यमन पर सऊदी अरब के अत्याचारों की आंखों देखी कहानी

बच्चों के वीरान हो चुके वार्ड में हमको दिल बैठा देने वाला दृश्य दिखाई दिया, बर्थडे की रंग बिरंगी टोपियां केक के कुछ टुकड़े और मोमबत्तियां ज़मीन पर बिखरी पड़ी थी। अस्पताल प्रमुख ने बतायाः जब सऊदी विमानों ने बमबारी की तो बच्चे बर्थडे मना रहे थे!

सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन के यमन के 18 महीने से जारी हमलों के बाद अब यमन के लोग खाद्य पदार्थों की कमी को महसूस कर रहे हैं, बल्कि बहुत से तो खाना न मिलने के कारण अकाल के मुंह में समा गए हैं, लेकिन लाल सागर के तट पर अलहदीदा बंदरगाह के पास एक यमनी लेडी डाक्टर लोगों की जान बचाने की भरकस कोशिश कर रही है।

डाक्टर अशवाक़ महरम ने अपने 20 साल के कैरियर में कभी भी इस प्रकार की भयानक तस्वीर नहीं देखी थी।

वह कहती हैं कि अब हम यमन में वह तस्वीरें देख रहे हैं जिसके पहले टीवी पर सोमालिया के सूखे में देखा करते थे, मैंने कभी सोंचा भी न था कि कभी यमन में मैं इस तरह की तस्वीर देखूँगी।

डाक्टर अशवाक ने सालों तक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मानवीय कार्य किये हैं लेकिन 2015 में सऊदी अरब के हमले शुरू होने के बाद से अधिकतर संगठन या तो देश छोड़कर चले गए हैं या फिर उन्होंने अपनी गतिविधियां बहुत ही सीमित कर दी हैं।

अब यह डाक्टर अपने ख़र्चे से दवा और खाना खरीद कर लोगों में बांटती है और उन्होंने अपनी गाड़ी को मोबाइल क्लीनिक बना दिया है।

बीबीसी रिपोर्टर कहता है मैं यमन में दो सप्ताह तक लेडी डाक्टर के साथ रहा और इन दिनों में मैंने वह भयानक तस्वीरें देखी हैं जिनके बारे में सोचा भी नहीं था कि यमन में मुझे यह देखना पड़ सकता है। अलहदीदा को सऊदी अरब ने चारों तरफ़ से घेर रखा है, गठबंधन के विमान लगातार बमबारी कर रहे हैं और जो क्षेत्र कभी टूरिस्टों के रुकने का स्थान हुआ करते थे अब वह वीराना बन चुके हैं।

शहर का परिवेष्टन, बरसे बम, बीमारों की भीड़ डरा रही है वह कहती हैं “अगर आप हवाई हमलों में न मरे तो बीमारी और भूख से मर जाएंगे और भूख से मरना बहुत दर्दनाक है”

डाक्टर अशवाक़ अपनी गाड़ी में दवा भरने के बाद अलहदीदा से 100 किलोमीटर दूर बैतुल फ़क़ीह गाँव पहुँचती हैं, यह गाँव कभी यमन का उपजाऊ गाँव था और यहां से केले और आम दूसरे देशों को निर्यात किए जाते थे, अब न निर्यात है न काम धंधा, गांव की औरतें रंगबिरंगे कपड़ों में फलों को गधे पर रखकर लाती हैं लेकिन, यमन के अधिकतर लोगों में अब इन फलों को ख़रीद सकने की औकात नहीं रह गई है।

हमने इस गाँव में एक माँ को देखा जिसका बेटा लैक्टोज़ (दूध चीनी) से एलर्जी के कारण दूध नहीं पी सकता था, अबदुर्रहमान 18 महीने का था लेकिन 6 महीने का दिखता था। इस बच्ची की माँ उसके दूध के लिए हर मेडिकल स्टोर छान मारा था, लेकिन कहीं न मिल सका, अशवाक़ ने उससे वादा किया कि वह उसके लिये दूध लाएंगी, अगरचे उनको विश्वास नहीं था कि वह अपने वादे को पूरा कर भी सकेंगी की नहीं!

हदीदा से लौटते समय हम ने सड़क किनारे कैंप लगे देखे। एक आदमी बीच सड़क पर कपड़े पहने नहा रहा है और कुछ बच्चे नंगे पैर उसके पास में ही एक दूसरे को पकड़ने के लिये दौड़ रहे हैं, यह वह यमनी हैं जो युद्ध से भागकर हदीदा आए हैं।

डाक्टर अशवाक़ कहती हैं: “हालत यह है कि यमन के रईस मध्यवर्गीय और मध्यवर्गीय ग़रीब हो चुके हैं और ग़रीब भूखे मर रहे हैं। इन में से कुछ लोगों का जीवन मेरे और तुम्हारे जैसा था लेकिन अब देखो उनकी क्या हालत हो चुकी है, उनका सब कुछ छिन चुका है”

एक मां जो अपने तीन बच्चों के साथ सड़क किनारे बैठी थी जब हमने उससे बात की तो उसके बताया वह अपने परिवार के साथ सऊदी अरब से मिलती सीमा पर हरीज़ शहर में रहती थी, लेकिन अब कई महीनों से बिना खाने पानी के शरणार्थी शिविर में रह रही है लेकिन यह शरणार्थी शिविर भी सऊदी अरब के हमलों से सुरक्षित नहीं हैं इन पर भी बमबारी होती है, और इसी एक बमबारी में उसके पति की मौत हो चुकी है।

