं ने अल्लाह की बैअत की है और अली ने मेरी बैअत की है और अब मैं अल्लाह के आदेश से अली की इमामत पर बैअत ले रहा हूँ

अल्लाह फ़रमाता हैः

<اِنَّ الَّذِیْنَ یُبَایِعُوْنَکَ اِنَّمَایُبَایِعُوْنَ اللہَ یَدُ اللہِ فَوْقَ اَیْدِیْھِمْ فَمَنْ نَکَثَ فَاِنَّمَایَنْکُثُ عَلیٰ نَفْسِہ وَمَنْ اَوْفَیٰ بِمَاعَاھَدَ عَلَیْہُ اللہَ فَسَیُوْتِیْہِ اَجْراًعَظِیْماً>

(हे पैग़म्बर) निःसंदेह जो लोग आपकी बैअत करते हैं वह वास्तव में अल्लाह की बैअत करते हैं, अल्लाह का हाथ उनके हाथों के ऊपर है, अब जो भी बैअत तोड़ दे वह अपने ही विरुद्ध कार्य करता है और जो अल्लाह से किए वादे को पूरा करता है अल्लाह उसके महान इनाम देगा।

10. हलाल, हराम, वाजिबात और मोहर्रेमात

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّ الْحَجَّ وَالْعُمْرَةَ مِنْ شَعائرِالله، (فَمَنْ حَجَّ الْبَیْتَ أَوِاعْتَمَرَ فَلاجُناحَ عَلَیْهِ أَنْ یَطَّوَّفَ بِهِما) الآیَة.

مَعاشِرَالنّاسِ، حُجُّواالْبَیْتَ، فَماوَرَدَهُ أَهْلُ بَیْتٍ إِلاَّ اسْتَغْنَوْا وَ أُبْشِروا، وَلاتَخَلَّفوا عَنْهُ إِلاّبَتَرُوا وَ افْتَقَرُوا.

مَعاشِرَالنّاسِ، ماوَقَفَ بِالْمَوْقِفِ مُؤْمِنٌ إِلاَّغَفَرَالله لَهُ ماسَلَفَ مِنْ ذَنْبِهِ إِلی وَقْتِهِ ذالِکَ، فَإِذا انْقَضَتْ حَجَّتُهُ اسْتَأْنَفَ عَمَلَهُ.

مَعاشِرَالنَّاسِ، الْحُجّاجُ مُعانُونَ وَ نَفَقاتُهُمْ مُخَلَّفَةٌ عَلَیْهِمْ وَالله لایُضیعُ أَجْرَالُْمحْسِنینَ.

مَعاشِرَالنّاسِ، حُجُّوا الْبَیْتَ بِکَمالِ الدّینِ وَالتَّفَقُّهِ، وَلاتَنْصَرِفُوا عَنِ الْمشَاهِدِإِلاّ بِتَوْبَةٍ وَ إِقْلاعٍ.

مَعاشِرَالنّاسِ، أَقیمُوا الصَّلاةَ وَ آتُوا الزَّکاةَ کَما أَمَرَکُمُ الله عَزَّوَجَلَّ، فَإِنْ طالَ عَلَیْکُمُ الْأَمَدُ فَقَصَّرْتُمْ أَوْنَسِیتُمْ فَعَلِی وَلِیُّکُمْ وَمُبَیِّنٌ لَکُمْ، الَّذی نَصَبَهُ الله عَزَّوَجَلَّ لَکُمْ بَعْدی أَمینَ خَلْقِهِ. إِنَّهُ مِنِّی وَ أَنَا مِنْهُ، وَ هُوَ وَ مَنْ تَخْلُفُ مِنْ ذُرِّیَّتی یُخْبِرونَکُمْ بِماتَسْأَلوُنَ عَنْهُ وَیُبَیِّنُونَ لَکُمْ ما لاتَعْلَمُونَ.

