حضرت فاطمه زهرا ( س )
न्यूयार्क की मिस वरकन हौल, अपनी मशहूरकिताब (the holy daughter of holy prophet) में लिखती हैं कि वह पैग़म्बर (स) की महबूब बेटी थीं जिन के अंदर अपने बाप के तमाम औसाफ़ व कमालात जमा थे। फ़ातेमा ज़हरा वह आली मक़ाम ख़ातून थीं जिन के फ़रिश्ते भी नौकर थे
हमारे इस विशेष संस्करण में पैग़म्बर की मीरास या उपहार फ़िदक के बारे में मौजूद महत्वपूर्ण प्रश्नों, संदेहों, नबी की बेटी फ़ातेमा ज़हरा द्वारा फ़िदक वापस पाने के लिए की जाने वाली कोशिशों और उसके विरुद्ध अबूबक्र एवं उमर के रोल से संबंधित लेखों को पेश किया है
फ़ातेमाः मैंने सुबह की इस हालत में कि इस दुनिया से बेज़ार हूँ और मुझे तुम्हारी दुनिया से नफ़रत है और तुम्हारे वह मर्द जिन्होंने मेरी सहायता नहीं की उनसे प्रसन्न नहीं हूँ, उनको आज़माने के बाद मैंने उन्हें दूर फेंक दिया और अपने तजुर्बे से उनसे दुश्मनी की।
हम जानते हैं कि जब हज़रते ज़हरा से फ़िदक छीना गया और आपने उसे पाने का प्रयत्न किया, उसके न मिलने पर आपने मस्जिद में ख़ुत्बा दिया उसके बाद किसी ने कहा कि अगर अली पहले आते तो हम अली की बैअत करते तो फ़ातेमा कहती हैं कि ग़दीर के बाद किसी के पास कोई बहाना नही
सुन्नी और शिया दोनों विद्वान इस बात पर एकमत हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़िदक अपने जीवन में ही हज़रत फ़ातेमा (स) के हवाले कर दिया था और आपके मज़दूर उन ज़मीनों पर कार्य किया करते थे। लेकिन पैग़म्बर की वफ़ात के बाद फ़िदक को आपसे छीन लिया गया और यह कहा...
फ़िदक छीना गया ताकि अली ख़िलाफ़त वापस पाने के लिए उसका प्रयोग ना कर सकें (शरहे नहजुलबलाग़ा, इबने अबिल हदीद, जिल्द 16 पेज 236)
जिस समय मस्जिद में मुहाजिर और अंसार महत्वपूर्ण कार्य के लिए एकत्र हुए थे तब आप मस्जिद में प्रवेश करती हैं और आप ने वह महान ख़ुतबा दिया कि जो आज तक अनछुआ हैं और विद्वान एवं उलेमा जितना भी इसके बारे में चिंतन करें लेकिन उसकी हक़ीक़त तक नहीं पहुंच सकते हैं।
जब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा का फ़िदक छीना गया और आपने उसे वापस मांगा तो उस समय की सरकार यानी पहले ख़लीफ़ा ने आपसे गवाह मांगे कि साबित करो यह फ़िदक तुम्हारा है, आपने गवाह के तौर पर इमाम अली, उम्मे एमन और पैग़म्बर के दास रेबाह को प्रस्तुत किया, लेकिन इन लोगों की
ख़ुद हज़रत अबूबक्र ने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.) के लिए पत्र और दस्तावेज़ लिखा कि यह फ़िदक फातेमा का हक़ है। हज़रत उमर बिने ख़त्ताब एक स्थान पर कुछ शर्तों के साथ अमीरुल मोमिनीन (अ.) को फ़िदक वापस करते हैं
फ़िदक वह सम्पत्ति थी जो मख़सूस थी पैग़म्बरे इस्लाम से, इस बात की प्रमाणिकता के लिए अगर हम इस्लामिक इतिहास की किताबों को देखें तो बहुत सी किताबों हमको ऐसी मिलेंगी जिसमें इस बात को बयान किया गया है कि फ़िदक पैग़म्बर (स) का मख़सूस माल था।
ख़िलाफ़त के ऊँट को ले लो रस्सी से उसकी ज़ीन को उसके पेट से मज़बूती से बांध दो (लेकिन जान लो) कि इस ऊँट की हड्डियां टूटी हुई हैं, उसके पैर कमज़ोर हो चुके हैं, उसके तलवे का गोश्त कमज़ोर है, चल नहीं सकता है, इसमें ऐब है और इसका यह ऐब सदैब बाक़ी रहेगा
जब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) (स) से उस समय की हुकूमत ने फ़िदक छीन लिया और किसी भी प्रकार से यह सरकार फ़िदक देने पर राज़ी नहीं थी तो आप अपनी सच्चाई को प्रमाणित करने के लिए मस्जिद में आती हैं और मोहाजिर एवं अंसार के बीच वह महान ख़ुत्बा देती हैं जिसे हम “ख़ुत्
सबसे पहली प्रतिक्रिया जो आपने दिखाई वह यह थी कि आपने गवाह पेश किए कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने अपने जीवन में फ़िदक मुझे उपहार में दिया था और जो चीज़ पैग़म्बर (स) ने मुझे उपहार स्वरूप दी हैं उसे तुमने क्यों मुझ से छीन लिया?
