شهداء و علماء و اولیاء الهی

अगर ज़ैनब न होतीं...?
अगर ज़ैनब (स) न होती तो इमामत का सिलसिला चौथे इमाम की इमामत के आरम्भ के बाद ही इस संसार को सबसे तुच्छ, अत्याचारी व्यक्ति के हाथों टूट गया होता। अब्बास महमूद ओक़ाद, कर्बला के बारे में लिखते हैं
हज़रत ज़ैनब और कर्बला की जंग
शिम्र ने कहा उबैदुल्लाह बिन जि़याद ने कहा हैः हुसैनी की सारी औलादों को कत्ल कर दो, उसके बाद जब उसने सैय्यदे सज्जाद को मारने का इरादा किया तो तो ज़ैनब नें जवाब में कहाः वह मारा नहीं जाएगा मगर यह कि मैं भी क़त्ल कर दी जाऊँ
हुसैन के नन्हे सिपाही "अली असग़र" की जीवनी
ज़ियारते नाहियाः सलाम हो हुसैन के बेटे अब्दुल्लाह पर, तीर खाकर, ज़मीन पर गिरा ख़ून में रंगा बच्चा जिसका ख़ून आसमान में चला गया और अपने पिता की गोद में तीर से ज़िब्ह कर दिया गया, अल्लाह तीर चलाने वाले और उसको मारने वाले हुर्मुला बिन काहिल असदी पर लानत करे।
हज़रत अली अकबर की संक्षिप्त जीवनी
कर्बला के मैदान में जब अली अकबर (अ) और हज़रत अब्बास (अ) आये हैं तो चूक़ि अली अक़बर (अ) पैग़म्बरे इस्लाम (स) से बहुत मेल खाते थे इसलिये उमरे साद की सेना वालों ने आपके चेहरे को देखा तो कहाः فتبارک الله احسن الخالقین
हज़रत क़ासिम इबने हसन (अ) का संक्षिप्त परिचय
हमीद ने रिवायत कीः हुसैन के साथियों में से एक लड़का जो ऐसा लगता था कि जैसे चाँद का टुकड़ा हो बाहर आया उसके हाथ में तलवार थी एक कुर्ता पहन रखा था और उसने जूता पहन रखा था जिसकी एक डोरी काटी गई थी और मैं कभी भी यह नही भूल सकता कि वह उसके बाएं पैरा का जूता थ
हुर्र बिन यज़ीदे रियाही के जीवन पर एक नज़र
हुर्र बिन यज़ीद बिन नाजिया बिन क़अनब बिन अत्ताब बिन हारिस बिन उमर बिन हम्माम बिन बनू रियाह बिन यरबूअ बिन हंज़ला, तमीम नामक क़बीले की एक शाख़ा से संबंधित हैं (1) इसीलिये उनको रियाही, यरबूई, हंज़ली और तमीमी कहा जाता है (2) हुर्र का ख़ानदान जाहेलीयत और इस्ला
उम्मुल मोमिनीन हज़रत ख़दीजा (स) की सीरत
हज़रत खदीजा (स) ज़िन्दगी के तमाम तल्ख़ व शीरीं हवादिस में बेसत के बाद पैग़म्बरे इस्लाम (स) की शरीके ग़म रहीं, हमेशा आपकी सलामती की ख़्वाहाँ थी, अपने ग़ुलामों व ख़िदमतगारों को पैग़म्बरे इस्लाम (स) की तलाश में भेजा करती थीं।
सफ़ीरे हुसैन हज़रत मुस्लिम इब्ने अक़ील (अ.)
मुस्लिम रात्रि में कूफ़ा पहुँचे, और एक भरोसेमंद शिया के घर ठहरे, मुस्लिम के कूफ़ा पहुँचने की सूचना कूफे के गलियों और कूचों में फैल गई, शिया उनके पास आते थे और इमाम हुसैन (अ) की बैअत करते थे इतिहास में है कि बारह, अठ्ठारह या इब्ने कसीर के अनुसार चालीस हज़ा
जाने आयतुल्लाह ख़ामनेई कितना वेतन पाते हैं
फारसी भाषा और साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डाक्टर हद्दाद आदिल जिनकी लड़की आयतुल्लाह ख़ामेनेई की बहू है की शादी के बारे में बयान करते हुए कहते हैं: उस समय मेरी बेटी ने डिप्लोमा किया था और कम्पटीशन परीक्षा दी थी...
सुप्रीम लीडर का हज संदेश
ईद के दिन और हज की विशेष पोशाक में, तेज़ धूप में प्यास की दशा में असहाय होकर हज़ारों हाजी मारे गये थे और उससे कुछ पहले भी काबे में उपासना और परिक्रमा व नमाज़ के दौरान बहुत से हाजियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था

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