अभी हम बात ही कर रहे थे कि हमारे सिरों पर से सऊदी अरब के लड़ाकू विमान चिंघाड़ते हुए गुज़रते हैं।

यमन के लोग फंस चुके हैं यमन 27 मिलयन आबादी में से 3 मिलयन लोग अपने घरों को छोड़ने पर विवश हो चुके हैं। सऊदी गठबंधन ने बंदरगाहों को बंद कर दिया है और लोगों के निकलने का रास्ता बंद कर दिया है, बहुत से देश हो कभी यमनियों का बिना वीज़ा के अपने देशों में स्वागत किया करते थे अब उनके दरवाज़े यमनियों पर बंद हो चुके हैं।

डाक्टर अशवाक़ के सात एक गाँव से दूसरे गांव की अपनी यात्रा में हमने बच्चों को देखा जो कुपोषण के शिकार थे, बल्कि साफ शब्दों में कहा जाए कि भूखे थे!

देश के बहुत से अस्पताल य तो बमबारी के कारण या फिर दवाओं और संसाधनों की कमी के कारण बंद हो चुके हैं, हदीदा के केन्द्रीय अस्पताल का बच्चों वाला वार्ड बीमारों से भरा है, एक एक बिस्तर पर तीन तीन बच्चे भर्ती हैं।

हम ने चार साल के बच्चे शुऐब को देखा जिसका दादा अपने पड़ोसियों से उधार लेकर उसको अस्पताल लाया था, बच्चा दस्त और बुख़ार से पीड़ित था, लेकिन डाक्टरों ने उसके दादा से कहा था कि हम कुछ नहीं कर सकते हैं, अस्पताल के डीन ने हमको बतायाः बच्चे के शरीर में जो बैक्टीरिया है उस पर हमारी किसी भी एंटीबायोटिक्स का प्रभाव नहीं हो रहा है।

शुऐब का शरीर धीरे धीरे ठंडा पड़ता जा रहा था, दादा ने उसका हाथ अपने हाथ में ले रखा ता और धीरे धीरे रो रहा था, एक घंटे बाद शुऐब मर गया, उसके दादा ने रोते हुए उसके शरीर को कपड़े में बांधा ताकि उसको दफ़्न कर सके।

दो साल पहले यमन के लोगों की क्रांति और अंसारुल्लाह और उनके सहयोगियों द्वारा देश पर कंट्रोल कर लिए जाने के बाद यमन के राष्ट्रपति अब्दे रब्बेह मंसूर हादी ने इस्तेफ़ा दे दिया, लेकिन फिर सबको धोखा देकर सऊदी अरब भाग गया, जिसके बाद सऊदी अरब ने एलान किया कि इस देश की सरकार के अनुरोध पर उसने यमन पर हमला किया है, आज 18 महीने हो चुके हैं सऊदी अरब गठबंधन बल अमरीका और ब्रिटेन के समर्थन में यमन को लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं।

मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं डाक्टर अशवाक़ को कैसे तसल्ली दूँ। वह कहती हैं: शुऐब की मौत का कौन जिम्मेदार है? उसकी मौत की ज़िम्मेदार यह जंग है, शुऐब के बारे में कहते हैं कि वह अस्पताल में मरा है, उसके जैसे हज़ारों लोग रोज़ाना मर रहे हैं, क्या यह ज़रूरी है कि वह बमबारी में ही मरें तभी उनको युद्ध में क़ुरबान हुआ माना जाए?

जब हम अस्पताल से बाहर आ रहे थे तो हमको सूचना मिली कि गठबंधन के विमानों ने डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की तरफ़ से चलाए जा रहे एक अस्पताल पर अबस शहर में बमबारी की है।

वह अस्पतालों पर क्यों बमबारी कर रहे हैं? अशवाक़ कहती हैं सऊदी अरब कहता है कि अंसारुल्लाह बल अस्पतालों में हथियारों का ज़ख़ीरा जमा करते हैं।

अस्पताल पर बमबारी के दूसरे दिन हम घटना स्थल पर पहुँचे, बच्चों के वीरान हो चुके वार्ड में हमको दिल बैठा देने वाला दृश्य दिखाई दिया, बर्थडे की रंग बिरंगी टोपियां एक केक के कुछ टुकड़े और मोमबत्तियां ज़मीन पर बिखरी पड़ी थी। अस्पताल के प्रमुख डाक्टर यहया अलबसी ने बतायाः जब सऊदी विमानों ने बमबारी की तो बच्चे बर्थडे मना रहे थे!

एक दिन बाद डाक्टर अशवाक़ को एक ख़ुशख़बरी मिली, उसके एक दोस्त को बिना लैक्टोज वाला दूध मिल गया था, डाक्टर अशवाक़ ने लाखों बच्चों में से एक भूखे यमनी बच्चे की जान बचा ली थी।

लेकिन यमन के 22 राज्यों में से 20 सूखे के दहाने पर खड़े हैं मगर यह कि कोई घटना होने से पहले यह दुःख दूर हो जाएं और इससे पहले कि यमन की एक नस्ल समाप्त हो जाए कोई रास्ता दिख जाए।

 

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