चौथी मोहर्रम हुसैनी क़ाफिले के साथ

“हे लोगों! तुम लोगों ने अबू सुफ़ियान के ख़ानदान को आज़माया और जैसा तुम चाहते थे उनको वैसा पाया! यज़ीद तो तुम पहचानते हो वह अच्छे व्यवहार वाला, नेक और अपने नीचे काम करने वालों पर एहसान करने वाला और उनकी अताएं बजा हैं! और उनका बाप भी ऐसा ही था! अब यज़ीद ने

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

आज ही के दिन इब्ने ज़ियाद ने क़ज़ी शुरैह से इमाम हुसैन के क़त्ल का फ़तवा लिया और उसके बाद मस्जिदे कूफ़ा में लोगों के सामने ख़ुत्बा दिया और लोगो को इमाम हुसैन के साथ लड़ने और उनकी हत्या करने के लिए प्रेरित किया

इब्ने ज़ियाद अपने ख़ुत्बे में कहता है

“हे लोगों! तुम लोगों ने अबू सुफ़ियान के ख़ानदान को आज़माया और जैसा तुम चाहते थे उनको वैसा पाया! यज़ीद तो तुम पहचानते हो वह अच्छे व्यवहार वाला, नेक और अपने नीचे काम करने वालों पर एहसान करने वाला और उनकी अताएं बजा हैं! और उनका बाप भी ऐसा ही था! अब यज़ीद ने मुझे आदेश दिया है कि लोगों के बीच पैसा बाटूं और तुमको उसके दुश्मन हुसैन से युद्ध के लिए भेजूँ” (1)

उसके बाद इब्ने ज़ियाद ने आदेश दिया कि पूरे शहर में ढिंडोरा पिटवाया जाए और लोगों को जंग के लिये तैयार किया जाए।

इब्ने ज़ियाद के ख़ुत्बे के बाद तेरह हज़ार लोग इमाम हुसैन के विरुद्ध युद्ध के लिये तैयार हुए जिनको इस प्रकार से सेना में बांटा गया

1.    शिम्र 4000 सैनिक

2.    यज़ीद बिन रकाब 2000 सैनिक

3.    हसीन बिन नुमैर 4000 सैनिक

4.    मुज़ाएर बिन रहीना 3000 सैनिक  (2)

आज ही के दिन जब क़ैस बिन अशअस ने इमाम हुसैन से यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा तो आपने उत्तर में फ़रमायाः

“न, ख़ुदा की क़सम ज़िल्लत का हाथ उनके हाथों में नहीं दूँगा और गुलामों की भाति जंग के मैदान से नहीं भागूँगा”

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1. अलवक़ाए वल हवादिस, जिल्द 2, पेज 124

2. बेहारुल अनवार जिल्द 44, पेज 386

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