पति की जानकारी के बिना पत्नी कर सकती है सेक्स जिहादः वहाबी प्रचारक

एक वहाबी धर्म प्रचारक का कहना है कि शादी शुदा औरत पति की जानकारी में आए बिना सेक्स जिहाद (जिहादे निकाह) कर सकती है। इस प्रचारक का कहना है कि इसमें पति को पता ना चलने की शर्त इसलिए लगाई गई है ताकि उसकी भावनाओं को ठेस ना लगे, लेकिन अगर पति...

एक वहाबी धर्म प्रचारक का कहना है कि शादी शुदा औरत पति की जानकारी में आए बिना सेक्स जिहाद (जिहादे निकाह) कर सकती है। इस प्रचारक का कहना है कि इसमें पति को पता ना चलने की शर्त इसलिए लगाई गई है ताकि उसकी भावनाओं को ठेस ना लगे, लेकिन अगर पति पत्नी को इसकी अनुमति दे दे कि वह किसी जिहादी से सेक्स करे तो उस औरत का यह कार्य केवल ख़ुदा के लिए होगा!!!

टीवी शिया जाम न्यूज़ से प्राप्त समाचार के अनुसार फ़िलिस्तीन में रहने वाले वहाबी धर्म प्रचारक "शेख़ ख़बाब मरवान अलअहमद" ने शादी शुदा औरतों के लिए पति की जानकारी में आए बिना सेक्स जिहाद को जाएज़ ठहराया है।

इस वहाबी ने कहाः उस जिहादी स्त्री के लिए जिसने ख़ुदा के लिए पति के अतिरिक्त किसी दूसरे से सेक्स जेहाद करना जाएज़ है लेकिन शर्त यह है कि उसके पति को पता ना चले।

उसने आगे कहाः छुपाने की शर्त इसलिए लगाई गई है ताकि पति की भावनाओं को ठेस ना लगे, लेकिन अगर पति इस बात की अनुमति दे दे कि उसकी पत्नि एक जिहादी से सेक्स जिहाद करे तो उस स्त्री का यह कार्य केवल ख़ुदा के लिए होगा!

स्पष्ट रहे कि वहाबी मुफ़्ती "नासिर अलउमर" जो कि हमेशा सीरिया में सेक्स जिहाद की वकालत करता है, ने इस बार फ़तवा दिया है कि सीरियाई जिहादी अपनी बहनों से भी शादी कर सकते हैं।

इस वहाबी शेख़ ने वहाबी चैनल वेसाल (जिसको हदस न्यूज़ ने भी दिखाया है) पर कहाः वहाबी मुजाहिद नामहरम स्त्रियों की अनुपस्थिति में अपने महरमों से भी शादी कर सकते हैं!!!

सेक्स जिहाद का फ़तवा देने वाले "शेख़ मोहम्मद अलअरीफ़ी" ने इस फ़तवे के बाद उठे बवाल को देखते हुए अपने फ़तवे को वापस ले लिया और कई स्थानों पर कहा है कि उसने इस प्रकार का फ़तवा नहीं दिया है।

जब्कि अलअरीफ़ी ने बवाल के बाद इस फ़तवे को वापस ले लिया है लेकिन जिन लोगों को यह फ़तवा अच्छा लगा वह इसको हराम मानने के लिए तैयार नहीं है और अब भी शेख़ "ख़बाब मरवान अलअहमद" और "नासिर अलउमर" जैस कुछ कट्टपंथी वहाबी इस वहाबी सोंच को सीरियाई आतंकियों में फैला रहे हैं।

अपने आप को मुसलमान कहने वाले और इस्लाम के नाम पर मुसलमानों का गला काटने वाले वहाबियों को क्या इतना भी नहीं पता है कि शादी शुदा औरत और महरमों से शादि के बारे में क़ुरआन ने साफ़ साफ़ मना किया है और उसका हराम कहा है। या इनका क़ुरआन कोई दूसरा क़ुरआन है?

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