इमाम हुसैन पर रोने का सवाब

हुसैन पर रोना क़ब्र में सुकून, मौत के समय ख़ुशहाली, हश्र में कब्र से निकलते समय कपड़ों के साथ और खुशी से निकलने का कारण बनता है वह ख़ुश होगा और फ़रिश्ते उसको जन्नत और सवाब की ख़ुश्ख़बरी देंगे।

बुशरा अलवी

इमाम हुसैन पर रोना मौत के वक़्त की मुसीबतों को समाप्त कर देता है, इमाम सादिक़ (अ.) ने मसमअ बिन अब्दुल मलिक से फ़रमायाः क्या तुम उन (इमाम हुसैन) को याद करते हो?

मसमअः हां उनकी मुसीबतों को याद करता हूँ और उनपर रोता हूँ

फ़रमायाः याद रखो मौत के वक़्त मेरे जद मलकुल मौत से तुम्हे लिए वसीयत करेंगे जो तुम्हारी आँखों को रौशन कर देगी।

आपने फ़रमायाः ऐ मसमअ इमाम हुसैन पर रोना सबब बनता है कि मौत का फ़रिश्ता तुम पर माँ से भी अधिक मेहरबान हो जाए।

हुसैन पर रोना क़ब्र में सुकून, मौत के समय ख़ुशहाली, हश्र में कब्र से निकलते समय कपड़ों के साथ और खुशी से निकलने का कारण बनता है वह ख़ुश होगा और फ़रिश्ते उसको जन्नत और सवाब की ख़ुश्ख़बरी देंगे।

हुसैन पर निकलने वाले हर आँसू का सवाब यह है कि इंसान हमेशा जन्नत में रहेगा।

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(बेहारुल अनवार जिल्द 44, पेज 289, कामिलुज़्ज़ियारात, बाब 32, पेज 101)

 

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