मुस्लिम दुनिया मक्के-मदीने के संचालन के बारे में उपाय सोचेः सुप्रीम लीडर

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने हज को मुसलमानों के लिए अध्यात्म और सम्मान का प्रतीक, अत्याचारियों की ओर से ख़तरों के मुक़ाबले में शांति व सुरक्षा देने वाला स्रोत, अनेकेश्वरवादियों से विरक्तता और मुसलमानों के बीच एकता का मंच बताया है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने हज को मुसलमानों के लिए अध्यात्म और सम्मान का प्रतीक, अत्याचारियों की ओर से ख़तरों के मुक़ाबले में शांति व सुरक्षा देने वाला स्रोत, अनेकेश्वरवादियों से विरक्तता और मुसलमानों के बीच एकता का मंच बताया है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने सोमवार को हाजियों के नाम अपने संदेश में बल दिया, “सऊदी शासक, जिन्होंने इस साल ईरान के मोमिन श्रद्धालुओं के लिए ईश्वर के घर जाने का मार्ग बंद कर दिया है, भ्रष्ट हैं, वे समझते हैं कि साम्राज्यवादियों की इच्छा पूरी करने और अमरीका तथा ज़ायोनियों से हाथ मिलाने से उनकी सत्ता बाक़ी रहेगी और इस मार्ग में वे किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार में संकोच नहीं करते। वे बुराई फैलाने वाले शासक हैं जिन्होंने तकफ़ीरी गुटों का गठन करके और उन्हें हथियारों से लैस करके इस्लामी जगत को आंतरिक लड़ाई में ढकेल दिया है। उनके हाथ यमन, इराक़, सीरिया और लीबिया सहित कुछ दूसरे देशों में ख़ून से सने हुए हैं। वे ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन से हाथ मिला लिया है और फ़िलिस्तीनियों की पीड़ा की ओर से आंख बंद कर ली है। इसी प्रकार बहरैन में उनके अत्याचारों व अपराधों का दायरा फैल गया है।”

वरिषठ नेता ने अपने हज संदेश में कहा है कि सऊदी शासक इस साल भी ईरान सहित कुछ दूसरे देशों के हाजियों को हज करने से रोक कर और कुछ दूसरे देशों के हाजियों पर अभूतपूर्व सीमितता लगाकर, अमरीका और ज़ायोनी शासन के जासूसी तंत्र की मदद कर रहे हैं। उन्होंने ईश्वर के घर को, जो शांति का घर है, सबके लिए अशांत कर दिया है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने बल दिया है कि इस्लामी देशों को चाहिए कि वे सऊदी शासकों के श्रद्धाहीन, बेईमान और भौतिकतावादी चेहरे को पहचानें और इस्लामी जगत में उन्होंने जो अपराध किए हैं उसके कारण उनका गरेबान पकड़ लें। उन्होंने इसी प्रकार कहा है कि मुसलमानों को मक्के और मदीने जैसे पवित्र स्थलों के संचालन और हज के बारे में ठोस उपाय सोचना चाहिए क्योंकि इस कर्तव्य में लापरवाही के नतीजे में इस्लामी जगत को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

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