اهل بیت علیهم السلام

फ़िदक के बारे में कुछ अनसुलझे सवाल
सुन्नी और शिया दोनों विद्वान इस बात पर एकमत हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़िदक अपने जीवन में ही हज़रत फ़ातेमा (स) के हवाले कर दिया था और आपके मज़दूर उन ज़मीनों पर कार्य किया करते थे। लेकिन पैग़म्बर की वफ़ात के बाद फ़िदक को आपसे छीन लिया गया और यह कहा...
फ़िदक, शिकस्ता पहलू पर 30 ज़ख़्म
फ़िदक छीना गया ताकि अली ख़िलाफ़त वापस पाने के लिए उसका प्रयोग ना कर सकें (शरहे नहजुलबलाग़ा, इबने अबिल हदीद, जिल्द 16 पेज 236)
फ़ातेमा ज़हरा और ख़ुत्ब ए फ़िदकिया
जिस समय मस्जिद में मुहाजिर और अंसार महत्वपूर्ण कार्य के लिए एकत्र हुए थे तब आप मस्जिद में प्रवेश करती हैं और आप ने वह महान ख़ुतबा दिया कि जो आज तक अनछुआ हैं और विद्वान एवं उलेमा जितना भी इसके बारे में चिंतन करें लेकिन उसकी हक़ीक़त तक नहीं पहुंच सकते हैं।
फ़िदक, जब सच्चे गवाहों को झुठला दिया गया
जब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा का फ़िदक छीना गया और आपने उसे वापस मांगा तो उस समय की सरकार यानी पहले ख़लीफ़ा ने आपसे गवाह मांगे कि साबित करो यह फ़िदक तुम्हारा है, आपने गवाह के तौर पर इमाम अली, उम्मे एमन और पैग़म्बर के दास रेबाह को प्रस्तुत किया, लेकिन इन लोगों की
फ़िदक, ख़लीफ़ाओं के विरोधाभास बायान
ख़ुद हज़रत अबूबक्र ने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.) के लिए पत्र और दस्तावेज़ लिखा कि यह फ़िदक फातेमा का हक़ है। हज़रत उमर बिने ख़त्ताब एक स्थान पर कुछ शर्तों के साथ अमीरुल मोमिनीन (अ.) को फ़िदक वापस करते हैं
फ़िदक "और क़राबतदारों को उनका हक़ दे दो"
फ़िदक वह सम्पत्ति थी जो मख़सूस थी पैग़म्बरे इस्लाम से, इस बात की प्रमाणिकता के लिए अगर हम इस्लामिक इतिहास की किताबों को देखें तो बहुत सी किताबों हमको ऐसी मिलेंगी जिसमें इस बात को बयान किया गया है कि फ़िदक पैग़म्बर (स) का मख़सूस माल था।
ख़ुत्बा -ए- फ़िदक का संक्षित्प विवरण 2
ख़िलाफ़त के ऊँट को ले लो रस्सी से उसकी ज़ीन को उसके पेट से मज़बूती से बांध दो (लेकिन जान लो) कि इस ऊँट की हड्डियां टूटी हुई हैं, उसके पैर कमज़ोर हो चुके हैं, उसके तलवे का गोश्त कमज़ोर है, चल नहीं सकता है, इसमें ऐब है और इसका यह ऐब सदैब बाक़ी रहेगा
ख़ुत्बा -ए- फ़िदक का संक्षिप्त विवरण 1
जब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) (स) से उस समय की हुकूमत ने फ़िदक छीन लिया और किसी भी प्रकार से यह सरकार फ़िदक देने पर राज़ी नहीं थी तो आप अपनी सच्चाई को प्रमाणित करने के लिए मस्जिद में आती हैं और मोहाजिर एवं अंसार के बीच वह महान ख़ुत्बा देती हैं जिसे हम “ख़ुत्
फ़िदक छीने जाने पर फ़ातेमा ज़हरा (स) की प्रतिक्रिया
सबसे पहली प्रतिक्रिया जो आपने दिखाई वह यह थी कि आपने गवाह पेश किए कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने अपने जीवन में फ़िदक मुझे उपहार में दिया था और जो चीज़ पैग़म्बर (स) ने मुझे उपहार स्वरूप दी हैं उसे तुमने क्यों मुझ से छीन लिया?