हे लोगों! यह हज और उमरा, यह सफ़ा और मरवा शआएरे इलाही हैं। (अल्लाह फ़रमाता है)

       <فَمَنْ حَجَّ الْبَیْتَ اَوِعتَمَرَفَلَا جُنَاحَ عَلَیْہِ اَنْ یَّطَّوَّفَ بِھِمَا۔۔۔ >

जो भी हज या उमरा करे उसके लिए कोई हरज नहीं है कि वह दोनों पहाड़ियों का तवाफ़ करे।

हे लोगों! अल्लाह के घर का हज करो, किसी भी परिवार ने यहां प्रवेश नहीं किया मगर यह कि बेनयाज़ हो गया और शुभ सूचना पाते हैं और किसी ने उससे मुंह नहीं मोड़ा मगर यह कि मोहताज हो गया।

हे लोगों! कोई मोमिन किसी मोक़फ़ (अरफ़ात, मशअर, मिना) में नहीं ठहता मगर यह कि अल्लाह उस समय तक के उसके गुनाह माफ कर देता है तो हज के बाद नए सिरे से नेक कार्य आरम्भ करना चाहिए।

हे लोगों! हाजियों की सहायता की जा चुकी है और उनके ख़र्चों की भरपाई हो जाएगी और उनको उसका बदला मिल जाएगा। और अल्लाह एहसान करने वालों का इनाम बरबाद नहीं करता है।

हे लोगों! पूरे दीन और अहकाम की मारेफ़त के साथ हज को जाओ, और पवित्र स्थलों से तौबा और पापों को छोड़े बिना वापस न लौटो।

हे लोगों! नमाज़ कायम करो, ज़कात दो, जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हे हुक्म दिया है, तो अगर समय बीतता गया और तुम ने कोताही की और भूल गए तो अली तुम्हारे लिए स्पष्ट करने वाले और अख़्तियार रखने वाले हैं, अल्लाह ने उनको मेरे बाद सृष्टि में अपनी अमानत का ज़िम्मेदार बनाया है, जान लो वह मुझ से और मैं उन से हूँ, वह और उनकी संतान मेरे जानशीन हैं और वह तुम्हारे प्रश्नों की उत्तर देंगे, और जो नहीं जानते हो वह तुम को सिखाएंगे।

أَلا إِنَّ الْحَلالَ وَالْحَرامَ أَکْثَرُمِنْ أَنْ أُحصِیَهُما وَأُعَرِّفَهُما فَآمُرَ بِالْحَلالِ وَ اَنهَی عَنِ الْحَرامِ فی مَقامٍ واحِدٍ، فَأُمِرْتُ أَنْ آخُذَ الْبَیْعَةَ مِنْکُمْ وَالصَّفْقَةَ لَکُمْ بِقَبُولِ ماجِئْتُ بِهِ عَنِ الله عَزَّوَجَلَّ فی عَلِی أمیرِالْمُؤْمِنینَ وَالأَوْصِیاءِ مِنْ بَعْدِهِ الَّذینَ هُمْ مِنِّی وَمِنْهُ إمامَةٌ فیهِمْ قائِمَةٌ، خاتِمُها الْمَهْدی إِلی یَوْمٍ یَلْقَی الله الَّذی یُقَدِّرُ وَ یَقْضی.

مَعاشِرَالنّاسِ، وَ کُلُّ حَلالٍ دَلَلْتُکُمْ عَلَیْهِ وَکُلُّ حَرامٍ نَهَیْتُکُمْ عَنْهُ فَإِنِّی لَمْ أَرْجِعْ عَنْ ذالِکَ وَ لَمْ أُبَدِّلْ. أَلا فَاذْکُرُوا ذالِکَ وَاحْفَظُوهُ وَ تَواصَوْابِهِ، وَلا تُبَدِّلُوهُ وَلاتُغَیِّرُوهُ. أَلا وَ إِنِّی اُجَدِّدُالْقَوْلَ: أَلا فَأَقیمُوا الصَّلاةَ وَآتُوا الزَّکاةَ وَأْمُرُوا بِالْمَعْروفِ وَانْهَوْا عَنِ الْمُنْکَرِ.

