वहाबियत ने इस्लामी समाज की पहचान को निशाना बनाया है.

विश्व इस्लामी एकता मंच के महासचिव ने कहाः तकफ़ीरी धाराओं ने इस्लामी समाज की एक पहचान को अपना निशाना बनाया है।

विश्व इस्लामी एकता मंच के महासचिव ने कहाः तकफ़ीरी धाराओं ने इस्लामी समाज की एक पहचान को अपना निशाना बनाया है।

आयतुल्लाह मोहसिन अराकी ने इमाम ख़ुमैनी और इमाम ख़ामेनेई के विचारों में इस्लामी एकता कांफ़्रेंस में मुस्लिम समाज की एकता और पहचान के बारे में बोलते हुए कहाः अगर हम अपनी एक पहचान के बचाने में कामयाब रहे तो विचारों के मतभेद और नज़रियात की भिन्नता समाज की तरक़्क़ी में कोई नुक़सान नहीं पहुँचाएगी, बल्कि यह तरक़्क़ी में लाभदायक होगी।

उन्होंने कहाः सच्चाई यह है कि हमें समाज के लिए एक पहचान देखनी होगी, अनेकता और मतभेद समाज के लिए ख़तरा है और यह समाज के प्रबंधन में कमज़ोरी का कारण बनेगा।

उन्होंने यह प्रश्न करते हुए कि एक पहचान किस प्रकार प्राप्त होगी कहाः जो चीज़ समाज को एक रास्ते पर लाती है वह पसंद नापसंद, ज़रूरतें, भावनाएं और ख़्वाहिशाता हैं, अगर किसी समाज की भावनाएं एक जैसी और एक रास्ते पर हों तो वह एक समाज है।

उन्होंने कहाः आज तकफ़ीरी धाराओं ने मुस्लिम समाज की एक पहचान को निशाना बना लिया है, अगर हमारे समाज की पहचान एक हो गई और समाज में एक भावना और सोंच पैदा हो गई तो चीज़ों में विचारधारा का मतभेद समाज की एकता को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा।

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