अमरीका ने सीरियन सेना पर हमला क्यों किया?

सीरिया के पूर्व में इस देश की सेना को कमज़ोर करना और सरकार को उसकी अर्थ व्यवस्था के मूल स्रोतों तक पहुँचने से रोकना ही अमरीकी सेना के सीरियन आर्मी पर हालिया हमलों का एक मक़सद है ताकि इस प्रकार आगे की शांति वार्ता में दमिश्क़ की भागीदारी को कमज़ोर किया जा

टीवी शिया, लेबनान के समाचार पत्र के विश्लेषक अलसफ़ीर ने मोहम्मद बलूत ने लिखाः सीरियान आर्मी स्थलों पर अमरीकी हमलों के बारे में बहस ग़लती के किए गए हमलों से बहुत आगे की चीज़ है और यह एक बहुत ही सोची समझी चाल और प्लानिंग के साथ किया गया हमला है।

अमरीकी हमले का पहला मक़सद दैरुज़्ज़ूर को दाइश के क़ब्ज़े में पहुँचाया है, कि जहां तीन साल से अधिक समय तक कोशिश करने के बावजूद दाइश क़ब्ज़ा नहीं कर सका है और यहां पर अब भी एक लाख से अधिक आम नागरिक दाइश की नाकेबंदी में जी रहे हैं और 5000 सीरियन सैनिक, स्वंयसेवी बल और अलशईतात क़बीले के कुछ लड़ाके आतंकवादियों से इस क्षेत्र की रक्षा कर रहे हैं।

इन चीजों के देखते हुए कहा जा सकता है कि दैरुज़्ज़ूर पर क़ब्ज़ा करना आसान नहीं है और सीरियन आर्मी ने जबले अलसरदा पर दोबारा कंट्रोल कर लिया है और दैरुज़्ज़ूर हवाई अड्डे पर अब भी उसका क़ब्ज़ा है।

सितम्बर 2014 में जब से अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन बना है तभी से अमरीका या गठबंधन के किसी भी विमान ने दाइश के किसी भी ठिकाने पर हमला नहीं किया है, अमरीका ने सभी को दाइश के ठिकानों पर हमला करने से रोक रखा है।

अमरीका की हमेशा यह कोशिश रही है कि इस देश की सेना को सीरिया के पूर्वी क्षेत्रों में कमज़ोर किया जा सके। और अब भी अमरीका का यही मक़सद है ताकि दमिश्क़ को इस देश के अस्ली आर्थिक स्रोतों जैसे तेल के कुंओं और खेती की ज़मीनों से दूर रखा जा सके और आगे होने वाली शांति वार्ता में दमिश्क़ को भागीदारी को कमज़ोर किया जा सके।

अगर अमरीका और रूस वास्तव में अलनुस्रा फ्रंट के विरुद्ध अभियान शुरु करें तो जो क्षेत्रीय शक्तियां उनका समर्थन कर रही हैं उनको अपना रुख़ साफ़ करने पर मजबूर कर सकते हैं, जिसके बाद क्षेत्रीय शक्तियां हथियारबंद गुटों को मजबूर करेंगे ताकि वह अमरीका और रूस के बीच होने वाले संघर्ष विराम पर अपना रुख़ साफ़ करें।

 

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