जान लो! हलाला और हराम की संख्या इससे कहीं अधिक है कि मैं उनको गिन सकूँ और तुम को पहचनवा सकूँ, और मुझे इस स्थान पर तमाम हलाल का आदेश और हराम से रोकने और तुम से बैअत लेने का आदेश दिया गया है, इसिलए मुझे आदेश दिया गया है कि तुम से बैअत लूँ कि मेरे हाथ में अपना हाथ दो और जो कुछ अल्लाह की तरफ़ से मैं अली और उनके बाद के इमामों के बारे में लाया हूँ उनको स्वीकार करो कि यह इमामत सदैव बाक़ी रहने वाली विरासत है, और इमामत का अंत महदी है, और क़यामत तक इमामत बाक़ी रहेगी।

हे लोगों! मैंने जिस जिस हलाल और हराम की तरफ़ तुम्हारा मार्गदर्शन किया है उसके कभी पलटा नहीं और न उसमें कोई फेर बदल की। जान लो और याद रखो और उसको सुरक्षित कर लो और एक दूसरे को उसकी याद दिलाओ, और उस (अल्लाह के अहकाम) में फेर बदल न करो। एक बार फिर मैं अपनी बात कहता हूँ: नमाज़ क़ायम करो, ज़कात दो, नेकियों का हुक्म दो और बुराईयों से रोको।

أَلاوَإِنَّ رَأْسَ الْأَمْرِ بِالْمَعْرُوفِ أَنْ تَنْتَهُوا إِلی قَوْلی وَتُبَلِّغُوهُ مَنْ لَمْ یَحْضُرْ وَ تَأْمُروُهُ بِقَبُولِهِ عَنِّی وَتَنْهَوْهُ عَنْ مُخالَفَتِهِ، فَإِنَّهُ أَمْرٌ مِنَ الله عَزَّوَجَلَّ وَمِنِّی. وَلا أَمْرَ بِمَعْروفٍ وَلا نَهْی عَنْ مُنْکَرٍ إِلاَّمَعَ إِمامٍ مَعْصومٍ.

مَعاشِرَالنّاسِ، الْقُرْآنُ یُعَرِّفُکُمْ أَنَّ الْأَئِمَّةَ مِنْ بَعْدِهِ وُلْدُهُ، وَعَرَّفْتُکُمْ إِنَّهُمْ مِنِّی وَمِنْهُ، حَیْثُ یَقُولُ الله فی کِتابِهِ: (وَ جَعَلَها کَلِمَةً باقِیَةً فی عَقِبِهِ). وَقُلْتُ: «لَنْ تَضِلُّوا ما إِنْ تَمَسَّکْتُمْ بِهِما

مَعاشِرَالنّاسِ، التَّقْوی، التَّقْوی، وَاحْذَرُوا السّاعَةَ کَما قالَ الله عَزَّوَجَلَّ: (إِنَّ زَلْزَلَةَ السّاعَةِ شَیءٌ عَظیمٌ). اُذْکُرُوا الْمَماتَ (وَالْمَعادَ) وَالْحِسابَ وَالْمَوازینَ وَالُْمحاسَبَةَ بَیْنَ یَدَی رَبِّ الْعالَمینَ وَالثَّوابَ وَالْعِقابَ. فَمَنْ جاءَ بِالْحَسَنَةِ أُثیبَ عَلَیْها وَ مَنْ جاءَ بِالسَّیِّئَةِ فَلَیْسَ لَهُ فِی الجِنانِ نَصیبٌ.

और जान लो कि अच्छाई के आदेश की सच्चाई यह है कि (इमामत के बारे में) मेरी बात की गहराई तक पहुँच जाओ और मेरी बात को अनुपस्थित लोगों तक पहुँचाओ, और उसको स्वीकार करने का निमंत्रण दो, और मेरी बात का विरोध करने से उनको रोको क्योंकि यह यही अल्लाह का आदेश और मेरा हुक्म है, और मासूम इमाम को छोड़ कर न किसी बुराई से रोका जा सकता है और न अच्छाई का हुक्म दिया जा सकता है।

हे लोगों! क़ुरआन ने तुम पर स्पष्ट कर दिया है कि अली के बाद उनकी औलाद इमाम हैं, और मैंने तुम को पहचनवा दिया है कि वह (सारे इमाम उनसे और मुझ से हैं। जैसा कि अल्लाह ने फरमाया हैः

      <وَجَعَلَھَاکَلِمَةً بَاقِیَةً فِیْ عَقَبِہِ >

और (इमामत) उन्ही की औलाद में क़लेमते बाक़िया क़रार दिया गया है।

और मैंने भी तुम को बता दिया है कि “जब तक क़ुरआन और इमामों के संपर्क में रहोगे गुमराह नहीं होगे।”

हे लोगों! अल्लाह से डरो, अल्लाह से डरो, क़यामत के सख़्तियों से डरो, जैसे कि अल्लाह ने फ़रमाया हैः