फ़िदक का इतिहास
फ़ातेमा ज़हरा जो संसारिक सुख और सुविधा से दूर थी, जो मासूम है, जिनकी पवित्रता के बारे में आयते ततहीर नाज़िल हुई है, वह क्यों फ़िदक को प्राप्त करने के लिए उठती हैं? और वह प्रसिद्ध ख़ुत्बा जिसको "ख़ुत्बा ए फ़िदक" कहा जाता है आपने बयान फ़रमाया आख़िर एसा क्या
इमाम सादिक़ (अ) की संक्षिप्त जीवनी
सुन्नी समुदाय के प्रसिद्ध विद्वान अबु हनीफ़ा कहते हैं कि मैं ने हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से बड़ा कोई विद्वान नही देखा। वह यह भी कहते हैं कि अगर मैं हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्लाम से दो साल तक ज्ञान प्राप्त न करता तो हलाक हो जाता।
इमाम सादिक़ (अ) की सियासत
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के युग में बनी उमय्या और बनी अब्बास के बीच सत्ता प्राप्त करने के लिए खींचा तानी चल रही थी, और इस मौक़े से लाभ उठाते हुए इमाम सादिक़ (अ) और आपके पिता इमाम बाक़िर (अ) ने इस्लामी शिक्षाओं को फैलाना आरम्भ किया और अगर यह कहा जाए कि आप दोन
इमाम हसन अस्करी (अ) की कुछ मार्गदर्शक हदीसें
हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि समस्त बुराईयों को एक कमरे मे बन्द कर दिया गया है, व इस कमरे की चाबी झूट को बनाया गया है। अर्थात झूट समस्त बुराईयों की जड़ है।
इमाम हसन अस्करी की शहादत पर विशेष
हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने अपने जीवन में कुल 28 बसंत देखे किन्तु इस छोटी सी ज़िन्दगी में भी उन्हों ने पवित्र क़ुरआन की आयतों की व्याख्या और धर्मशास्त्र पर आधारित अपनी यादगार रचना छोड़ी है। मुसलमानों के वैज्ञानिक अभियान में उनका प्रभाव पूरी तरह स
ख़ुत्ब ए फ़िदक का हिन्दी अनुवाद
और तुम यह समझते हो कि हम अहलेबैत का मीरास में कोई हक़ नहीं है! क्या तुम लोग जाहेलियत का आदेश जारी कर रहे हो?! और ईमान वालों के लिए ईश्वरीय आदेश से बेहतर क्या आदेश हो सकता है? क्या तुम लोग नहीं जानते हो? निःसंदेह चमकते हुए सूर्य की भाति (यह बात) तुम्हारे
फ़िदक कैसे छीना गया?
हैसमी अपनी पुस्तक मजमउज़्ज़वाएद की जिल्द 9 पेज 40 पर लिखता हैः फ़िदक को फ़ातेमा (स) से लेने से पहले दूसरे ख़लीफ़ा (हज़रत उमर) अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली(अ) के पास जाते हैं और आपसे पैग़म्बर (स) की पैतृक सम्पत्ति के बारे में प्रश्न करते हैं अली (अ) उत्तर देते
फ़िदक किसकी प्रापर्टी है?
सोंचने की बात है कि अरब का वह रेगिस्तान कि जहां अगर ज़मज़म जैसा एक चश्मा जारी हो जाए तो वहां पूरी एक बस्ती आबाद हो जाती है अलग अलग स्थानों से लोग रहने के लिए आ जाते हैं तो अगर किसी स्थान पर चश्मों की भरमार हो तो वहा क्या स्थिति होगी और उसकी वास्तविक क़ीमत
इमाम हसन (अ.)की दया एवं दानशीलता
इतिहास में आया है कि किसी भी ग़रीब व फ़क़ीर को उन्होने अपने पास से बिना उसकी समस्या का समाधान किये जाने नहीं दिया। किसी ने सवाल किया कि आप किसी मांगने वाले को कभी ख़ाली हाथ क्यों नहीं लौटाते। तो उन्होने जवाब दिया“ मैं ख़ुद अल्लाह के दरवाज़े का भिखारी हूं
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम का संक्षिप्त जीवन परिचय
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम तथा आपकी माता हज़रत फ़ातिमा ज़हरा थीं। आप अपने माता पिता की प्रथम संतान थे।
वह शर्तें जिनके आधार पर इमाम हसन ने मोआविया से सुलह की
मोआविया के बाद सत्ता इमाम हसन अलैहिस्सलाम की ओर हस्तान्त्रित होगी व इमाम हसन अलैहिस्सलाम के न होने की अवस्था में सत्ता इमाम हुसैन को सौंपी जायेगी। मोआविया को यह अधिकार नहीं है कि वह अपने बाद किसी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करे।

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