फ़ातेमा ज़हरा जो संसारिक सुख और सुविधा से दूर थी, जो मासूम है, जिनकी पवित्रता के बारे में आयते ततहीर नाज़िल हुई है, वह क्यों फ़िदक को प्राप्त करने के लिए उठती हैं? और वह प्रसिद्ध ख़ुत्बा जिसको "ख़ुत्बा ए फ़िदक" कहा जाता है आपने बयान फ़रमाया आख़िर एसा क्या
और तुम यह समझते हो कि हम अहलेबैत का मीरास में कोई हक़ नहीं है! क्या तुम लोग जाहेलियत का आदेश जारी कर रहे हो?! और ईमान वालों के लिए ईश्वरीय आदेश से बेहतर क्या आदेश हो सकता है? क्या तुम लोग नहीं जानते हो? निःसंदेह चमकते हुए सूर्य की भाति (यह बात) तुम्हारे
हैसमी अपनी पुस्तक मजमउज़्ज़वाएद की जिल्द 9 पेज 40 पर लिखता हैः फ़िदक को फ़ातेमा (स) से लेने से पहले दूसरे ख़लीफ़ा (हज़रत उमर) अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली(अ) के पास जाते हैं और आपसे पैग़म्बर (स) की पैतृक सम्पत्ति के बारे में प्रश्न करते हैं अली (अ) उत्तर देते
सोंचने की बात है कि अरब का वह रेगिस्तान कि जहां अगर ज़मज़म जैसा एक चश्मा जारी हो जाए तो वहां पूरी एक बस्ती आबाद हो जाती है अलग अलग स्थानों से लोग रहने के लिए आ जाते हैं तो अगर किसी स्थान पर चश्मों की भरमार हो तो वहा क्या स्थिति होगी और उसकी वास्तविक क़ीमत
अहलेबैत (अ) से नक़्ल होने वाली रिवायतों में से कुछ रिवायतों में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा के मुसहफ़ की बात कही गई है, और एक किताब की आपकी तरफ़ निस्बत दी गई है जैसा कि मोहम्मद बिन मुस्लिम इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत करते हैं:
ऐ पैग़म्बर, ज्ञान के आ जाने के बाद जो लोग तुम से कट हुज्जती करें उनसे कह दीजिए कि (अच्छा मैदान में) आओ, हम अपने बेटे को बुलायें तुम अपने बेटे को और हम अपनी औरतों को बुलायें और तुम अपनी औरतों को और हम अपनी जानों को बुलाये और तुम अपने जानों को, उसके बाद हम
जब भी (ईसाईयों के बारे में) उस ज्ञान एवं जानकारी के बाद जो तुम तक पहुंची है (फिर भी) जो लोग तुमसे हुज्जत करें उनसे कह दीजिएः आओं हम अपने बेटों को बुलाएं, तुम अपने बेटों को, हम अपनी औरतों को लाएं और तुम अपनी औरतों को, हम अपने नफ़्सों को लाएं तुम अपने नफ़्स