       <اِنَّ زَلْزَلَةَ السَّاعَةِ شَیْءٌ عَظِیْمٌ >

क़यामत का ज़लज़ला बड़ी चीज़ है।

मौत, कयामत, हिसाब किताब, मीज़ान, अल्लाह के दरबार में आत्मनिरीक्षण, सवाब, आज़ाब को याद करो, जो अच्छे कार्यों के साथ आएगा उसको सवाब और जो बुराईयों के साथ आएगा उसको जन्नत में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा।

11. आधिकारिक रूप से बैअत लेना

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّکُمْ أَکْثَرُ مِنْ أَنْ تُصافِقُونی بِکَفٍّ واحِدٍ فی وَقْتٍ واحِدٍ، وَقَدْ أَمَرَنِی الله عَزَّوَجَلَّ أَنْ آخُذَ مِنْ أَلْسِنَتِکُمُ الْإِقْرارَ بِما عَقَّدْتُ لِعَلِی أَمیرِالْمُؤْمنینَ، وَلِمَنْ جاءَ بَعْدَهُ مِنَ الْأَئِمَّةِ مِنّی وَ مِنْهُ، عَلی ما أَعْلَمْتُکُمْ أَنَّ ذُرِّیَّتی مِنْ صُلْبِهِ

فَقُولُوا بِأَجْمَعِکُمْ: «إِنّا سامِعُونَ مُطیعُونَ راضُونَ مُنْقادُونَ لِما بَلَّغْتَ عَنْ رَبِّنا وَرَبِّکَ فی أَمْرِ إِمامِنا عَلِی أَمیرِالْمُؤْمِنینَ وَ مَنْ وُلِدَ مِنْ صُلْبِهِ مِنَ الْأَئِمَّةِ. نُبایِعُکَ عَلی ذالِکَ بِقُلوُبِنا وَأَنْفُسِنا وَأَلْسِنَتِنا وَأَیْدینا. علی ذالِکَ نَحْیی وَ عَلَیْهِ نَموتُ وَ عَلَیْهِ نُبْعَثُ. وَلانُغَیِّرُ وَلانُبَدِّلُ، وَلا نَشُکُّ (وَلانَجْحَدُ) وَلانَرْتابُ، وَلا نَرْجِعُ عَنِ الْعَهْدِ وَلا نَنْقُضُ الْمیثاقَ

हे लोगों! तुम्हारी संख्या इससे कही अधिक है कि एक एक आकर मेरे हाथ पर बैअत कर सके, इसलिए अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मैं तुम्हारी ज़बान से अली के अमीरुम मोमिनीन होने और उनके बाद उनकी नस्ल से मेरी संतान की इमामत का एक़रार लूँ, जैसा कि मैंने बताया है कि मेरी औलाद उनकी नस्ल से है।

तो सभी मिल कर कहोः

हमने आपकी बात सुनी और उसका अनुसरण करेगें, उस पर राज़ी रहने वाले और अली व अली की औलाद की इमामत के बारे में आपने हमारे अल्लाह का संदेश हम को पहुँचाया है उसको स्वीकार करने वाले हैं हम इस बात पर अपने दिल, आत्मा ज़बान और हाथों से आपकी बैअत करते हैं, इस बैअत के साथ जीवित हैं और इसी के साथ मरेंगे, और इसी के अक़ीदे के साथ दोबारा उठाए जाएंगे। कभी में उसमें बदलाव नहीं करेंगे और न उसके प्रति किसी संदेह में पड़ेंगे, न अपने वादे से पलटेंगे और न क़सम,

وَعَظْتَنا بِوَعْظِ الله فی عَلِی أَمیرِالْمؤْمِنینَ وَالْأَئِمَّةِ الَّذینَ ذَکَرْتَ مِنْ ذُرِّیتِکَ مِنْ وُلْدِهِ بَعْدَهُ، الْحَسَنِ وَالْحُسَیْنِ وَ مَنْ نَصَبَهُ الله بَعْدَهُما. فَالْعَهْدُ وَالْمیثاقُ لَهُمْ مَأْخُوذٌ مِنَّا، مِنْ قُلُوبِنا وَأَنْفُسِنا وَأَلْسِنَتِنا وَضَمائِرِنا وَأَیْدینا. مَنْ أَدْرَکَها بِیَدِهِ وَ إِلاَّ فَقَدْ أَقَرَّ بِلِسانِهِ، وَلا نَبْتَغی بِذالِکَ بَدَلاً وَلایَرَی الله مِنْ أَنْفُسِنا حِوَلاً. نَحْنُ نُؤَدّی ذالِکَ عَنْکَ الّدانی والقاصی مِنْ اَوْلادِنا واَهالینا، وَ نُشْهِدُالله بِذالِکَ وَ کَفی بِالله شَهیداً وَأَنْتَ عَلَیْنا بِهِ شَهیدٌ

