मोरक्को, ईरान से क़रीब और सऊदी अरब से दूर हो रहा है

ब्रिटिश साइट अलमानीटर ने मोरक्को की तरफ़ से ईरान में अपने नए राजदूत को नियुक्त किए जाने को मोरक्को को ईरान से क़रीब और सऊदी अरब से दूर होने के तौर पर देखा है।

ब्रिटिश साइट अलमानीटर ने मोरक्को की तरफ़ से ईरान में अपने नए राजदूत को नियुक्त किए जाने को मोरक्को को ईरान से क़रीब और सऊदी अरब से दूर होने के तौर पर देखा है।

टीवी शिया मोरक्को ने सात साल के बाद दोबारा ईरान में अपना नया राजदूत नियुक्त किया है और ईरान के साथ डेप्लोमेटिक संबंधों को दोबारा जोड़ा लिया है जिसको उसने 2009 में एक तरफ़ा तौर से समाप्त कर दिया था।

इस साइट ने लिखा है कि मराकिश और तेहरान के बीच बढ़ते संबंधों के बाद मोरक्को को अपने सुन्नी सहयोगियों के साथ संबंध बनाए रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी, लेकिन इन तमाम चीज़ों को एक तरफ़ रखते हुए मोरक्को और ईरान के बीच नए संबंध यह दिखाते हैं कि सऊदी अरब की सियासत से हर कोई प्रसन्न नहीं है, बल्कि कुछ देश जैसे मिस्र ने अपने आप को सऊदी समर्थकों में से अलग कर लिया है और सऊदी अरब के कट्टर समर्थक और उसके पैसे पर पलने वाले लेबनान के अलमुसतक़बिल पार्टी के प्रमुख़ सअद अलहरीरी ने भी राष्ट्रपति पद के लिए लंबे गतिरोध के बात मीशल ओन की समर्थन कर दिया है।

साइट ने लिखा अगरचे मोरक्को सऊदी अरब के खैमे वाला देश है लेकिन रेबात (मराकिश) सऊदी अरब और ईरान के साथ लेंस्ड संबंधों का हामी है, विशेषकर तब जबकि मोरक्को पिछले कुछ समय से नए सहयोगियों के साथ संबंध बढ़ाने की सियासत अपनाई है जिसमें रूस और चीन भी शामिल है।

 

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