ब्रिटेन ने यमन में सऊदी अरब के युद्ध अपराधों की जांच में अड़ंगा लगाया

ब्रिटिश समाचार पत्र दी गार्डियन के अनुसार ब्रिटेन ने यमन में युद्ध में युद्ध अपराधों के संबंध में एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की स्थापना के लिए यूरोपीय संघ के प्रयासों को अवरुद्ध कर दिया है।

 

ब्रिटिश समाचार पत्र दी गार्डियन के अनुसार ब्रिटेन ने यमन में युद्ध में युद्ध अपराधों के संबंध में एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की स्थापना के लिए यूरोपीय संघ के प्रयासों को अवरुद्ध कर दिया है।

नीदरलैंड्स ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (एचआरसी) जिनेवा में यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया है और इन हमलों में नागरिक मौतों की जांच के लिए एक जांच समिति की स्थापना की कोशिश की है।

लेकिन नीदरलैंड की तरफ़ से पेश की जाने रिपोर्ट के ब्रिटेन ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसके बाद उसे एक बहुत ही कमज़ोर प्रस्ताव से बदल दिया गया जिसमें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय से मांग की गई है कि यमन में मानवाधिकार की स्थिति पर नज़र रखने के लिये विशेषज्ञों की एक टीम को भेजा जाए।

ब्रिटेन द्वारा स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच समिति के गठन का विरोध करने पर मानवाधिकार संगठनों में रोष पाया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि यह कमज़ोर प्रस्ताव मानवाधिकार संगठनों की मांग के अनुसार नहीं है इसलिए ह्यूमन राइट्स वॉच और अन्य अभियान समूहों का दावा है एक अंतरराष्ट्रीय जांच सच्चाई को जानने और मानवाधिकार उल्लंघन एवं अपराधों के लिए जिम्मेदार को सामने लाने और बाद में अपराधी को सज़ा दिये जाने के लिये अंतरराष्ट्रीय अदालत घसीटने में सहयोग कर सकती है।

ब्रिटिश विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने पिछले सप्ताह इस तरह की एक जांच की जरूरत को खारिज कर दिया था।

समाचार पत्र के अनुसार यमन पर सऊदी अरब के हमलों के शुरू होने के बाद से अब तक ब्रिटेन 3 बिलयन डॉलर के हथियार रियाज़ को बेच चुका है और लंदन को आशा है कि अभी रियाज़ के साथ हथियारों के और समझौते हो सकते हैं।

 

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