तीसरी मोहर्रम हुसैनी क़ाफिले के साथ

आज के ही दिन उमरे सअद 6 या 9 हज़ार की सेना के साथ पैग़म्बर के नवासे हुसैन इब्ने अली की हत्या के लिये कर्बला पहुँचता है, और आपके खैमे के सामने कैंप लगाता है (2) कुछ इतिहासकारों का कहना है कि उमरे सअद के कबीले वाले (बनी ज़ोहरा) उसके पास आते हैं और उसके क़सम

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

इसी दिन आपने कूफे से सम्मानित लोगों को पत्र लिका और उसको "क़ैस बिन मुसह्हर सैदावी" को दिया और वह पत्र लेकर कूफ़े की तरफ़ चलते हैं लेकिन रास्ते में यज़ीद के सिपाही उनके पकड़ लेते हैं और उनको शहीद कर देते हैं (1)

उमरे सअद का कर्बला आना

आज के ही दिन उमरे सअद 6 या 9 हज़ार की सेना के साथ पैग़म्बर के नवासे हुसैन इब्ने अली की हत्या के लिये कर्बला पहुँचता है, और आपके खैमे के सामने कैंप लगाता है (2) कुछ इतिहासकारों का कहना है कि उमरे सअद के कबीले वाले (बनी ज़ोहरा) उसके पास आते हैं और उसके क़सम देते हैं कि इस कार्य (इमाम हुसैन के साथ युद्ध) से दूर रहे ताकि उनके और बनी हाशिम के बीच दुश्मनी पैदा न हो।

इसी दिन उमरे सअद ने एक ख़बीस और गुस्ताख़ आदमी कसीर बिन अब्दुल्लाह को इमाम हुसैन के पास भेजा ताकि वह उमरे सअद का पैग़ाम इमाम हुसैन को पहुँचा दे उसने कहा उमरे सअद अगर तू कहे को हुसैन को क़त्ल कर दूं? लेकिन उमरे सअद ने उसकी बात नहीं मानी

उमरे सअद ने एक व्यक्ति को इमाम हुसैन के पास भेजा और करबला आने का कारण पूछा इमाम ने फ़रमायाः तुम्हारे शहर के लोगों ने मुझे पत्र लिखे हैं और मुझे आने की दावत दी है, अगर वह मेरे आने से ख़ुश नहीं हैं तो लौट जाऊँगा! (3)
 

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(1)कलाएदुन नहूर जिल्द मोहर्रम व सफ़र पेज 41

(2)क़लाएदुन नहूर जिल्द मोहर्रम व सफ़र पेज 40, मआलियुस्सिबतैन जिल्द 1, पेज 301

(3)(फ़ैज़ुल आलाम, वकायअ वल अय्याम

 

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