आयतुल्लाह सीस्तानी का परिचय + दुर्लभ तस्वीरें

आयतुल्लाह सीस्तानी 1930 में ईरान के शहर मशहद में पैदा हुए, पाँच साल की आयु से ही अपने क़ुरआन की तालीम हासिल करना शुरू कर दिया, और धार्मिक शिक्षा के लिये दारुत्तालीम नामी मदरसे में दाख़िला लिया। 1941 में आपने अपने पिता की मर्ज़ी के अनुसार धार्मिक शिक्षा...

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

महान मरजए तक़लीद आयतुल्लाह सीस्तानी इस दुनिया की वह शख़्सियत हैं जिनसे बच्चा बच्चा आगाह है, दुनिया के अधिकतर मुल्कों में उनके मुक़्ल्लेदीन (अनुयायी) पाए जाते हैं।

जब से इराक़ में दाइश का संकट पैदा हुआ है उसके बाद से आयतुल्लाह सीस्तानी का व्यक्तित्व लोगों के सामने और खुल कर आया है जिस प्रकार उन्होंने इस आतंकवादी संगठन के सामने स्टैंड लिया और उसको जड़ों को सुखा कर वहाबी आतंकवाद को घुटने टेकने पर मजबूर किया उससे पूरी दुनिया ने दांतों तले उँगली दबा ली है। दाइश के विरुद्ध जेहादे केफ़ाई के आपके ऐतिहासिक फ़तवे और उसके बाद दाइश की लगातार हार को इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखेगा।

इस महान हस्ती के बारे में और जानने के लिये हम यहां पर आपकी जीवनी बहुत सी संक्षेप में बयान कर रहे हैं।

आयतुल्लाह सीस्तानी 1930 में ईरान के शहर मशहद में पैदा हुए, पाँच साल की आयु से ही अपने क़ुरआन की तालीम हासिल करना शुरू कर दिया, और धार्मिक शिक्षा के लिये दारुत्तालीम नामी मदरसे में दाख़िला लिया। 1941 में आपने अपने पिता की मर्ज़ी के अनुसार धार्मिक शिक्षा ग्रहण करना शुरू की और उस समय के प्रसिद्ध ओलेमा से अलफ़िया, मुग़नी जैसी किताबों को पढ़ा।

जिस समय भारत आज़ादी की नई नई सांसें ले रहा था तभी यानी 1948 में आप ईरान के प्रसिद्ध शहर क़ुम गए और वहां आपने फ़िक्ह और उसूल को सैय्यद हसन तबातबाई जैसे आलिम से पढ़ा और उनके ज्ञान के असीम समुद्र से इल्म के मोती हासिल किए।

आयतुल्लाह सीस्तानी ने 1951 में क़ुम से इराक़ के शहर और इमाम अली (अ) की बारगाह नजफ़ की तरफ़ प्रवास किया और वहां बोख़ाराई नामक मदरसे में रुके और वहां अबुलक़ासिम ख़ूई, हुसैन हिल्ली, सैय्यद मोहसिन हकीम और सैय्यद महमूद शाहरूदी जैसे उस्तादों से ज्ञान प्राप्त किया।

1960 में आपने अपने वतन मशहद वापस आने का इरादा किया और चूंकि आप मशहद में रुकना चाहते थे इसलिये आपके उस्तादों आयतुल्लाह ख़ूई और हुसैन हिल्ली ने आपके इज्तेहाद का नामा (सार्टिफिकेट) दिया।

आप 1961 में दोबारा नजफ़ गए और वहां आपने दर्से ख़ारिज फ़िक़्ह देना शुरू किया।

इस समय आप इराक़ के साथ साथ दुनिया के हर कोने में शियों के महान धर्मगुरु और मरजए तक़लीद के तौर पर जाने जाते हैं और इराक़ की सरकार किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिये आपकी राय लेना अपनी नैतिक और क़ानूनी जिम्मेदारी समझती है।

आयतुल्लाह सीस्तानी की कुछ दुर्लभ तस्वीरें

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