مَعاشِرَالنّاسِ، ماتَقُولونَ؟ فَإِنَّ الله یَعْلَمُ کُلَّ صَوْتٍ وَ خافِیَةَ کُلِّ نَفْسٍ، (فَمَنِ اهْتَدی فَلِنَفْسِهِ وَ مَنْ ضَلَّ فَإِنَّما یَضِلُّ عَلَیْها)، وَمَنْ بایَعَ فَإِنَّما یُبایِعُ الله، (یَدُالله فَوْقَ أَیْدیهِمْ).

مَعاشِرَالنّاسِ، فَبایِعُوا الله وَ بایِعُونی وَبایِعُوا عَلِیّاً أَمیرَالْمُؤْمِنینَ وَالْحَسَنَ وَالْحُسَیْنَ وَالْأَئِمَّةَ (مِنْهُمْ فِی الدُّنْیا وَالْآخِرَةِ) کَلِمَةً باقِیَةً.

अपने ईश्वर के आदेश से हमको अली और उनकी एवं आपकी नस्ल से होने वाले इमाम, हसन औऱ हुसैन और उनके बाद जिन को अल्लाह ने यह पद दिया है कि अनुसरण करेंगे, तो हमारे दिल, आत्मा, ज़बान अंतरात्मा और हाथों से जिनके बारे में वादा ले लिया गया है, जो पहुँच सका उसके हाथ से बैअत की वरना ज़बान से बैअत का एक़रार किया, हम इसके लिए कोई दूसरा पसंद नहीं करेंगे, और इसके प्रति हमारी आत्माओं में ख़ुदा कोई बदलाव नहीं देखेगा। (यानी हम बैअत नहीं तोड़ेंगे)

हम इन बातों को आपकी तरफ़ से अपने क़रीबी, और दूर वाले, संतान और रिश्तेदारों तक पहुँचा देंगे, और इस पर अल्लाह को गवाह बनाते हैं और हमारी गवाही के लिए अल्लाह ही काफ़ी है, और आप भी हम पर गवाह रहें।

हे लोगों! क्या कहते हो? निःसंदेह अल्लाह हर आवाज़ को सुनता है, और जो दिलों में है उसको जानता है “जिसने हिदायत को स्वीकार कर लिया उसने अपने हित में स्वीकार किया और जो भटक गया उसने अपना नुक़सान किया।” और जिसने बैअत की, जान लो उसने अल्लाह की बैअत की “अल्लाह का हाथ उनके हाथों के ऊपर है।”

हे लोगों! अल्लाह की बैअत करो, और मेरी बैअत करो और अमीरुल मोमिनीन अली, हसन व हुसैन और उनके बाद के इमाम जो दुनिया व आख़ेरत में मज़बूत निशानियां है की बैअत करो।

अल्लाह मक्कारों का नाष करता है और वफ़ादारों पर रहम करता है वह फरमाता हैः

وَ مَنْ نَکَثَ فَإِنَّما یَنْکُثُ عَلی نَفْسِهِ وَ مَنْ أَوْفی بِما عاهَدَ عَلَیْهُ الله فَسَیُؤْتیهِ أَجْراً عَظیماً

जो वादे को तोड़ दे तो वह अपने विरुद्ध वादे को तोड़ने वाला है और जो अल्लाह के किए वादे पर बाक़ी रहे तो बहुत जल्द उसके लिए महान इनाम है।

مَعاشِرَالنّاسِ، قُولُوا الَّذی قُلْتُ لَکُمْ وَسَلِّمُوا عَلی عَلی بِإِمْرَةِ الْمُؤْمِنینَ، وَقُولُوا: (سَمِعْنا وَ أَطَعْنا غُفْرانَکَ رَبَّنا وَ إِلَیْکَ الْمَصیرُ)، وَ قُولوا: (اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذی هَدانا لِهذا وَ ما کُنّا لِنَهْتَدِی لَوْلا أَنْ هَدانَا الله) الآیة.

