सैरो तफ़रीह इमाम रज़ा (अ.) की निगाह में

इस दुनिया में हर व्यक्ति को सैर, तफ़रीह और ख़ुशी की आवश्यक्ता होती है हर इन्सान अपने जीवन में प्रसन्न रहना चाहता है और अगर यह सैर, तफ़रीह और प्रसन्नता अपनी हद से आगे ना निकल जाए और इन्सान किसी गुनाह और पाप में ना पड़ जाए तो यह इन्सान के लिए बहुत ही सुखद ह

इस दुनिया में हर व्यक्ति को सैर, तफ़रीह और ख़ुशी की आवश्यक्ता होती है हर इन्सान अपने जीवन में प्रसन्न रहना चाहता है और अगर यह सैर, तफ़रीह और प्रसन्नता अपनी हद से आगे ना निकल जाए और इन्सान किसी गुनाह और पाप में ना पड़ जाए तो यह इन्सान के लिए बहुत ही सुखद होगी।

इमाम रज़ा (अ) जिनका आज जन्मदिवस है तफ़रीह और सैर के सम्बन्ध में फ़रमाते हैं:

दुनिया की ख़ुशियों और लज़्ज़तों में अपनी कामियाबी के लिए हिस्सा बनाओ, और अपने दिल की ख़्वाहिशों और चाहतों को हलाल रास्तों से पूरा करोः ख़ुशी देने वाली तफ़रीह और मनोरंजन जीवन में तुम्हारी सहायता करती हैं और उसकी सहायता से तुम अपने संसारिक कार्यों में अधिक कामियाब होगे।

आप अपने एक दूसरे कथन में फ़रमाते हैं कि अगर दिन और रात को चार भागों में बांटो।

1. एक भाग ख़ुदा से दुआ और मुनाजात के लिए हो।

2. एक भाग जीवन और उससे सम्बन्धित कार्यों के लिए।

3. एक भाग उन भाईयों और भरोसेमंद लोगों से दोस्ती और मेल जोल के लिए हो जो तुम्हारी बुराईयों को तुम्हें बताएं और दिल से तुम्हारा भला चाहने वाले हों।

4. और एक भाग अपने उस मनोरंजन के लिए रखों जो कि हराम ना हो और इस मनोरंजन के माध्यम से तुम बाक़ी बचे तीन भागों को अंजाम देने के लिए शक्ति और हौसला प्राप्त करो।

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