फ़िदक छीनने पर हज़रत फ़ातेमा (स) का अबूबक्र पर क्रोधित होना

जब पहले ख़लीफ़ा ने उनको फ़िदक वापस नहीं दिया और यह हदीस पढ़ी कि पैग़म्बर ने फ़रमाया है कि हम अंबिया मीरास नहीं छोड़ते हैं और जो कुछ छोड़ते हैं वह सदक़ा है तो आप बहुत क्रोधित होती हैं और आपका क्रोध इन लोगों से इतना अधिक होता है कि आप वसीयत करती है कि...

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

जब पहले ख़लीफ़ा हज़रत अबू बक्र ने फ़ातेमा (स) से फ़िदक छीन लिया तो आपने उसको पाने का प्रयन्त किया और कभी उसको रसूल (स) का दिया हुआ उपहार कहकर वापस मांगा तो कभी मीरास, और यह फ़ातेमा (स) का अधिकार था कि वह अपने हक़ को वापस मांगती और जिस प्रकार से भी साबित कर सकतीं कि वह उनका हक़ है उसको साबित करती।

लेकिन जब पहले ख़लीफ़ा ने उनको फ़िदक वापस नहीं दिया और यह हदीस पढ़ी कि पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया है कि हम अंबिया मीरास नहीं छोड़ते हैं और जो कुछ हम छोड़ते हैं वह सदक़ा है तो आप बहुत क्रोधित होती हैं और आपका क्रोध इन लोगों से इतना अधिक होता है कि आप वसीयत करती है कि यह लोग मेरे जनाज़े में शरीक न हो।

ध्यान देने वाली बात यह है कि जब हम अहलेसुन्नत की किताबों का अध्ययन करते हैं तो हमको पता चलता है कि जिस जिस स्थान पर भी हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) के क्रोध के बारे में लिखा गया है हर उस स्थान पर आपके क्रोध से पहले अबूबक़्र की कही हुई इसी हदीस का ज़िक्र मिलता है (प्रिय पाठक चाहे तो मकतबतुश शामेला जो कि एक सीडी में सुन्नी पुस्तकों का संग्रह है में فغضبت فاطمه शब्द से सर्च कर सकते हैं)

हम अपने पाठकों के लिए इन बहुस सी किताबों में से कुछ का हवाला यहां पर बयान कर रहे हैं

सही बुख़ारी , मुसनदे अहमद बिन हम्बल,जामेउल अहादीस, सुनने बैहक़ी. सुनने कुबरा, जामेउल उसूल, कंज़ुल उम्माल, मुसनदे अहमद बिन हम्बल।

फ़िदक का मसला कोई मामूली मसला नहीं था कि जिसको बहुत आसानी से भुला दिया जाए क्योंकि फ़िदक का मसला जुड़ा हुआ है विलायत और इमामत से और शायद यही कारण है कि पैग़म्बर (स) की बेटी ने हर कोशिश की ताकि फ़िदक को वापस पा सकें।

हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) ने अबूबक्र से पूछा हे अबूबक्र यह बताओ कि पैग़म्बर (स) की मीरास किसे मिलेगी?

अबूबक्रः उनके वारिसों को (आश्चर्य की बात यह है कि यहां पर अबूबक्र ने यह हदीस नहीं पढ़ी कि पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया है कि हम अंबिया मीरास नहीं छोड़ते हैं)

यहां पर हम बहुत सी किताबों के बीच से केवल कुछ किताबों को लिख रहे हैं जहां पर आपने अबूबक्र से यह प्रश्न किया है
सुनने तिर्मिज़ी, मुसनदुस सहाबा, जामेउल उसूल, मुसनदे जामे, और जामेउस सही

इन किताबों में से एक सुन्नियों की प्रसिद्ध पुस्तक सही बुख़ारी है जिसके बारे में सुन्नी कहते हैं कि इस किताब की सारी हदीसें सही हैं में अबू हुरैरा से यह रिवायत बयान हुई है

جائت فاطمة الی ابی بکر فقال من یرثک؟ قال اهلی وولدی. قالت فما لی لا ارث ابی؟

फ़ातेमा (स) अबू बक्र के पास आईं और कहाः तुम्हारी मीरास कौन पाएगा? कहाः मेरी बीवी और औलाद। हज़रत फ़ातेमा (स) ने कहाः तो क्या कारण है कि मुझे अपने पिता की मीरास न मिले?

सही बुख़ारी में रिवायत हैः

فی روایة ان فاطمة و العباس {ع} اتیا ابابکر یلتمسان میراثهما من رسول الله و هما حینئذ یطلبان ارضیهما من فدک و سهمهما من خیبر.

अब्बास और हज़रत फ़ातेमा (स) अबू बक्र के पास आए और अबू बक्र से कहा कि हम फ़िदक और ख़ैबर में से रसूल (स) की मीरास तुमसे चाहते हैं।

فقال لهما ابوبکر: ان رسول الله {ص} قال: لا نورث ما ترکناه صدقة

तो अबू बक्र ने कहाः रसूले ख़ुदा (स) ने फ़रमायाः हम मीरास नहीं छोड़ते हैं जो छोड़ते हैं वह सदक़ा है।

قال ابوبکر والله لا ادع امرا رایت رسول الله {ص} یصنعه فیه الا صنعته

अबू बक्र ने कहाः मैं वही कार्य करूंगा जो पैग़म्बर (स) ने किया है।

فغضبت فاطمة بنت رسول الله فهجرت ابابکر فلم تکلمه فلم تزل مهاجرتها حتی توفیت و عاشت بعد رسول الله ستة اشهر

रसूल की बेटी फ़ातेमा ज़हरा (स) क्रोधित हो गईं, अबूबक्र से दूरी अख़्तियार कर ली और अबूबक्र से बात नहीं की यहां तक की आपकी शहादत हो गई और पैग़म्बर (स) के बाद (केवल) 6 महीने जीवित रहीं।

فلما توفیت دفنها زوجها علی لیلا

जब आप शहीद हो गईं तो उनके पति अली (अ) ने उनको रात के समय दफ़्न किया।

ولم یاذن بها ابابکر و صلی علیه و...

अबूबक्र को आप पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं दी और अली (अ) ने आप पर नमाज़ पढ़ी...

इन सारी बातों से, कि आपने अपनी मीरास मांगी, उसके लिए गवाह पेश किए, न दिए जाने पर क्रोधित हुईं, आपका रात में दफ़्न किया जाना, अबूबक्र को आप पर नमाज़ न पढ़ने देना...आदि यह साबित करता है कि हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) ने फ़िदक को वापस पाने और अली (अ) की विलायत को साबित करने के लिए हर प्रयास किया और अपना हक़ न मिलने पर अबूबक्र से इतना क्रोधित हुईं कि अपने जीवन की अन्तिम सांस तक अबूबक्र से बात नहीं की।

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