مَعاشِرَالنّاسِ، إِنَّ فَضائِلَ عَلی بْنِ أَبی طالِبٍ عِنْدَالله عَزَّوَجَلَّ - وَ قَدْ أَنْزَلَهافِی الْقُرْآنِ - أَکْثَرُ مِنْ أَنْ أُحْصِیَها فی مَقامٍ واحِدٍ، فَمَنْ أَنْبَاَکُمْ بِها وَ عَرَفَها فَصَدِّقُوهُ.

مَعاشِرَالنّاسِ، مَنْ یُطِعِ الله وَ رَسُولَهُ وَ عَلِیّاً وَ الْأَئِمَةَ الَّذینَ ذَکرْتُهُمْ فَقَدْ فازَفَوْزاً عَظیماً.

हे लोगों! मैंने जो तुम से कहा कहो, और अली को अमीरुल मोमिनीन कह कर सलाम करो और कहोः

سَمِعْنا وَ أَطَعْنا غُفْرانَکَ رَبَّنا وَ إِلَیْکَ الْمَصیرُ

हम ने सुना और उनका पालन करेंगेस पालने वाले तुझ से ही क्षमा है और तेरी ही तरफ़ वापस पलटना है।

और कहोः

اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذی هَدانا لِهذا وَ ما کُنّا لِنَهْتَدِی لَوْلا أَنْ هَدانَا الله

तमाम प्रशंसा और अध्यवाद उस अल्लाह के लिए है जिसने इसकी तरफ़ हमारा मार्गदर्शन किया व अगर अल्लाह हिदायत न करता तो हम को कोई रास्ता न मिलता।

हे लोगों! अली बिन अबीतालिब के फ़ज़ाएल अल्लाह के बारगाह में –जो उसने क़ुरआन में बयान किए हैं- इससे कहीं अधिक हैं कि एक बार में उनको गिन सकूँ, तो जो भी तुम्हें उनकी ख़बर दे और उन फ़ज़ाएल के आगाह करे उसका सत्यापन करो।

हे लोगों! जो भी अल्लाह, उसके रसूल, अली और उन इमामों जिनका नाम मैंने बताया अनुसरण करे वह बड़ी कामयाबी पा गया है।

مَعاشِرَالنَّاسِ، السّابِقُونَ إِلی مُبایَعَتِهِ وَ مُوالاتِهِ وَ التَّسْلیمِ عَلَیْهِ بِإِمْرَةِ الْمُؤْمِنینَ أُولئکَ هُمُ الْفائزُونَ فی جَنّاتِ النَّعیمِ.

مَعاشِرَالنّاسِ، قُولُوا ما یَرْضَی الله بِهِ عَنْکُمْ مِنَ الْقَوْلِ، فَإِنْ تَکْفُرُوا أَنْتُمْ وَ مَنْ فِی الْأَرْضِ جَمیعاً فَلَنْ یَضُرَّالله شَیْئاً.

اللهمَّ اغْفِرْ لِلْمُؤْمِنینَ (بِما أَدَّیْتُ وَأَمَرْتُ) وَاغْضِبْ عَلَی (الْجاحِدینَ) الْکافِرینَ، وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعالَمینَ.

हे लोगों! अली की बैअत, उनकी मोहब्बत, और अमीरुल मोमिनीन कह कर उनको सलाम करने में आगे रहने वाले ही अनुकम्पाओं से भरी जन्नत में कामयाब होने वाले हैं।

हे लोगों! वह बात कहो जिससे अल्लाह राज़ी हो जाए, अन्यथा अगर तुम और धरती के सारे वाली काफ़िर हो जाएं तो अल्लाह को कोई हानि न पहुँचा सकेंगें।

पालने वाले! जो मैंने पहुँचाया और जिसका मैंने आदेश दिया उस पर ईमान लाने वालों को बख़्श दे और काफ़िरों पर अपना अज़ाब नाज़िल कर, और साली प्रशंसा अल्लाह के लिए हैं जो आलमीन का पालने वाला है।

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