क्या या अली मदद कहना शिर्क है?

शिया समुदाय का विश्वास यही है कि ईश्वर के अलावा कोई और प्रभावी नहीं है और अगर ईश्वर के अतिरिक्त किसी और में कुछ करने की क्षमता है तो वह इसलिए है कि उन्हें यह सब कुछ अल्लाह ने प्रदान किया है अस्तित्व का स्रोत केवल ईश्वर है जिसके संदर्भ में अहले बैत

शिया समुदाय का विश्वास यही है कि ईश्वर के अलावा कोई और प्रभावी नहीं है और अगर ईश्वर के अतिरिक्त किसी और में कुछ करने की क्षमता है तो वह इसलिए है कि उन्हें यह सब कुछ अल्लाह ने प्रदान किया है अस्तित्व का स्रोत केवल ईश्वर है जिसके संदर्भ में अहले बैत अलैहिमुस्सलाम के बहुत अधिक कथन मौजूद हैं.

प्रश्न 1. क्या आम जीवन में या अली मदद और अलमदद या गौसुल आजम कहना जाएज़ अर्थात वैध है कृपया उत्तर दें
उत्तर. सम्मानित नबी विशेष रूप से पैग़म्बरे अकरम (स.) और आपके उत्तराधिकारियों के लिए यह शब्द प्रयोग करना वैध है.
सय्यदना अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ियल्लाहु अन्हो फरमाते हैं कि नबीए अकरम (स) अपने चाचा सय्यदना हज़रत हम्ज़ा रज़ियल्लाहु अन्हो की ओहद की जंग में आपकी शहादत पर इतना रोए कि आपको आपके पूरे जीवन में इतनी व्याकुलता से रोते नहीं देखा गया. फिर हज़रत हम्ज़ा रज़ियल्लाहु अन्हो को संबोधित कर फ़रमाने लगे:
या हमज़ा या अम्मे रसूलिल्लाह या असदल्लाह वासद ..........
आपने देखा कि हुज़ूरे अकरम (स.) अपने वीरगति प्राप्त कर चुके चाचा से फ़रमा रहे हैं या काशिफुल्कुरबात (ए जोख़िम व संकट को दूर करने वाले). अगर इसमें थोडा भी शिर्क का संदेह होता तो आप इस तरह न फ़रमाते. मालूम हुआ कि अल्लाह के प्यारे और निकट व्यक्ति तवस्सुल योग्य हैं.
इसलिए यह कहना जाएज है लेकिन ध्यान रहे कि वास्तविक सहाता प्रदान करने वाला केवल व केवल अल्लाह ही है और औलियाए केराम केवल माध्यम है.
 

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