عرفان اسلامی

हमेशा बाक़ी रहने वाली नेकी
नेकी और भलाई यह नहीं है कि तुम्हारे पास अधिक दौलत और औलाद हो, बल्कि भलाई ज्ञान और इल्म की अधिकता और अमल एवं व्यवहार अच्छा होने में है, और यह इन्सान के धैर्य एवं विवेक से सम्बंधित है,
दुआ ए अरफ़ा इमाम हुसैन
फिर आपने अपने चेहरे और आँखों को आसमान की तरफ़ उठाया और आपकी दोनों आँखों से दो मश्कों की तरह आँसू जारी थे फिर आपने बुलंद आवाज़ में कहाः
हज़रत यूसुफ़ और ज़ुलैख़ा की आशिक़ी 1
हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम, अज़ीज़े मिस्र के घरे में पले-बढ़े और व्यस्कता के चरण तक पहुंचे और फिर ज्ञान व तत्वदर्शिता से संपन्न हुए। उनके सुंदर व तेजस्वी चेहरे ने अज़ीज़े मिस्र को वशीभूत कर लिया था और उसकी पत्नी ज़ुलैख़ा भी उन्हें चाहने लगी थी
हज़रत यूसुफ और जुलैख़ा की आशिक़ी 2
राजा ने यूसुफ़ को आज़ाद करने का आदेश दिया लेकिन हज़रत यूसुफ़ ने कहा कि वे उस समय आज़ाद होना पसंद करेंगे जब उन पर लगे आरोपों की जांच हों और वे निर्दोष साबित हो जाएं। अंततः ज़ुलेख़ा ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और कहा, अब सत्य सिद्ध हो चुका है, मैंने काम व
इमाम सज्जाद की दुआ ए अरफ़ा
यह दुआ इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की दुआओं की प्रसिद्ध किताब सहीफ़ए सज्जादिया की 47वीं दुआ है जिसकों इमाम (अ) ने अरफ़ा के दिन पढ़ा है इसलिये मोमिनों को चाहिए कि इस दिन बहुत अधिक समय दुआ और तौबा व इस्तेग़फ़ार में बिताएं और यह दुआ पढ़ें

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